Samachar Nama
×

चित्तौड़गढ़ विजय स्तम्भ के गौरवशाली इतिहास के पीछे छिपे है कई भयानक राज़, वीडियो में जानकर उड़ जाएगी रातों की नींद

चित्तौड़गढ़ विजय स्तम्भ के गौरवशाली इतिहास के पीछे छिपे है कई भयानक राज़, वीडियो में जानकर उड़ जाएगी रातों की नींद

राजस्थान की वीरभूमि चित्तौड़गढ़ का नाम आते ही हमारे मन में महाराणा प्रताप, रानी पद्मिनी और जौहर की लौ जलाने वाले अनगिनत इतिहास गूंज उठते हैं। लेकिन चित्तौड़गढ़ की यही वीरगाथा सिर्फ युद्धों और बलिदानों तक सीमित नहीं है। यहां स्थित विजय स्तम्भ, जो देखने में जितना भव्य और आकर्षक है, उतना ही रहस्यमयी और भयावह भी है। यह स्तम्भ न सिर्फ राजस्थान बल्कि पूरे भारत का एक ऐतिहासिक प्रतीक है, लेकिन इसके गर्भ में कई ऐसे राज़ छिपे हैं जिन्हें जानकर आपकी रातों की नींद उड़ सकती है।

भव्य विजय स्तम्भ और उसका इतिहास

चित्तौड़गढ़ का विजय स्तम्भ, जिसे "कीर्ति स्तम्भ" भी कहा जाता है, 15वीं शताब्दी में मेवाड़ के महाराणा कुम्भा ने महमूद खिलजी पर विजय प्राप्त करने की खुशी में बनवाया था। करीब 122 फीट ऊँचा यह स्तम्भ नौ मंज़िलों का है और इसमें संकरे सीढ़ियों से चढ़कर ऊपर जाया जा सकता है। इसकी दीवारों पर भगवान विष्णु के अवतारों, देवी-देवताओं और ऐतिहासिक प्रसंगों की नक्काशी की गई है, जो इसे एक धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर भी बनाती है।लेकिन इस स्तम्भ के निर्माण के पीछे और उसके भीतर कई ऐसे रहस्य छिपे हैं, जो आज तक लोगों को डर और हैरानी में डाल देते हैं।

रहस्य #1: आत्माएं करती हैं स्तम्भ की रक्षा?

स्थानीय लोगों और गाइड्स का मानना है कि विजय स्तम्भ के अंदर और उसके आस-पास रात के समय कुछ असामान्य गतिविधियां होती हैं। कई पर्यटकों ने बताया है कि उन्होंने अंदर सीढ़ियों पर किसी के चलने की आवाजें सुनीं, जबकि वहां कोई नहीं था। कुछ ने यह भी दावा किया कि उन्होंने स्तम्भ के ऊपरी भाग से किसी स्त्री के रोने या चीखने की आवाजें सुनीं, जो जौहर की त्रासदी से जुड़ी मानी जाती हैं।

रहस्य #2: बंद कर दी गई कुछ मंज़िलें

विजय स्तम्भ की ऊपरी कुछ मंज़िलों को अब आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया है। बताया जाता है कि यहां से कई लोगों ने नीचे गिरकर जान गंवाई है। कई बार यह हादसे हादसा नहीं बल्कि आत्महत्या या कुछ अनदेखी शक्ति का प्रभाव माने जाते हैं। यही वजह है कि प्रशासन ने सुरक्षा कारणों से इन मंज़िलों को बंद रखा है।

रहस्य #3: जौहर की चीखें आज भी गूंजती हैं

विजय स्तम्भ के पास ही वह स्थान है जहाँ रानी पद्मिनी और सैकड़ों रानियों ने जौहर किया था। लोगों का मानना है कि विजय स्तम्भ इस बलिदान का मौन साक्षी रहा है और रात के समय वहां अब भी रूहानी गतिविधियां होती हैं। कुछ श्रद्धालु यह मानते हैं कि स्तम्भ के पत्थरों में उन चीखों की ऊर्जा अब भी समाई हुई है।

रहस्य #4: पत्थरों में छिपे प्रतीक और गूढ़ संकेत

विजय स्तम्भ के पत्थरों पर कई ऐसे प्रतीक खुदे हैं जिनका अर्थ आज तक स्पष्ट नहीं हो सका। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि ये प्रतीक तांत्रिक शक्तियों या गुप्त संप्रदायों से जुड़े हो सकते हैं। विशेषकर रात के समय इन नक्काशियों पर अजीब सी चमक देखने की बात भी पर्यटकों ने बताई है।

Share this story

Tags