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दुनिया का ऐसा टेलीफोन जिसकी हर घंटी के साथ होती है मौत की दस्तक! लाखों लोगों की हो चुकी हाई मौत, खौफनाक कहानी जान खड़े हो जाएंगे रोंगटे

दुनिया का ऐसा टेलीफोन जिसकी हर घंटी के साथ होती है मौत की दस्तक! लाखों लोगों की हो चुकी हाई मौत, खौफनाक कहानी जान खड़े हो जाएंगे रोंगटे

टेलीफोन लोगों से बात करने का एक जरिया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक बार एक टेलीफोन लाखों लोगों की मौत की वजह बन गया था? यह किस्सा जानकर आप हैरान रह जाएंगे। यह टेलीफोन साल 1945 का बताया जाता है। साल 2017 में इस फोन की अमेरिका में नीलामी हुई थी, जिसमें यह करीब दो करोड़ रुपये में बिका था। हालांकि, यह खुलासा नहीं हो पाया है कि इस टेलीफोन को किसने खरीदा था। यह टेलीफोन जर्मनी के खूंखार तानाशाह हिटलर का था। उसे दुनिया के सबसे क्रूर तानाशाहों में से एक माना जाता है। 

मूल रूप से यह फोन काले रंग का था, जिसे बाद में लाल रंग से रंग दिया गया। इस फोन पर हिटलर का नाम और स्वास्तिक भी बना हुआ है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद साल 1945 में बर्लिन में हिटलर के बंकर से यह टेलीफोन बरामद हुआ था। तब से लेकर साल 2017 तक यह फोन एक डिब्बे में सुरक्षित रखा गया था, जब तक कि इसकी नीलामी नहीं हो गई। हिटलर को यह फोन वेहरमैच ने दिया था। 

कहा जाता है कि 40 के दशक में हिटलर ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अपने नाजी सैनिकों को आदेश देने के लिए इसी फोन का इस्तेमाल किया था और उसके बाद नाजी बंधकों को गोली मारकर या गैस चैंबर में जलाकर मार देते थे। हिटलर यहूदियों का कट्टर दुश्मन था। कहा जाता है कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पोलैंड में हिटलर की नाजी सेना द्वारा बनाए गए यातना शिविरों में करीब 10 लाख लोगों की जान चली गई थी, जिनमें से अधिकतर यहूदी थे। नाजियों का यह यातना शिविर पोलैंड में है, जिसे 'ऑशविट्ज़ कैंप' के नाम से जाना जाता है।

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