
अगर हम स्वाद के सबसे खराब अनुभव की बात करें, तो अक्सर कड़वे स्वाद को सबसे नापसंद माना जाता है। चाहे बात करेली की हो या नीम की, लोग कड़वे स्वाद से दूरी ही बनाकर रखते हैं। लेकिन हाल ही में वैज्ञानिकों ने ऐसा पदार्थ खोज निकाला है, जिसका स्वाद करेले से कई गुना ज्यादा कड़वा है। इतना कड़वा कि इसे चखने वालों के होश उड़ गए।
मशरूम से निकला कड़वापन का 'बॉस'
यह कड़वा पदार्थ कोई केमिकल नहीं, बल्कि एक प्राकृतिक मशरूम है। इस मशरूम का नाम है अमारोपोसटिया स्टिपटिका (Amauropelta stipitica), जिसे आमतौर पर 'बिटर बिकेट मशरूम' के नाम से जाना जाता है। इसे जर्मनी की टेकिनिकल यूनिवर्सिटी ऑफ म्यूनिख के लेब्निट्ज़ इंस्टीट्यूट फॉर फूड सिस्टम बायोलॉजी के वैज्ञानिकों ने खोजा है।
वैज्ञानिकों का दावा है कि यह मशरूम अब तक खोजा गया दुनिया का सबसे कड़वा प्राकृतिक पदार्थ है।
कैसे हुआ यह अनोखा खुलासा?
वैज्ञानिकों ने बताया कि आमतौर पर वे ऐसे अणुओं की खोज करते हैं जो कड़वे स्वाद के लिए जिम्मेदार होते हैं। यह मशरूम एक मरे हुए पेड़ की लकड़ी पर उगता है और जब इसकी रासायनिक संरचना की जांच की गई, तो पता चला कि इसमें TAS2R नामक रिसेप्टर को सबसे ज़्यादा उत्तेजित करने वाले तत्व मौजूद हैं।
TAS2R रिसेप्टर इंसानी जीभ में मौजूद एक ऐसा रिसेप्टर है जो कड़वे स्वाद को पहचानने में अहम भूमिका निभाता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अब तक लगभग 2,500 कड़वे पदार्थों की खोज की जा चुकी है, लेकिन इंसान की जीभ केवल 800 के करीब स्वादों को ही पहचान सकती है।
कैसा दिखता है ये मशरूम?
अमारोपोसटिया स्टिपटिका देखने में एकदम मोम जैसे चिकना और चिपचिपा होता है। यह खासकर मरे हुए पेड़ों की टहनियों और तनों पर उगता है। शुरुआत में वैज्ञानिकों को भी शक हुआ कि यह मशरूम कहीं जहरीला तो नहीं। लेकिन बाद में परीक्षणों में पाया गया कि यह जहरीला नहीं, बल्कि खालिस कड़वा और तीखा है।
इस मशरूम को चखने के बाद लोगों ने बताया कि इसका स्वाद गले में तेज जलन पैदा करता है और जीभ पर लंबे समय तक कड़वापन बना रहता है।
क्या कड़वा मतलब जहरीला?
इस खोज के साथ ही एक और रोचक तथ्य सामने आया। वैज्ञानिकों ने कहा कि यह धारणा गलत है कि हर कड़वी चीज जहरीली होती है। दरअसल, कई जहरीले पदार्थ स्वाद में मीठे या बेस्वाद होते हैं। वहीं, कुछ अत्यधिक कड़वे पदार्थ बिल्कुल हानिरहित हो सकते हैं।
क्यों है यह खोज खास?
यह खोज केवल स्वाद या खाद्य जगत के लिए ही नहीं, बल्कि दवा उद्योग और रसायन विज्ञान के लिए भी बेहद अहम मानी जा रही है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस मशरूम के अणु भविष्य में कड़वे स्वाद वाले परखनली परीक्षण (bitter taste assays) के लिए मानक रूप में इस्तेमाल किए जा सकते हैं। इससे नई दवाओं में छिपे कड़वे स्वादों की पहचान और उन्हें कम करने के उपाय खोजे जा सकते हैं।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ ‘Weird Mushroom’
इस मशरूम को लेकर लोगों में इतनी उत्सुकता है कि इसे इंटरनेट पर ‘Weird Mushroom’ कहा जा रहा है। कई फूड ब्लॉगर्स और वैज्ञानिक समुदाय के लोग इस मशरूम के वीडियो और फोटोज़ शेयर कर रहे हैं।
कुछ सोशल मीडिया यूज़र्स ने लिखा:
-
"करेला भी शर्मिंदा हो जाएगा इसका स्वाद चखकर!"
-
"अगर कोई कहे कि ये सबसे कड़वा है, तो यकीन कर लो।"
-
"भविष्य में शायद इसे कड़वेपन की अंतरराष्ट्रीय इकाई बना दिया जाए।"
निष्कर्ष
अमारोपोसटिया स्टिपटिका या बिटर बिकेट मशरूम की यह खोज साबित करती है कि प्रकृति में स्वाद का संसार कितना विविध और रहस्यमयी है। यह न केवल वैज्ञानिकों की जिज्ञासा को बढ़ाने वाला है, बल्कि मानव शरीर के स्वाद रिसेप्टरों की क्षमता को समझने में भी मदद करेगा।
अब देखना यह है कि आने वाले समय में इस मशरूम से और क्या-क्या रहस्य खुलते हैं। लेकिन फिलहाल इतना तय है कि यह दुनिया की सबसे कड़वी चीजों में टॉप पर है, और इसके सामने करेला भी फीका लगने लगा है।