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निधिवन से भी रहस्यमयी यह पर्वत जिसे कहा जाता है परियों का देश, गलती से भी न करें यहां जाने की भूल वरना....

निधिवन से भी रहस्यमयी यह पर्वत जिसे कहा जाता है परियों का देश, गलती से भी न करें यहां जाने की भूल वरना....

देवभूमि उत्तराखंड कदम-कदम पर अजूबों और रहस्यों से भरा है। कहीं हज़ारों साल पुराना मंदिर है, तो कहीं ऐसी जगह जहाँ इंसानी दखलंदाज़ी वर्जित है। वृंदावन के निधिवन की कहानियां तो आपने सुनी ही होंगी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उत्तराखंड के टिहरी ज़िले में एक ऐसा पहाड़ है, जिसके रहस्य किसी कल्पना से कम नहीं हैं। खैट पर्वत, एक ऐसा नाम जो रोमांच, आस्था और अनकही कहानियों का संगम है।

शाम होते ही साँसें थमने लगती हैं...
टिहरी के थाट गाँव से लगभग 5 किलोमीटर दूर स्थित खैट पर्वत (रहस्यमयी पर्वत) अपनी खूबसूरती के साथ-साथ अपनी रहस्यमयी कहानियों के लिए भी जाना जाता है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, इस पहाड़ पर परियाँ यानी 'आँछरी' रहती हैं, जिन्हें गाँव की रक्षक भी माना जाता है। दिन के उजाले में यहाँ ट्रैकिंग और प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लिया जा सकता है, लेकिन शाम के सात बजते ही यह जगह वीरान और रहस्यमयी हो जाती है। स्थानीय लोग साफ़ कहते हैं - उसके बाद बाहर न निकलें।

चमकदार कपड़े और सुगंध वर्जित

खैट पर्वत पर एक अनोखा नियम है। ऐसा माना जाता है कि परियों को चमकदार कपड़े, तेज़ सुगंध या तेज़ आवाज़ें बिल्कुल पसंद नहीं होतीं। जो लोग इस नियम (हॉन्टेड ट्रेकिंग स्पॉट) को तोड़ते हैं, उन्हें परियों के 'अस्तित्व' का एहसास होने लगता है। कई पर्यटकों ने यह भी दावा किया है कि उन्हें यहाँ किसी अदृश्य शक्ति की उपस्थिति का एहसास हुआ है।

यहाँ फल-फूल अपने आप उगते हैं!

इस स्थान की जैविक विशिष्टता इस पर्वत को और भी रहस्यमय बनाती है। ब्रह्मचारी महेश स्वरूप ने बताया कि यहाँ साल भर अखरोट और लहसुन की खेती होती है। इतना ही नहीं, जैसे ही यहाँ के फल-फूल किसी अन्य स्थान पर ले जाए जाते हैं, वे तुरंत खराब हो जाते हैं। यह बात आज भी वैज्ञानिकों के लिए एक पहेली बनी हुई है।

परियों की कहानी राजपरिवार से जुड़ी है
यहाँ की सबसे प्रसिद्ध लोककथा बताती है कि टिहरी गढ़वाल के राजा आशा रावत की सातवीं रानी देवा ने नौ पुत्रियों को जन्म दिया, जो असाधारण रूप से सुंदर और चमत्कारी थीं। 12 वर्ष की आयु में इन पुत्रियों को एक स्वप्न आया जिसमें सेम नागराज ने उन्हें अपनी रानी बनाया। सुबह जब वे जलस्रोत पर पहुँचे, तो उन्होंने देखा कि पूरा गाँव अँधेरे में डूबा हुआ था और सूरज कहीं गायब सा हो गया था। कहा जाता है कि उसी सूरज की तलाश में वे खैट पर्वत पहुँचे और वहीं बस गए। आज वे आँछरी के रूप में यहाँ विराजमान हैं।

खैट पर्वत कैसे पहुँचें?

सबसे पहले देहरादून या ऋषिकेश पहुँचें, जो पूरे देश से अच्छी तरह जुड़े हुए हैं। वहाँ से सड़क मार्ग से घनसाली या थाट गाँव पहुँचें। थाट गाँव से खैट पर्वत की दूरी लगभग 5 किलोमीटर है, जहाँ पैदल ट्रेकिंग करके पहुँचा जा सकता है। समुद्र तल से लगभग 10,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित यह पर्वत हरियाली और रहस्यों की चादर ओढ़े हुए है।

परियों का देश या विज्ञान से परे एक रहस्य?

खाट पर्वत सिर्फ़ एक ट्रेकिंग स्थल नहीं है, यह उत्तराखंड की गहराइयों में छिपी एक कहानी है, जिसे आज भी ग्रामीणों की आस्था और अनुभवों से समझा जा सकता है। क्या यह सिर्फ़ एक लोककथा है या यहाँ सचमुच कहीं परियों की दुनिया बसती है? इस जगह को एक बार देखने के बाद, आप खुद ही तय कर लीजिए कि ये हक़ीक़त है या कोई रहस्य। अगर आप वहाँ कैंपिंग करने का प्लान बना रहे हैं, तो नियमों का पालन ज़रूर करें और किसी स्थानीय गाइड की मदद लेना न भूलें। यहाँ आकर आपको एहसास होता है कि उत्तराखंड को यूँ ही देवभूमि नहीं कहा जाता।

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