मध्य प्रदेश के इस मंदिर में होती है केसर और चंदन की बारिश, अद्धभुत होता है नज़ारा

भारत आध्यात्मिकता और आस्था का देश है। यहां हर राज्य, हर जिले में ऐसे अनोखे और चमत्कारी मंदिर मौजूद हैं, जिनसे जुड़ी कहानियां लोगों की श्रद्धा को और गहराई देती हैं। मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में भी एक ऐसा ही प्रसिद्ध मंदिर है, जिसे लोग मुक्तागिरी जैन तीर्थ के नाम से जानते हैं। यह मंदिर न सिर्फ अपनी धार्मिक मान्यता के लिए, बल्कि यहां होने वाले एक अलौकिक चमत्कार के कारण भी पूरी दुनिया में चर्चित है।
प्रकृति की गोद में बसा है यह दिव्य स्थल
मुक्तागिरी मंदिर सतपुड़ा की पहाड़ियों और घने जंगलों के बीच बसा हुआ है। यहां का वातावरण बेहद शांत, पवित्र और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। मंदिर के पास ही एक झरना बहता है, जिसकी लगभग 250 मीटर ऊंचाई से गिरती जलधारा इस स्थान को और भी मनोरम बना देती है। बारिश के मौसम में यहां का नजारा किसी स्वर्ग से कम नहीं लगता।
चमत्कार: जब आकाश से बरसते हैं केसर और चंदन
मुक्तागिरी मंदिर को चमत्कारी बनाने वाला सबसे प्रमुख कारण है यहां हर अष्टमी और चौदस को होने वाली केसर और चंदन की बारिश। यह ऐसा नजारा होता है जिसे देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु और तीर्थयात्री यहां आते हैं। लोग मानते हैं कि यह घटना कोई भ्रम नहीं बल्कि आस्था का प्रमाण है, जो आज भी हर पखवाड़े खुद को दोहराता है।
मेंढक की आत्मा और मुनि का आशीर्वाद
इस अद्भुत चमत्कार के पीछे एक पुरानी लोक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि हजारों साल पहले एक जैन मुनि यहां गहन ध्यान में लीन थे। उसी समय, एक मेंढक पहाड़ की ऊंची चोटी से गिरकर उनके सामने मर गया। मुनि ने करुणा पूर्वक उस मेंढक के कान में 'णमोकार मंत्र' का उच्चारण किया। इस मंत्र की शक्ति से उस मेंढक को देव योनि (स्वर्ग) की प्राप्ति हुई।
बाद में, जब वह मेंढक देवगति में पहुंचने के बाद पुनः मुनि के दर्शन के लिए आया, तब आकाश से केसर और चंदन की वर्षा होने लगी। उसी दिन से यह परंपरा बनी कि हर अष्टमी और चौदस को यहां उसी प्रकार की बारिश होती है, जो चमत्कारिक रूप से आज भी जारी है। इसी कथा के कारण इस पर्वत श्रृंखला को "मेढ़ागिरी पर्वत" के नाम से जाना जाता है।
तीर्थ स्थल की भव्यता और धार्मिक महत्व
मुक्तागिरी तीर्थ केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि लगभग 52 छोटे-बड़े जैन मंदिरों का समूह है। हर मंदिर की अपनी स्थापत्य कला और आध्यात्मिक महत्व है। इनमें सबसे प्रसिद्ध मंदिर मुक्तागिरी तीर्थ धाम है, जहां सबसे ज्यादा श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
यहां स्थित मुख्य मंदिर तक पहुंचने के लिए करीब 600 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। यह यात्रा कठिन जरूर है, लेकिन श्रद्धा में डूबे भक्तों को यह यात्रा आध्यात्मिक आनंद देती है। मंदिर परिसर में साधु-संतों का वास भी होता है, जो तप, साधना और ध्यान में लीन रहते हैं।
निष्कर्ष
मुक्तागिरी जैन तीर्थ न केवल मध्य प्रदेश का बल्कि भारत का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, जहां श्रद्धा और चमत्कार दोनों का संगम देखने को मिलता है। यहां की हर अष्टमी और चौदस को होने वाली केसर-चंदन की बारिश भक्तों के लिए एक दिव्य अनुभव बन जाती है।
यह स्थान न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसकी प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक कहानियों के कारण यह हर भारतवासी को एक बार अवश्य दर्शन करने के लिए प्रेरित करता है। अगर आप भी किसी चमत्कारिक स्थान की यात्रा करने की सोच रहे हैं, तो मुक्तागिरी निश्चित रूप से आपकी सूची में होना चाहिए।