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दुनिया सबसे अनोखी जगह जहा छिपा हैं हमेशा जवान और खूबसूरत बने रहने का राज, 1000 साल पुराना हैं इतिहास

हर कोई चाहता है कि वह हमेशा जवान और खूबसूरत रहे। लेकिन ये मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. आज हम आपको एक ऐसे राज के बारे में बत,........
दुनिया सबसे अनोखी जगह जहा छिपा हैं हमेशा जवान और खूबसूरत बने रहने का राज, 1000 साल पुराना हैं इतिहास

हर कोई चाहता है कि वह हमेशा जवान और खूबसूरत रहे। लेकिन ये मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. आज हम आपको एक ऐसे राज के बारे में बताने जा रहे हैं जो आपको हमेशा जवान और खूबसूरत बनाए रखेगा। ये रहस्य हमारे देश में छिपा है. दरअसल, हरियाणा में एक ऐसी जगह है जहां हमेशा जवान और खूबसूरत रहने का राज छिपा है।

यह स्थान अरावली पर्वत श्रृंखला के निकट धोसी पहाड़ी पर है। दरअसल अरावली पर्वत शृंखला में पाई जाने वाली आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी शक्तिवर्धक है। आपको बता दें कि कायाकल्प एक ऐसी औषधि है, जो न सिर्फ त्वचा को निखारती है बल्कि सेहत को भी दिन-ब-दिन बेहतर बनाती है। च्यवनप्राश को आयुर्वेद की सबसे बड़ी खोज माना जाता है, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि च्यवनप्राश जैसी आयुर्वेदिक औषधि धोसी पहाड़ी की देन है।

आपको बता दें कि धोसी पहाड़ी अरावली पर्वत श्रृंखला के अंत में उत्तर-पश्चिमी भाग में एक सुप्त ज्वालामुखी है। यह उत्तरी अक्षांश और पूर्वी देशांतर पर स्थित एकमात्र पहाड़ी है। यह पहाड़ी कई महत्वपूर्ण और रहस्यमयी कारणों से मशहूर है। इस पहाड़ी का उल्लेख विभिन्न धार्मिक पुस्तकों में भी मिलता है। आपको बता दें कि इस ज्वालामुखी में हजारों सालों से कोई विस्फोट नहीं हुआ है।

धोसी पहाड़ी दक्षिण हरियाणा और उत्तरी राजस्थान की सीमा पर स्थित है। इस पहाड़ी का हरियाणा भाग महेंद्रगढ़ जिले में स्थित है और सिंघाना मार्ग पर नारनौल से लगभग पांच किलोमीटर दूर है। इस पहाड़ी का राजस्थान भाग झुंझुनू जिले में स्थित है। धोसी पहाड़ी के बारे में कहा जाता है कि यह एक ऐसी चमत्कारी पहाड़ी है, जहां जो भी व्यक्ति आता है वह इस पहाड़ी पर बैठकर वेद लिखता है, यह पहाड़ी उस व्यक्ति और वेदों के महान तत्वों को स्थापित कर देती है।

माना जाता है कि करीब 5100 साल पहले पांडव भी अपने अज्ञातवास के दौरान यहां आए थे। दुनिया के सबसे प्राचीन धर्म यानी सनातन धर्म के शुरुआती विकास से लेकर आयुर्वेद की महत्वपूर्ण खोज च्यवनप्राश का संबंध भी धोसी पहाड़ी से है। हालाँकि इस पहाड़ी की संरचना सुप्त ज्वालामुखीय है, लेकिन भूवैज्ञानिक इसे ज्वालामुखीय संरचना मानने से इनकार करते हैं।

भूवैज्ञानिकों का कहना है कि पिछले 20 लाख वर्षों में अरावली पर्वत श्रृंखला में कोई ज्वालामुखी विस्फोट नहीं हुआ है। अतः इसे ज्वालामुखीय संरचना मानना उचित नहीं है। लेकिन इसमें पाई जाने वाली कई जड़ी-बूटियां गंभीर से गंभीर बीमारियों का इलाज कर सकती हैं।
 

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