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शहर की चकाचौंध छोड़ 6 लोगों वाले द्वीप पर बस गई ये लड़की – जानिए क्यों बदली पूरी जिंदगी

आज की दुनिया में जहां अधिकतर लोग शहरों की ओर भाग रहे हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो इस दौड़-भाग से थककर सुकून की तलाश में निकल पड़ते हैं.........
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आज की दुनिया में जहां अधिकतर लोग शहरों की ओर भाग रहे हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो इस दौड़-भाग से थककर सुकून की तलाश में निकल पड़ते हैं। ऐसी ही कहानी है ब्रिटेन की एक 22 वर्षीय युवती कैटरिन (Catrin) की, जिसने शहरी चमक-धमक और लग्जरी लाइफस्टाइल को अलविदा कहकर एक शांत और निर्जन द्वीप को अपना नया घर बना लिया। यह द्वीप न्यूजीलैंड के ऑकलैंड तट से 11,000 मील दूर मोटुटापु (Motutapu Island) है, जहां कुल मिलाकर सिर्फ 6 लोग रहते हैं।

कौन हैं कैटरिन?

कैटरिन एक सोलो ट्रैवलर हैं, जिन्हें घूमने-फिरने का बेहद शौक है। वे वेल्स (Wales) की रहने वाली हैं और 2023 में उन्होंने एक बेहद अनोखा फैसला लिया – अपनी भागदौड़ भरी शहरी जिंदगी को छोड़कर एक दूरदराज और शांत आइलैंड पर रहने का। उनका मानना है कि शहर की भागदौड़ और शोरगुल इंसान को मानसिक रूप से थका देती है, और असली शांति प्रकृति के करीब जाकर ही मिलती है।

क्यों चुना मोटुटापु द्वीप?

न्यूजीलैंड के मोटुटापु द्वीप का अर्थ है "पवित्र स्थान" – और वास्तव में यह द्वीप अपने सुंदर नज़ारों, प्राकृतिक जैव-विविधता और अनछुए वातावरण के लिए जाना जाता है। यहां शोर नहीं, ट्रैफिक नहीं, भीड़ नहीं – सिर्फ प्रकृति है, पक्षियों की चहचहाहट है और रात के अंधेरे में टिमटिमाते तारे। कैटरिन ने इस द्वीप पर 9 महीने बिताए और वहां एक आउटडोर एंटरटेनमेंट सेंटर में काम किया। इस दौरान उन्होंने अपने अनुभवों को अपनी वेबसाइट और सोशल मीडिया के माध्यम से साझा किया। उन्होंने बताया कि यहां रहने से न केवल उन्हें मानसिक शांति मिली, बल्कि एक नया जीवन दर्शन भी मिला।

जीवन में आए बदलाव

कैटरिन बताती हैं कि शहर में जहां हर चीज पैसे से जुड़ी होती है, वहीं इस द्वीप पर रहकर उन्होंने सादगी और आत्मनिर्भरता सीखी। यहां न तो कोई सुपरमार्केट है, न पब और न ही रेस्तरां – जिससे न केवल खर्च कम हुआ, बल्कि खाने और ज़रूरतों के लिए पहले से योजना बनानी पड़ी। उनके मुताबिक, यहां कोई भी व्यक्ति रात को बिना दरवाजा बंद किए सो सकता है। न कोई अपराध का डर, न ट्रैफिक का झंझट – सिर्फ शांति ही शांति। उन्होंने कहा, "यहां का जीवन धीमा है, लेकिन बहुत सुकून देने वाला है।"

मुश्किलें भी थीं

हालांकि यह अनुभव रोमांचक था, पर पूरी तरह से आसान नहीं। खाने-पीने की चीज़ों के लिए उन्हें मेनलैंड (मुख्य भूमि) से सामान लाना पड़ता था, जिसके लिए फेरी का इंतज़ार करना पड़ता था। इसके अलावा इतने सीमित लोगों के साथ रहना कभी-कभी अकेलापन और बोरियत का कारण बनता था। कैटरिन ने महसूस किया कि एक ही प्रकार का दृश्य, एक जैसी दिनचर्या और बातचीत के लिए सिर्फ वही कुछ लोग – ये सब मिलकर कभी-कभी मानसिक दबाव भी बनाते हैं। लेकिन इन सभी कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और इस जीवनशैली से बहुत कुछ सीखा।

दूसरों के लिए प्रेरणा

कैटरिन की यह कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है, जो भीड़, ट्रैफिक और तकनीक की गुलामी से तंग आ चुके हैं और एक सरल, शांतिपूर्ण जीवन जीना चाहते हैं। उन्होंने अपने अनुभव से यह साबित किया कि जिंदगी को केवल तेज़ गति से नहीं, बल्कि रुककर और प्रकृति के साथ जुड़कर भी जिया जा सकता है। कैटरिन कहती हैं, "मोटुटापु ने मुझे सिखाया कि जिंदगी धीमी भी हो सकती है और यह कोई खराब बात नहीं है। प्रकृति और सादगी में जो शांति है, वह किसी शहरी लक्सरी में नहीं मिल सकती।"

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