40 लाख रूपए लगाकर आज से 200 साल पहले मुस्लिम शख्स ने बनवाया था ये भव्य मंदिर, महाभारत से है सीधा कनेक्शन
झारखंड के दुमका से सांप्रदायिक सौहार्द का एक मार्मिक मामला सामने आया है. रानीश्वर के हामिदपुर निवासी मुस्लिम नौशाद शेख 40 लाख की लागत से भगवान कृष्ण का मंदिर बनवा रहे हैं. भगवान कृष्ण का 'पार्थ सारथी मंदिर' इन दिनों इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है. इसकी वजह है मुस्लिम शख्स नौशाद, जो रानीश्वर का उपमुखिया है.
नौशाद ने इस मंदिर का निर्माण साल 2019 में शुरू कराया था. नौशाद बताते हैं कि एक बार वह पश्चिम बंगाल के मायापुर घूमने गए थे। इसी दौरान उनके सपने में भगवान कृष्ण आये. भगवान कृष्ण ने उनसे कहा था कि वे स्वयं अपने क्षेत्र में बैठे हैं। वह यहाँ क्यों घूमने आया है? नौशाद ने बताया कि तब श्रीकृष्ण ने उन्हें सपने में कहा था कि 'वहां पहुंच जाओ.' इसके बाद नौशाद ने पार्थ सारथी मंदिर के निर्माण के बारे में सोचा। नौशाद ने बताया कि पहले यहां खुदा की इबादत खुले आसमान के नीचे होती थी।
इसके बाद उन्होंने खुद एक मंदिर बनाने के बारे में सोचा। नौशाद मंदिर निर्माण से लेकर सभी अनुष्ठानों का आयोजन खुद करेंगे। उनका कहना है कि इस्लाम में दीन-दुखियों की सेवा करने की बात कही गई है. साथ ही यह भी कहा गया है कि हर धर्म का सम्मान किया जाना चाहिए. सभी धर्मों में इसी तरह की बातें कही गई हैं. बता दें कि पार्थ सारथी मंदिर का लोकार्पण 14 फरवरी को किया जाएगा. इस दौरान 108 महिलाएं पीले वस्त्र पहनकर कलश यात्रा निकालेंगी और 51 पुजारी पूरे वैदिक मंत्रोच्चार के साथ अनुष्ठान को पूरा करेंगे.
नौशाद ने कहा कि अब केवल मंदिर परिसर में ही हवन किया जा सकेगा. इसके अलावा मंदिर परिसर में एक कीर्तन शेड, एक रसोईघर और पूजा कराने वाले पुजारी के लिए एक अलग कमरा तैयार किया जा रहा है. जानकारों का कहना है कि हेतमपुर इस्टेट के पूती महाराज ने 300 साल पहले पार्थ सारथी की पूजा शुरू की थी. तब हेतमपुर राज्य की अदालत यहीं हुआ करती थी. उस दौरान इसे जंगल महल के नाम से जाना जाता था। हेतमपुर राज्य के राजा ने पार्थ सारथी मेले की शुरुआत की। लेकिन जमींदारी उन्मूलन के बाद यहां पूजा बंद हो गयी. चार दशक बाद, कादिर शेख, अबुल शेख और लियाकत शेख ने पार्थसारथी पूजा फिर से शुरू की। इन तीनों की मौत के बाद नौशाद शेख 1990 से इस परंपरा को निभा रहे हैं.