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सतपुड़ा की पहाड़ियों में बसा ये खूनी कुंड सबके लिए बना हुआ रहस्य

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भारत एक ऐसा देश है जहां हर कोने में कोई न कोई रहस्य, परंपरा या चमत्कारी स्थान छुपा हुआ है। कहीं कोई मंदिर बिना छत के है, तो कहीं ऐसी झीलें हैं जिनका पानी रंग बदलता है। ऐसी ही एक रहस्यमयी जगह मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में स्थित है, जिसे लोग 'खूनी कुंड' या 'कुंडी भंडारा' के नाम से जानते हैं। इस जगह से जुड़ी कहानियां, इसकी बनावट और इसका रहस्य आज भी लोगों को हैरान कर देता है।

कहां है यह कुंड?

मध्य प्रदेश के दक्षिणी हिस्से में स्थित बुरहानपुर ऐतिहासिक रूप से एक बेहद महत्वपूर्ण शहर रहा है। यहीं से कुछ दूरी पर सतपुड़ा की पहाड़ियों के बीच छिपा हुआ है यह रहस्यमयी 'खूनी कुंड'। यह कुंड कोई साधारण जल स्रोत नहीं, बल्कि 400 साल पुराना जल संचयन और आपूर्ति तंत्र है, जिसे आज भी वैज्ञानिक और पुरातत्वविद् समझने की कोशिश कर रहे हैं।

क्यों कहते हैं इसे 'खूनी कुंड'?

नाम सुनते ही मन में डर और रहस्य की भावना उत्पन्न होती है — 'खूनी कुंड'। लेकिन वास्तव में, इस नाम का खून से कोई लेना-देना नहीं है। यह कुंड अपने नाम के विपरीत एकदम साफ, शुद्ध और ठंडे पानी से भरा रहता है।

इसका नाम 'खूनी' क्यों पड़ा, इसके पीछे अलग-अलग मान्यताएं हैं। कुछ लोग मानते हैं कि पुराने समय में यहां कोई खूनी घटना हुई थी, जिसके चलते इसे यह नाम मिला। जबकि कुछ इतिहासकारों के अनुसार यह नाम केवल एक मिथक बन चुका है, और असल में इसका कोई संबंध खून या हिंसा से नहीं है।

कुंडी भंडारा: पानी की अकल्पनीय व्यवस्था

इस कुंड की सबसे खास बात यह है कि यह कभी सूखता नहीं है। सतपुड़ा की पहाड़ियों से रिसते हुए पानी की एक अंडरग्राउंड जलधारा इस कुंड को लगातार जल से भरती रहती है। यहां तक कि ग्रीष्मकाल की भीषण गर्मी में भी जब आसपास के तालाब और कुएं सूख जाते हैं, तब भी इस कुंड में पानी बना रहता है।

यहां पर कुंडियों की एक श्रृंखला बनी हुई है, जिन्हें ‘कुंडी भंडारा’ कहा जाता है। ये कुंडियां उस जल तंत्र का हिस्सा हैं जो पूरे शहर में पानी की आपूर्ति करता है। इन कुंडियों से निकलने वाला पानी घर-घर तक पहुंचता है, और आश्चर्यजनक रूप से यह पानी आज भी पानी की बोतलें बेचने वाली कंपनियों से ज्यादा शुद्ध और सुरक्षित माना जाता है।

क्यों खास है यहां का पानी?

इस जल स्रोत की एक और रहस्यमयी बात यह है कि इसका पानी न तो सड़ता है, न ही खराब होता है। यह पानी एकदम हिमालय की बर्फ के पिघले जल जैसा शुद्ध और ठंडा होता है। वैज्ञानिक मानते हैं कि पहाड़ियों से रिसने के दौरान यह पानी प्राकृतिक रूप से कई परतों से गुजरता है, जिससे यह खुद-ब-खुद शुद्ध होता चला जाता है।

इसका पीएच लेवल और खनिज संतुलन इतना सटीक होता है कि इसे कई बार प्रयोगशालाओं में परीक्षण के लिए भेजा गया है और हर बार यह उत्कृष्ट गुणवत्ता वाला पानी साबित हुआ है।

ऐतिहासिक महत्त्व और वास्तुकला

यह जलस्रोत न केवल जल आपूर्ति का स्रोत है, बल्कि यह मुगल काल की इंजीनियरिंग का अद्भुत उदाहरण भी है। बताया जाता है कि इस कुंड का निर्माण उस समय किया गया था जब बुरहानपुर मुगलों की एक प्रमुख सैन्य छावनी था। यहां के नवाबों और शासकों ने शहर की जल आवश्यकताओं को देखते हुए भूमिगत जल मार्ग तैयार करवाए थे, जो आज भी उतनी ही कुशलता से काम कर रहे हैं।

यहां एक प्रकार की भूल-भुलैया जैसी संरचना भी है, जिसके अंदर यह जलतंत्र मौजूद है। जब कोई पहली बार यहां आता है तो उसे यह सब किसी जादुई संसार जैसा लगता है।

रहस्य अब भी बना हुआ है

इतनी तकनीकी और प्राकृतिक विशेषताओं के बावजूद, खूनी कुंड आज भी एक रहस्य बना हुआ है। लोग अब भी नहीं समझ पाए हैं कि आखिर यह जल व्यवस्था इतने सालों तक कैसे सुरक्षित और कार्यशील बनी हुई है। न तो इसके स्रोत की गहराई का सही अनुमान है, न ही इसकी पूरी लंबाई का।

स्थानीय लोगों के अनुसार, कई बार कोशिशें की गईं कि इस जलस्रोत का अंतिम सिरा ढूंढ़ा जाए, लेकिन कोई भी सफल नहीं हो पाया।

सरकार और पर्यटन की जरूरत

यह रहस्यमयी कुंड अपने आप में एक पर्यटन स्थल बनने की अपार संभावनाएं रखता है। यदि सरकार इस पर विशेष ध्यान दे, इसे विकसित करे और यहां तक पहुंचने की सुविधा बढ़ाए, तो यह देशभर के पर्यटकों को आकर्षित कर सकता है। साथ ही, इतिहास और विज्ञान के छात्रों के लिए भी यह एक शोध का विषय बन सकता है।

निष्कर्ष

भारत के ऐसे रहस्यात्मक स्थलों में से एक है बुरहानपुर का खूनी कुंड, जो दिखने में भले ही एक साधारण जल स्रोत लगे, पर इसके भीतर इतिहास, विज्ञान और रहस्य की एक अद्भुत कहानी छुपी हुई है। यह दर्शाता है कि हमारे पू

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