विश्व में ब्रह्मा का है बस एक ही मंदिर, पत्नी के श्राप की आज भी भोग रहे हैं सजा
हिंदू धर्म में त्रिदेव — ब्रह्मा, विष्णु और महेश — को सृष्टि, पालन और संहार के रूप में जाना जाता है। ब्रह्मा जी को सृष्टिकर्ता माना गया है, लेकिन यह हैरानी की बात है कि जहां भारतवर्ष में हजारों देवी-देवताओं के असंख्य मंदिर हैं, वहीं ब्रह्मा जी का केवल एक ही प्रमुख मंदिर है और वह राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित पुष्कर में स्थित है। इस एकमात्र मंदिर के पीछे एक रहस्यमयी और पौराणिक कथा जुड़ी हुई है, जो ब्रह्मा जी की पत्नी सावित्री के श्राप से संबंधित है। पद्म पुराण में इसका विस्तार से उल्लेख किया गया है।
ब्रह्मा जी को क्यों मिला श्राप?
पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक बार ब्रह्मा जी ने धरती के कल्याण के लिए यज्ञ करने का निश्चय किया। यज्ञ के लिए एक पवित्र और उपयुक्त स्थान की तलाश में उन्होंने अपनी हथेली से कमल निकाला और उसे धरती पर फेंका। वह कमल पुष्कर की भूमि पर गिरा और वहीं पर एक तालाब बन गया, जिसे आज पुष्कर झील के नाम से जाना जाता है। ब्रह्मा जी ने वहीं यज्ञ की तैयारी की। लेकिन उनकी पत्नी सावित्री, यज्ञ के निर्धारित समय तक वहां नहीं पहुंच पाईं। यज्ञ विधिवत रूप से तभी संपन्न होता है जब यजमान के साथ उसकी पत्नी भी उपस्थित हो। समय बीतता देख ब्रह्मा जी ने एक स्थानीय ग्वालिन गायत्री से विवाह कर लिया और यज्ञ शुरू कर दिया।
जब सावित्री वहां पहुंचीं और यह दृश्य देखा, तो वह क्रोधित हो उठीं। उन्होंने ब्रह्मा जी को श्राप दे दिया कि देवता होते हुए भी धरती पर कहीं उनकी पूजा नहीं होगी, सिवाय उस स्थान के जहां यह यज्ञ हुआ — पुष्कर। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यदि कोई अन्य व्यक्ति ब्रह्मा जी का मंदिर बनवाएगा, तो उसका जीवन संकटों से घिर जाएगा।
मंदिर का इतिहास और निर्माण
पुष्कर झील के समीप स्थित यह ब्रह्मा मंदिर वास्तुकला की दृष्टि से बेहद भव्य है। इतिहासकारों के अनुसार, इसका मूल निर्माण करीब 1200 साल पहले एक शासक द्वारा करवाया गया था। एक मान्यता के अनुसार उस शासक ने स्वप्न में इस मंदिर को देखा और इसके जीर्णोद्धार का आदेश दिया। वर्तमान में इस मंदिर में ब्रह्मा जी की चार मुखों वाली मूर्ति स्थापित है, जो एक कमलासन पर विराजमान हैं। मूर्ति के बाईं ओर गायत्री और दाईं ओर सावित्री जी की प्रतिमा है।
सावित्री माता का अलग मंदिर
पुष्कर की पहाड़ियों पर सावित्री माता का मंदिर भी स्थित है। यह मंदिर ब्रह्मा मंदिर के ठीक पीछे ऊंचाई पर बना है और यहां तक पहुंचने के लिए सीढ़ियों और रोपवे की सुविधा है। यह स्थान आस्था के साथ-साथ प्राकृतिक सौंदर्य और शांति के लिए भी जाना जाता है।

