दुनिया का ऐसा अनोखा तानाशाह, जो हाथ मिलाने के बाद शराब से साफ करता था अपने हाथ

इतिहास में कई तानाशाह हुए हैं, जिन्होंने सत्ता के नशे में इंसानियत को कुचल डाला। लेकिन कुछ तानाशाह अपनी सत्ता से ज़्यादा अपनी सनकी आदतों के लिए पहचाने जाते हैं। ऐसा ही एक नाम है — निकोले चाउसेस्कू, जिसने करीब 25 वर्षों तक रोमानिया पर शासन किया और ऐसा आतंक फैलाया कि उसकी मौत के 10 साल बाद तक लोग भय के साये में जीते रहे।
चाउसेस्कू केवल एक तानाशाह नहीं था, बल्कि एक ऐसा डिक्टेटर था जिसे अपनी ही परछाईं से डर लगता था, और जो लोगों से हाथ मिलाने के बाद शराब से हाथ धोया करता था।
तानाशाही की शुरुआत और ‘कंडुकाडेर’ बनने की कहानी
निकोले चाउसेस्कू ने 1965 में रोमानिया की सत्ता संभाली। शुरुआत में उन्हें लोगों का समर्थन भी मिला, लेकिन जल्दी ही उन्होंने तानाशाही शासन की बुनियाद रखी। उन्होंने खुद को 'कंडुकाडेर' (नेता) और अपनी पत्नी ऐलेना को 'राष्ट्रमाता' घोषित कर दिया। उन्होंने व्यक्तिवाद की पूजा को बढ़ावा दिया और मीडिया पर ऐसा नियंत्रण रखा कि कोई उनके ख़िलाफ़ एक शब्द भी नहीं लिख सकता था।
उन्होंने अपनी सत्ता को मजबूत बनाए रखने के लिए एक बेहद कड़ी और खतरनाक खुफिया तंत्र खड़ा किया। हर जगह जासूस फैले होते थे, जो आम नागरिकों की निजी जिंदगी तक पर नजर रखते थे।
सनक: जब पार्क में बैठने वालों पर रखते थे जासूस
चाउसेस्कू की तानाशाही सिर्फ कानून या सेना तक सीमित नहीं थी, वह आम जीवन में भी लोगों पर नियंत्रण चाहता था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पार्क में बैठने वालों पर भी एक खुफिया एजेंट नजर रखता था, जो अखबार में छेद करके लोगों को देखता था ताकि कोई उसके अस्तित्व के बारे में न जान सके।
लोग एक-दूसरे पर शक करते थे, क्योंकि किसी को नहीं पता होता था कि उसके आसपास खड़ा व्यक्ति सरकार का जासूस है या नहीं। चाउसेस्कू की मौत के 10 साल बाद भी लोग खुलकर बोलने से डरते थे। वह डर देश की जड़ों में समा चुका था।
शरीरिक सनक: शराब से दिन में 20 बार हाथ धोता था तानाशाह
निकोले चाउसेस्कू की एक बेहद विचित्र आदत थी, जो आज भी लोगों के लिए हैरानी का विषय है। उन्हें यह ‘बीमारी’ थी कि वह दिन में 20-20 बार हाथ धोते थे, और वह भी पानी से नहीं, बल्कि शराब से।
दरअसल, उन्हें यह डर सताता था कि कहीं उन्हें संक्रमण न हो जाए। साल 1979 में जब वह ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय से मिलने गए, तब भी वह हर हाथ मिलाने के बाद शराब से हाथ धोते रहे। उनके प्राइवेट बाथरूम में भी शराब की बोतलें सिर्फ हाथ धोने के लिए रखी जाती थीं।
ऐलेना की ‘फुटबॉल पर तानाशाही’
तानाशाही केवल राजनीति या सैन्य शक्ति तक सीमित नहीं रही। चाउसेस्कू की पत्नी ऐलेना भी इस सनक में पीछे नहीं थीं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब भी देश में फुटबॉल मैच होता था, तो वह खुद तय करती थीं कि कौन सी टीम जीतेगी और कौन हारेगी। टीवी पर केवल उन्हीं मैचों का प्रसारण होता था, जिनका नतीजा पहले से तय होता था।
यह दर्शाता है कि किस तरह सत्ता के नशे में चाउसेस्कू और उनकी पत्नी ने पूरे देश को तमाशा बना दिया था, जहां जीत-हार, खबरें, और यहां तक कि लोगों की सोच भी उन्हीं की मर्जी से तय होती थी।
अंत: जब तानाशाही का अंत खुद जनता ने किया
1989 में आखिरकार जनता का गुस्सा फूटा और रोमानिया में क्रांति हुई। 25 दिसंबर को निकोले और ऐलेना चाउसेस्कू को पकड़ लिया गया और सार्वजनिक मुकदमे के बाद उन्हें गोली मार दी गई। यह उस युग का अंत था, जिसने जनता को केवल डर और खामोशी दी थी।
उनकी मौत के बाद भी देश में एक लंबे समय तक लोग खुलकर बात करने से डरते रहे। लेकिन धीरे-धीरे लोकतंत्र की बहाली हुई और रोमानिया ने उस काले इतिहास को पीछे छोड़ दिया।
निष्कर्ष: सत्ता और सनक का खतरनाक मेल
निकोले चाउसेस्कू की कहानी केवल एक तानाशाह की नहीं है, बल्कि यह दर्शाती है कि जब सत्ता बिना उत्तरदायित्व के मिलती है, और उस पर सनक का साया पड़ता है, तो वह पूरे देश को अंधकार में धकेल सकती है। हाथ मिलाने के बाद शराब से हाथ धोना, पार्क में लोगों पर निगरानी रखना, और खेलों के नतीजे तय करना — ये सब केवल तानाशाही की मिसालें नहीं, बल्कि आत्ममुग्धता और भय के चरम को दर्शाती हैं।