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ये मिट्टी का दीया लगातार 40 घंटे तक करेगा आपके घर को रोशन, कारीगरी देख चक्करा जाएगा दिमाग

नवंबर आते ही देश में दिवाली की रौनक बढ़ गई है। आगामी दिवाली त्यौहार के लिए देश भर के बाजार सज गए हैं। दिवाली का त्यौहार हो और दीयों.........
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नवंबर आते ही देश में दिवाली की रौनक बढ़ गई है। आगामी दिवाली त्यौहार के लिए देश भर के बाजार सज गए हैं। दिवाली का त्यौहार हो और दीयों की बात न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। दीपावली मनाने के लिए लोगों ने दीयों की खरीदारी शुरू कर दी है। इस बीच छत्तीसगढ़ के कोंडागांव निवासी अशोक चक्रधारी ने मिट्टी का ऐसा दीया बनाया है जो लगातार 24 से 40 घंटे तक जलने की क्षमता रखता है।

इस दीया को बनाने के लिए अशोक चक्रधारी को राष्ट्रीय मेरिट पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। कारीगर अशोक चंद्राकर बताते हैं कि 35 साल पहले उन्होंने भोपाल में ऐसा दीया देखा था। अंबिकापुर, भोपाल के एक बुजुर्ग कलाकार ने कुछ ऐसा ही दीया बनाया था। उससे प्रेरणा लेकर मैंने यह लैंप बनाना शुरू किया। अशोक आगे कहते हैं कि मैं लगातार इस दीये को बनाने की कोशिश कर रहा था लेकिन हर बार मुझे असफलता हाथ लग रही थी

लेकिन मैंने कोशिश जारी रखी और मुझे दीया बनाने में सफलता मिल गई। उनका कहना है कि दीये में तेल खत्म होने के बाद भी रिसाव होता रहता है। इस दीपक को पहले मिट्टी से तैयार किया जाता है, उसके बाद एक गुम्बद में तेल भर दिया जाता है और दीपक को उल्टा रख दिया जाता है। गुम्बद में मौजूद टोंटी से तेल बूंद-बूंद करके गिरता रहता है। खास बात यह है कि जैसे ही दीपक का तेल खत्म होता है, टोंटी से तेल टपकने लगता है।

जैसे ही दीपक में तेल भर दिया जाता है, तेल का रिसाव बंद हो जाता है। यह सब बोतल में हवा के दबाव के कारण होता है। आपको बता दें कि हवा के लिए टोंटी में एक अलग रास्ता बनाया जाता है, इस विधि को साइफन कहा जाता है। खास बात यह है कि किसी ने अशोक चक्रधर का वीडियो वायरल कर दिया, जिसके बाद लोग शिल्पकार को फोन कर दीये की मांग कर रहे हैं। इस बारे में अशोक चक्रधर कहते हैं कि नवरात्रि के दौरान किसी ने मुझे फोन करके कहा कि जैसा आपने दीपक बनाया है, वैसा ही हमें भी बनाकर दीजिए। अशोक बताते हैं कि वह रोजाना 50-60 दीये बना रहे हैं और इनकी कीमत 200 से 350 रुपये है।

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