इस देश के सामने मंडरा रहा है दुनिया का सबसे बड़ा आर्थिक संकट, 50 लाख में मिल रहे 1 किलो टमाटर

दुनिया के कई देशों ने आर्थिक संकट का सामना किया है, लेकिन वेनेजुएला में जो हालात हैं, वे आज दुनिया के सबसे बड़े आर्थिक संकट में से एक बन चुके हैं। यहां की मुद्रा बोलिवर इतनी बेकार हो चुकी है कि लोग एक किलो टमाटर खरीदने के लिए 50 लाख बोलिवर चुकाने को मजबूर हैं।
अगर आप भारत में 50 रुपये किलो टमाटर को महंगा मानते हैं, तो आपको वेनेजुएला की कीमतें जानकर यकीन नहीं होगा।
हाइपरइन्फ्लेशन का कहर
वेनेजुएला पिछले कई वर्षों से आर्थिक मंदी के दौर में है, लेकिन बीते कुछ सालों में स्थिति इतनी बिगड़ गई है कि महंगाई दर 10 लाख फीसदी तक पहुंच गई है। इस हद तक महंगाई किसी देश की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह तोड़कर रख देती है।
खाद्यान्न, दवाइयां, ईंधन और अन्य जरूरी वस्तुएं आम लोगों की पहुंच से बाहर हो गई हैं।
सरकारी आंकड़ों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के अनुसार, हर 26 दिन में वस्तुओं की कीमतें दोगुनी हो रही हैं।
खाने के लिए पैसे नहीं, नोट की कोई कीमत नहीं
देश में नकदी का संकट इस कदर बढ़ गया है कि लोगों को खाने के लिए बोरियों में नोट लेकर बाजार जाना पड़ता है। लेकिन इन नोटों की वास्तविक क्रय शक्ति शून्य के बराबर हो गई है।
यहां एक कॉफी के कप की कीमत 25 लाख बोलिवर है। इसी तरह:
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2.4 किलो चिकन – 1 करोड़ 46 लाख बोलिवर (लगभग 2.22 USD)
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एक टॉयलेट पेपर रोल – 26 लाख बोलिवर
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8-10 गाजर – 30 लाख बोलिवर
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1 किलो चावल – 25 लाख बोलिवर
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1 पैकेट सैनेटरी पैड – 35 लाख बोलिवर
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1 किलो मीट – 9.5 लाख बोलिवर
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1 किलो पनीर – 75 लाख बोलिवर
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और 1 किलो टमाटर – 50 लाख बोलिवर
यहां की हालत यह हो गई है कि लोग बोलते हैं: “पैसे से ज्यादा कागज़ की वैल्यू रह गई है।”
सरकार के फैसले और विवाद
राष्ट्रपति निकोलस मादुरो की सरकार ने इस संकट से निपटने के लिए कई कदम उठाए, जिनमें 2016 की नोटबंदी और हाल में मुद्रा से 5 शून्य हटाना प्रमुख रहे। नई करंसी का नाम ‘सॉवरेन बोलिवर’ रखा गया और इसका 95% अवमूल्यन कर दिया गया।
सरकार की माने तो यह एक “आर्थिक युद्ध” है जिसमें विदेशी ताकतें शामिल हैं। वहीं अर्थशास्त्री इसे गलत आर्थिक नीतियों का नतीजा बताते हैं।
मादुरो सरकार ने यह भी घोषणा की कि 1 सितंबर से न्यूनतम वेतन 34 गुना बढ़ाया जाएगा। हालांकि जानकार मानते हैं कि यह फैसला महंगाई और बढ़ा सकता है, क्योंकि बाजार में नकदी बढ़ेगी, लेकिन वस्तुएं पहले से ही सीमित हैं।
सुविधाएं ठप, जनता त्रस्त
आज वेनेजुएला में सिर्फ महंगाई नहीं, बिजली, पानी, यातायात और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सेवाएं भी ध्वस्त हो चुकी हैं। अस्पतालों में दवाइयों की कमी है, स्कूलों में शिक्षक नहीं, और बाजारों में सामान नहीं।
इस संकट से तंग आकर लाखों लोग देश छोड़कर पलायन कर चुके हैं। ब्राजील, कोलंबिया, पेरू जैसे पड़ोसी देशों में शरणार्थियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
निष्कर्ष: एक देश, एक संकट और एक चेतावनी
वेनेजुएला की स्थिति पूरी दुनिया के लिए एक चेतावनी है कि जब कोई सरकार अर्थव्यवस्था की मूलभूत समस्याओं को नजरअंदाज करती है, तब हालात इस हद तक बिगड़ सकते हैं कि पैसे का कोई मतलब नहीं रह जाता।
आज वेनेजुएला में 50 लाख बोलिवर में टमाटर मिल रहे हैं, लेकिन असल में यहां के लोग भूख, बेबसी और बेरोजगारी से जूझ रहे हैं। एक ऐसा देश जो तेल की दौलत में कभी अमीर था, अब दुनिया की सबसे खराब आर्थिक हालत का शिकार है।
यह कहानी सिर्फ वेनेजुएला की नहीं, हर उस देश की है जो आर्थिक प्रबंधन में चूक करता है।