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दुनिया का सबसे अनोखा मंदिर, जहां पूजा करने के लिए पुरुषों को करने पड़ते हैं 16 श्रृंगार! जानें 500 साल पुरानी मान्यता के बारे में

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भारत रहस्यों और अद्भुत परंपराओं की भूमि है। यहां हर मंदिर, हर रीति-रिवाज के पीछे कोई न कोई दिलचस्प कहानी या मान्यता जुड़ी हुई है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जिसकी परंपरा सुनकर हर कोई हैरान रह जाता है। यह दुनिया का ऐसा अनोखा मंदिर है, जहां भगवान की पूजा करने के लिए पुरुषों को महिलाओं की तरह 16 श्रृंगार करना पड़ता है। जी हां, यह परंपरा पिछले 500 वर्षों से चली आ रही है और आज भी पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ निभाई जाती है।

यह अनूठा मंदिर भारत के राजस्थान राज्य में स्थित है। इस मंदिर का नाम है मांडण माता मंदिर, जो भीलवाड़ा जिले के मांडल कस्बे में स्थित है। मान्यता है कि यहां आने वाले भक्तों को विशेष परिधान और श्रृंगार करके ही माता रानी के दरबार में प्रवेश की अनुमति मिलती है। खास बात यह है कि यह श्रृंगार केवल महिलाओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पुरुष भी यहां महिलाओं की तरह साज-सज्जा करते हैं।

500 साल पुरानी परंपरा

माना जाता है कि इस मंदिर में मां मांडण देवी की पूजा तभी सफल होती है जब भक्त पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ उनका श्रृंगार करते हैं। इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि एक समय यहां पर एक राजकुमारी तपस्या कर रही थी। उसकी आस्था और श्रद्धा से प्रसन्न होकर माता रानी ने उसे दर्शन दिए। तभी से यह नियम बना कि जो भी भक्त यहां मनोकामना लेकर आएगा, उसे महिलाओं की तरह सजकर माता की आराधना करनी होगी। तभी उसकी मनोकामना पूर्ण होगी।

मंदिर में प्रवेश करने से पहले पुरुषों को महिलाओं की तरह 16 श्रृंगार करना पड़ता है। इसमें माथे की बिंदी, मांग में सिंदूर, गहनों से लेकर पायल, चूड़ियां, साड़ी या घाघरा-चोली पहनना शामिल है। यह सब इसलिए किया जाता है ताकि भक्त अपनी सभी सांसारिक पहचान छोड़कर केवल भक्ति में लीन हो सकें। माना जाता है कि इससे अहंकार खत्म होता है और भक्ति का मार्ग सरल होता है।

मनोकामनाएं होती हैं पूरी!

यहां आने वाले भक्तों का मानना है कि मांडण माता का दरबार कभी खाली नहीं जाता। जो भी यहां पूरी श्रद्धा से पूजा करता है और परंपरा का पालन करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। यही वजह है कि हर साल नवरात्रि और विशेष अवसरों पर यहां हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं और महिलाओं की तरह सजे-धजे नजर आते हैं।

भारत की परंपराएं सिर्फ रीति-रिवाज नहीं, बल्कि श्रद्धा और विश्वास की जीवंत मिसाल हैं। मांडण माता मंदिर इसी बात को सिद्ध करता है कि आस्था के आगे सब समान हैं, चाहे वह पुरुष हो या महिला। यहां भक्त केवल अपनी भक्ति और प्रेम के साथ आते हैं और पूरी श्रद्धा से मां के दरबार में अपना शीश झुकाते हैं।

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