
दुनियाभर में कई रहस्यमयी जगहें हैं, जिनके पीछे डरावनी कहानियां, आत्माओं की कहानियां और ऐतिहासिक त्रासदियां जुड़ी होती हैं। ऐसी ही एक जगह है इटली का पोवेग्लिया आइलैंड, जिसे लोग "आइलैंड ऑफ डेथ" यानी मौत का टापू कहते हैं। यह टापू इटली के प्रसिद्ध शहर वेनिस और लिडो के बीच स्थित वेनेशियन खाड़ी में है। लेकिन इसकी सुंदरता से ज्यादा, इसकी डरावनी कहानियां और आत्माओं का साया इस जगह को चर्चित बनाता है।
आत्माओं का डेरा बना हुआ है ये टापू
पोवेग्लिया आइलैंड की सबसे डरावनी बात ये है कि यहां जाने वाला इंसान या तो लौटकर नहीं आता, या अगर आता भी है, तो गहरे मानसिक आघात के साथ। स्थानीय लोग इस टापू को "शापित" मानते हैं। उनका मानना है कि ये टापू अब बुरी आत्माओं का घर बन चुका है।
यहां के मछुआरे तक इस टापू के करीब नाव ले जाने से डरते हैं। वे कहते हैं कि अक्सर इस क्षेत्र से अजीब सी चीखें, रोने की आवाजें और सिसकियां सुनाई देती हैं। रात के समय इस टापू पर किसी भी तरह की आवाजाही को पूरी तरह निषिद्ध माना जाता है।
इतिहास की सबसे भयानक त्रासदी
इस टापू के भूतिया बनने की कहानी इतिहास की एक सबसे दर्दनाक त्रासदी से शुरू होती है। 14वीं शताब्दी में इटली में प्लेग यानी ब्युबोनिक प्लेग फैला था, जिसे ब्लैक डेथ भी कहा जाता है। ये महामारी इतनी भयानक थी कि लोग तेजी से मरने लगे।
सरकार जब हालात पर काबू नहीं पा सकी, तो लगभग 1.60 लाख संक्रमित लोगों को इस टापू पर लाकर जिंदा आग में झोंक दिया गया। यह कदम इसलिए उठाया गया ताकि बीमारी को फैलने से रोका जा सके। उस समय इस टापू को क्वारंटाइन सेंटर बनाया गया था, लेकिन असल में यह लोगों की "मौत की जेल" बन गया।
दूसरी महामारी और एक और विनाश
इसके कुछ वर्षों बाद जब इटली में एक और महामारी – काला बुखार (Black Fever) फैली, तब भी मृतकों को इसी टापू पर लाकर दफना दिया गया। धीरे-धीरे यह टापू हजारों लाशों का कब्रिस्तान बन गया। माना जाता है कि इस द्वीप की जमीन का लगभग 50% हिस्सा मानव अस्थियों से बना है।
मेंटल हॉस्पिटल और और भी डरावने किस्से
20वीं शताब्दी के शुरुआती सालों में इटली की सरकार ने इस टापू पर एक मानसिक चिकित्सालय (मेंटल हॉस्पिटल) बनवाया, ताकि यहां फिर से इंसानी गतिविधियां शुरू हो सकें। लेकिन हॉस्पिटल खुलने के कुछ ही समय बाद वहां डॉक्टर्स, नर्सें और मरीजों को अजीब घटनाओं और आत्माओं की उपस्थिति का एहसास होने लगा।
डॉक्टर्स का कहना था कि उन्हें दीवारों से चीखें आती थीं, छायाएं दिखाई देती थीं और कभी-कभी उनके सामने ही गोलियां चलने जैसी आवाजें आती थीं। वहीं कई मरीजों ने कहा कि वो किसी अदृश्य शक्ति से बात कर सकते हैं, और वो शक्ति उन्हें चोट पहुंचाने की धमकी देती थी।
डर के साए में अस्पताल का अंत
इन सब डरावनी घटनाओं के चलते अस्पताल के एक डॉक्टर ने कथित तौर पर मानसिक दबाव में आकर खुद को टापू की सबसे ऊंची मीनार से नीचे फेंक दिया। उसके बाद अस्पताल को स्थायी रूप से बंद कर दिया गया और पोवेग्लिया टापू फिर से वीरान हो गया।
निजी खरीददार और खौफनाक अनुभव
साल 1960 में इटली की सरकार ने इस द्वीप को एक अमीर व्यक्ति को बेच दिया, जो इसे निजी रिसॉर्ट बनाना चाहता था। लेकिन उसके परिवार के साथ टापू पर भयानक घटनाएं होने लगीं। उसकी बेटी के साथ एक बड़ा हादसा हुआ, जिसके बाद उन्होंने वह टापू छोड़ दिया और फिर कभी लौटकर नहीं आए। इसके बाद से इस टापू पर किसी ने बसने की कोशिश नहीं की।
सरकार की चेतावनी और आज की स्थिति
अब पोवेग्लिया आइलैंड पर किसी भी आम नागरिक को जाने की अनुमति नहीं है। इटली की सरकार ने इस द्वीप को "प्रोhibited Area" घोषित कर दिया है। हालांकि कुछ जिज्ञासु पर्यटक चोरी-छिपे वहां जाने की कोशिश करते हैं, लेकिन वापस लौटकर वह भी इसे "शापित द्वीप" ही बताते हैं।
निष्कर्ष
पोवेग्लिया आइलैंड आज भी भूत-प्रेत, आत्माओं और शाप की रहस्यमयी कहानियों के लिए जाना जाता है। विज्ञान भले ही आत्माओं की मौजूदगी को खारिज करता हो, लेकिन इतिहास, स्थानीय अनुभव और आज तक घटती रहस्यमयी घटनाएं इसे एक भयावह और रहस्यमयी जगह बना देती हैं।