भारत विश्वभर में अपनी धर्म निरपेक्षता और विविधता में एकता के लिए जानाजाता है। जहां एक ओर भारत को इसके मशहूर किलों, हवेलियों, शानदार महलों और लक्जरी होटलों के लिए जाना जाता है, वहीँ दूसरी ओर भारत दुनियाभर में अपने मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारों के लिए भी उतना ही मशहूर है।विश्व पर्यटन के नक्शे पर अमिट छाप रखने वाले राजस्थान में आपको शाही राजसी भव्यता, किलों, महलों, पर्यटक स्थलों के अलावा हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई धर्मों के साथ-साथ जैन धर्म के अद्भुत, विशाल और शानदार मंदिर देखने को मिलते हैं। राजस्थान के प्रमुख गुरुद्वारों और अजमेर शरीफ दरगाह की पूरी जानकारी वाले वीडियो को इतना प्यार देने के लिए आप सभी दर्शकों का बहुत बहुत धन्यवाद, अगर आपने अब तक इन वीडियोज को नहीं देखा है तो आपको इनका लिंक वीडियो के डिस्क्रिप्शन में मिल जायेगा।
राजस्थान पूरी दुनिया में अपने जैन मंदिरों के लिए विश्व विख्यात है, इन मंदिरों में दिलवाड़ा जैन मंदिर, नाकोड़ा जैन मंदिर, श्री महावीर जैन मंदिर आदि शामिल है। आज के इस वीडियो में हम आपको जैन धर्म के सबसे मशहूर और मान्यता रखने वाले मंदिरों में से एक रणकपुर जैन मंदिर के वीडियो टूर पर लेकर चलेंगें रणकपुर जैन मंदिर जिसे चतुर्मुख धारणा विहार के नाम से भी जाना जाता है राजस्थान में अरावली पर्वत माला की घाटियों के बीच में पाली जिले के सादरी शहर के निकट माघी नदी के किनारे स्थित हैं। यह मंदिर अपनी विशाल आकृति, वास्तुकला और सुंदरता के लिए पूरे विश्व में विख्यात है। यह जैन धर्म के पांच प्रमुख मंदिरों में से एक है, जो जैन तीर्थंकर आदिनाथ जी को समर्पित है। चारों तरफ जंगलों से घिरा हुआ यह मंदिर अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए भी जाना जाता है। इस मंदिर की खूबसूरत नक्काशी और डिजाइन देख आप हैरान हो जाएंगे, आपको लगेगा ही नहीं कि आप किसी मंदिर में खड़े हैं, आपको ऐसा लगेगा की आप एक महल के अंदर खड़े हैं।
रणकपुर जैन मंदिर का इतिहास बहुत ही प्राचीन है जो हमें मेवाड़ राजवंश के समय में ले जाता है। रणकपुर जैन मंदिर का निर्माण आचार्य श्यामसुंदर जी, धरनशाह, राणा कुंभा और देपा नाम के चार श्रद्धालुओं ने कराया था। कहा जाता है कि धरनशाह को एक रात सपने में नलिनीगुल्मा विमान के दर्शन हुए और इसी सपने से प्रेरित होकर उन्होंने इस मंदिर को बनवाने का निर्णय लिया. मंदिर के निर्माण के लिए जब धरनशाह ने राणा कुंभा से जमीन मांगी तो वे जमीन देने के लिए खुशी-खुशी तैयार हो गए। मंदिर निर्माण के लिए कई बड़े और अनुभवी वास्तुकारों को बुलाया गया लेकिन धरनशाह को किसी को भी योजना पसंद नहीं आई, और अंत में वे मुन्दारा से आए एक साधारण से वस्तुकार दीपक की योजना से वह संतुष्ट हुए। जिसके बाद वास्तुकार दीपक ने रणकपुर जैन मंदिर की वास्तुकला को तैयार किया। रणकपुर जैन मंदिर के निर्माण में करीब 60 वर्ष का समय लग गया। इस अद्भुत मंदिर का निर्माण 1458 ईस्वी तक चला। उस समय इस मंदिर के निर्माण में करीब 99 लाख रुपए का खर्च किए गए थे।

