
दुनिया में कई ऐसे अजूबे हैं जिनके बारे में जानकर आज भी आप हैरान रह जाते हैं। ऐसा ही एक आश्चर्य है किसी की अस्थियों को चंद्रमा पर दफनाना। आज तक केवल एक ही व्यक्ति ऐसा है जिसके अवशेष चंद्रमा पर नहीं भेजे जा सके हैं।
जिस व्यक्ति के अवशेष उसकी मृत्यु के बाद चंद्रमा पर दफनाए गए हैं उसका नाम यूजीन शूमेकर है। यह अमेरिकी वैज्ञानिक रहे हैं। यूजीन मेरले शूमेकर का जन्म 28 अप्रैल 1928 को हुआ था। उन्हें 20वीं सदी का सबसे महान वैज्ञानिक कहा जाता था। वर्ष 1992 में उनके योगदान के लिए उन्हें तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज एच. डब्ल्यू. बुश द्वारा राष्ट्रीय विज्ञान पदक से सम्मानित किया गया।
उन्होंने कई अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष के अनुकूल होने और वहां जाने के लिए प्रशिक्षित किया। उन्हें संयुक्त राज्य भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के खगोल भूवैज्ञानिक अनुसंधान कार्यक्रम के प्रथम निदेशक होने का गौरव भी प्राप्त है। उनका पहला मिशन यूटा और कोलोराडो में यूरेनियम भंडार की खोज करना था।
उन्होंने ज्वालामुखी प्रक्रियाओं का भी अध्ययन किया है। शूमेकर का नाम उन वैज्ञानिकों में शामिल है जिन्होंने यह पता लगाया कि पृथ्वी से टकराने वाला 12 किलोमीटर दूर का उल्कापिंड आखिरकार कहां गिरा था। वैज्ञानिकों का मानना है कि हजारों साल पहले अंतरिक्ष से एक उल्कापिंड पृथ्वी से टकराया था, इस उल्कापिंड ने पृथ्वी पर तबाही मचा दी थी।
वैज्ञानिकों के अनुसार इस महाविनाश में डायनासोर के साथ-साथ 80 प्रतिशत से अधिक जीव नष्ट हो गए थे। ऐसा माना जाता है कि यह उल्कापिंड मैक्सिको के युकाटन प्रायद्वीप से टकराया था। इस वैज्ञानिक की मृत्यु 18 जुलाई 1997 को एक कार दुर्घटना में हो गई। यूजीन मेरले शूमेकर की पत्नी कैरोलिन जीन स्पेलमैन शूमेकर इस कार दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गईं।
कैरोलीन जीन एक खगोलशास्त्री भी हैं। उनकी उम्र फिलहाल 90 वर्ष है। कई अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में जाने के लिए प्रशिक्षित करने वाले यूजीन मेरले शूमेकर का सपना चाँद पर जाने का था। यद्यपि वह अपने जीवनकाल में अपना सपना पूरा नहीं कर सके, लेकिन नासा ने 1997 में उनकी मृत्यु के दो साल बाद, 1999 में उनके अवशेषों को चंद्रमा पर दफना दिया।