1945 में अमेरिकी सेना ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहरों पर परमाणु बम गिराए। इस हमले में लाखों लोगों की जान चली गई और कई लोग विकलांग हो गए। अमेरिका ने सबसे पहले हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया। आज भी वहां मानव जैसी परछाई देखी जा सकती है, जो पिछले 75 वर्षों से दिखाई दे रही है। इसका रहस्य आज तक कोई नहीं जान पाया है। इस छाया को 'हिरोशिमा स्टेप्स शैडो' या 'हिरोशिमा की छाया' के नाम से जाना जाता है।
बता दें कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जब हिरोशिमा पर बमबारी की गई थी तो एक झटके में लाखों लोग मारे गए थे। यह छाया चित्र भी विस्फोट स्थल से 850 फीट की दूरी पर लिया गया था, जहां एक व्यक्ति बैठा हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि परमाणु बम की अपार शक्ति के कारण वह व्यक्ति गायब हो गया। लेकिन परमाणु बम भी उसकी छाया को मिटा नहीं सका। इस छाया की वास्तविकता कभी नहीं पहचानी जा सकी कि वहां बैठा व्यक्ति कौन था। यह अब तक रहस्य बना हुआ है।
एक अनुमान के अनुसार हिरोशिमा परमाणु विस्फोट में लगभग एक लाख 40 हजार लोग मारे गए थे। जब विस्फोट हुआ तो उसमें से भयंकर ऊर्जा निकली और कहा जाता है कि उसकी गर्मी के कारण करीब 60 हजार से 80 हजार लोग मारे गए थे।जबकि बाद में परमाणु विकिरण जनित बीमारियों के कारण हजारों लोग मारे भी गये। आपको बता दें कि हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम का नाम 'लिटिल बॉय' था, जिसका वजन करीब 4400 किलोग्राम था।ऐसा कहा जाता है कि इस बम के विस्फोट से जमीनी स्तर पर लगभग 4,000 डिग्री सेल्सियस तक गर्मी उत्पन्न हुई थी। जब मनुष्य 50 से 55 डिग्री सेल्सियस की गर्मी बर्दाश्त नहीं कर सकता तो वह 4,000 डिग्री सेल्सियस की गर्मी कैसे बर्दाश्त कर सकता है। इस गर्मी से लोग जलकर राख हो गए।