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इस मंदिर कांटों पर जाना पड़ता हैं नंगे पांव, चप्पल-जूतें पहनने पर हैं बैन, वजह कर देगी हैरान

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आप में से बहुत से लोग मंदिर जाते हैं। कभी रोजाना तो कभी हफ्ते में डेढ़ बार। मंदिर जाना भी चाहिए क्योंकि शास्त्रों में कहा गया है कि मंदिर जाने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और जीवन में शांति स्थापित होती है, लेकिन आप में से कितने लोग नंगे पैर या चप्पल पहनकर मंदिर जाते हैं? दरअसल ज्योतिषी राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि घर से मंदिर जाते समय नंगे पैर या चप्पल पहनकर जाना चाहिए, तो आइए इस विषय को विस्तार से जानते हैं।

आपमें से कई लोग ऐसे होंगे जो घर से मंदिर नंगे पैर जाते होंगे। वहीं, कुछ लोग चप्पल पहनकर मंदिर जाते हैं और मंदिर के बाहर चप्पल उतार देते हैं। साथ ही, कुछ लोग किसी संकल्प या नियम का पालन करते हुए नंगे पैर मंदिर जाते हैं, लेकिन वस्त्र पहनने की सख्त कसम खाते हैं।

ऐसे में आपको बता दें कि शास्त्रों में बताया गया है कि मंदिर हमेशा नंगे पैर ही जाना चाहिए। घर से निकलते समय पैर पूरी तरह से खुले होने चाहिए, यानी मंदिर में ऐसी अवस्था में जाना चाहिए कि पैर सीधे जमीन को छू रहे हों। इसके पीछे 2 कारण हैं जिनका उल्लेख पूजा-पाठ विधि में किया गया है।

पहला कारण यह है कि घर से मंदिर जाते समय अगर आप नंगे पैर जाते हैं तो शरीर में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा धरती को छूते हुए आपके पैरों के माध्यम से बाहर निकल जाती है और मंदिर पहुंचते-पहुंचते शरीर अपने आप शुद्ध हो जाता है और नंगे पैर मंदिर से लौटते समय शरीर में सकारात्मकता का प्रवाह होता है।

 हैंवहीं, दूसरा कारण यह है कि हम मंदिर के बाहर ही अपनी चप्पल या जूते उतार देते हैं। अब होता यह है कि शरीर से निकलने वाली नकारात्मक ऊर्जा मंदिर से बाहर जाने के बाद व्यक्ति में दोबारा प्रवेश करने के लिए चप्पल या जूते में स्रोत ढूंढ लेती है। इस तरह मंदिर जाने के बाद भी व्यक्ति बुरे विचारों से मुक्त नहीं हो पाता।

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