ये शख्स है रियल लाइफ का स्पाइडरमैन, अब तक बचा चुका है 10 हजार से ज्यादा बच्चों की जान

हर व्यक्ति के जीवन का कोई न कोई उद्देश्य होता है। कुछ लोग अपने लिए जीते हैं जबकि अन्य लोग दूसरों के लिए जीना पसंद करते हैं। लेकिन ऐसे लोग बहुत कम होंगे जो दूसरों के लिए जीते हैं या समाज की भलाई के लिए कुछ काम करते हैं। लेकिन अमेरिका में रहने वाले रिकी मीना का जन्म शायद दुनिया को मानवता का पाठ पढ़ाने के लिए हुआ था। क्योंकि रिकी मीना स्पाइडर-मैन की पोशाक पहनकर बच्चों के अस्पतालों में घूमता है और उन्हें बीमारी से मुक्ति दिलाने में अहम भूमिका निभाता है।
रिकी मीना स्पाइडर मैन की पोशाक में अस्पताल में भर्ती बीमार बच्चों से मिलता है। वह स्पाइडर-मैन की पोशाक पहनकर उनसे मिलने जाता है। तो बीमार बच्चे भी उठकर खड़े हो जाते हैं। अस्पताल पहुंचकर वह बच्चों से ऐसे मिल रहे हैं जैसे बच्चों की हर मुराद पूरी हो गई हो। इतना ही नहीं, वे हर काम बच्चे के निर्देशानुसार ही करते हैं।
अस्पताल पहुंचने के बाद वह बच्चों के साथ वीडियो गेम खेलते हैं, घंटों उनका हाथ पकड़कर बैठे रहते हैं। उनमें ऐसा जादू है कि बच्चे सारे दुख, दर्द और परेशानियां भूलकर उनके साथ खूब खेलते हैं। ऐसा करके रिकी अब तक गंभीर बीमारियों से पीड़ित 10 हजार से अधिक बच्चों की जान बचा चुके हैं। रिक्की मीना ने बताया कि एक रात उसकी दादी उसके सपने में आईं। जो उन्हें एक पुराने प्रोजेक्टर पर वीडियो दिखा रहा है।
इस वीडियो में स्पाइडर-मैन एक अस्पताल में है जहां कई बीमार बच्चे हैं जो स्पाइडर-मैन को देखकर खुश हो जाते हैं। वह कहते हैं कि सपने में मैंने अपनी दादी से पूछा कि यह वीडियो किस फिल्म का है तो उन्होंने मुझसे कहा कि बेटा यह तुम हो और कल सुबह उठोगे तो यह काम करोगे। तब से, रिकी स्पाइडर-मैन की पोशाक में हर दिन अस्पतालों का दौरा कर रहा है और बच्चों को बीमारियों से छुटकारा दिलाने में मदद कर रहा है। आपको बता दें कि जब रिकी ने यह सपना देखा था, तब उसके पास न तो काम था और न ही अपनी जरूरतों को पूरा करने का कोई साधन था।
वह कहते हैं कि उन दिनों मेरे पास सिर्फ मेरे दोस्त का सोफा था जिस पर मैं रहता और सोता था। सपना देखने के बाद रिकी ने उस पर काम करना शुरू कर दिया। पहली बार मेरे पास ड्रेस बनवाने के लिए भी पैसे नहीं थे, इसलिए मैंने कार बेच दी। शुरुआत में तो अस्पताल की प्रतिक्रिया अच्छी नहीं रही, लेकिन जैसे ही बच्चों की सेहत में सुधार होने लगा, अस्पताल ने उन्हें बुलाना शुरू कर दिया। रिकी कहते हैं कि इस दौरान मैं सभी तक नहीं पहुंच पाया। एक दिन उनकी मुलाकात हार्ट ऑफ हीरो नामक एक एनजीओ से हुई। रिकी ने उसके साथ काम करना शुरू कर दिया। वह यह काम लगातार 4 साल से कर रहे हैं।
रिकी का कहना है कि कई बच्चे मर गए, जिनसे वह अच्छे दोस्त थे। उन्होंने बताया कि एक बच्चे ने मेरी गोद में ही अंतिम सांस ली। उसके बाद मैं कई रातों तक सो नहीं सका। रिकी का कहना है कि कई बच्चे मर गए, जिनसे वह अच्छे दोस्त थे। उन्होंने बताया कि एक बच्चे ने मेरी गोद में ही अंतिम सांस ली। उसके बाद मैं कई रातों तक सो नहीं सका।