Udaipur City Palace के शाही इतिहास के पीछे छिपे है कई भयानक राज़, वीडियो में जिन्हें जानकर कांप उठेगी रू

राजस्थान की शान, झीलों की नगरी और अपनी अद्भुत ऐतिहासिक विरासत के लिए मशहूर उदयपुर का सिटी पैलेस न सिर्फ स्थापत्य कला का एक अद्भुत नमूना है, बल्कि अपने भीतर कई ऐसे रहस्य भी समेटे हुए है जो दिल दहला देते हैं। दूर से देखने पर यह महल एक स्वप्न जैसा प्रतीत होता है, लेकिन इसके कुछ हिस्सों में दबी हुई कहानियां और अदृश्य डरावनी परछाइयां इसे रहस्यमयी भी बना देती हैं।
सिटी पैलेस उदयपुर के सबसे प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है, जिसे मेवाड़ के महाराणा उदय सिंह द्वितीय ने 1559 में बनवाना शुरू किया था। इसकी भव्यता, संगमरमर और ग्रेनाइट की नक्काशी, शीशमहल और सुंदर बाग-बगीचे इसे पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनाते हैं। लेकिन कुछ लोग दावा करते हैं कि इस महल की दीवारें केवल इतिहास की गवाह नहीं हैं, बल्कि उनमें कुछ अनसुलझे, भयावह राज भी छिपे हैं।
महल की दीवारों में कैद कहानियां
यह महल जितना आकर्षक है, उतना ही रहस्यमयी भी। महल के कुछ हिस्से ऐसे हैं जहां सामान्य पर्यटक नहीं जा सकते। स्थानीय लोगों और पुराने राजघरानों से जुड़े कर्मचारियों के अनुसार, महल के कुछ बंद गलियारे और तहखाने ऐसे हैं जहां अजीब सी आहटें और फुसफुसाहटें सुनाई देती हैं। रात के समय वहां अनजान परछाइयों का दिखना भी कुछ लोगों ने अनुभव किया है, जिससे यह जगह एक रहस्य बन जाती है।
आत्महत्या और बलिदान की दास्तान
इतिहासकारों के अनुसार, महल के निर्माण और रक्षा के दौरान कई सैनिकों और सेवकों ने अपनी जान गवाई। कुछ भागों में युद्धकाल में दुश्मनों से महल की रक्षा के लिए सैनिकों को महल के ही अंदर ज़िंदा दफना दिया गया था। ऐसा माना जाता है कि उन अधूरी आत्माओं की चेतना अब भी उस स्थान के आसपास भटकती है।एक किस्सा प्रचलित है कि महल के एक खास कक्ष में एक रानी ने स्वयं को अग्नि को समर्पित कर दिया था। कई लोगों का मानना है कि आज भी उस कक्ष से जलने की गंध आती है और कुछ ने वहां सफ़ेद वस्त्रों में एक स्त्री की छाया देखे जाने का दावा भी किया है।
सिटी पैलेस का 'बंद तहखाना'
पैलेस में एक हिस्सा ऐसा भी है, जिसे लंबे समय से सार्वजनिक दृष्टि से बंद कर दिया गया है। इसके बारे में कहा जाता है कि वहां रात के समय अचानक सर्दी बढ़ जाती है, और वहां जाने वाले लोगों को बेचैनी और घबराहट महसूस होती है।पुराने दरबारी इस हिस्से को "शापित तहखाना" कहते हैं। कई लोग मानते हैं कि वहां मेवाड़ वंश के पुराने शत्रुओं की आत्माएं कैद हैं, जो आज भी मुक्ति के लिए भटक रही हैं।
रात्रि में क्यों नहीं होती कोई गतिविधि?
सिटी पैलेस का एक और रहस्य यह है कि सूर्यास्त के बाद वहां कोई धार्मिक या सामाजिक आयोजन नहीं होता। यहां तक कि स्थानीय प्रशासन भी शाम के बाद पैलेस परिसर में अनावश्यक मूवमेंट को हतोत्साहित करता है। इसके पीछे कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया जाता, लेकिन जो लोग इस रहस्य को जानते हैं, वे कहते हैं कि शाम के बाद पैलेस के वातावरण में अजीब सी नीरवता और डर समा जाता है।
क्या है सच्चाई?
हालांकि पैलेस प्रशासन इन सब बातों को केवल "कहानियां" और "पर्यटन की अफवाहें" मानता है, लेकिन कई पैरानॉर्मल रिसर्चर्स ने भी यहां रात के समय नेगेटिव एनर्जी और असामान्य गतिविधियों की पुष्टि की है।एक अंतरराष्ट्रीय टीम जो भारत में ऐतिहासिक स्थलों की परामनोविज्ञानिक जांच करती है, उसने भी अपनी रिपोर्ट में इस स्थान को "हॉन्टेड ज़ोन" की कैटेगरी में रखा है। हालांकि उन्होंने किसी आत्मा को देखे जाने की पुष्टि नहीं की, लेकिन EMF मीटर और तापमान सेंसर द्वारा कई असामान्य संकेत ज़रूर दर्ज किए।