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जिस मराठा साम्राज्य के मंदिर को चोरों ने फिल्मी अंदाज में लूटा, उसके बारे में जान हैरान रह जाएंगे

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महाराष्ट्र के पालघर ज़िले के प्रसिद्ध वजरेश्वरी मंदिर में हाल ही में एक चौंकाने वाली डकैती की घटना सामने आई है। शुक्रवार को पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, यह वारदात किसी बॉलीवुड फिल्म की पटकथा जैसी लगती है। इस घटना ने न केवल श्रद्धालुओं को झकझोर दिया है, बल्कि पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है।

तलवार-चाकू से लैस थे डकैत, गार्ड को बनाया बंधक

पुलिस के अनुसार, यह घटना शुक्रवार तड़के करीब सुबह 3 बजे की है। चार से पांच की संख्या में आए डकैतों ने मंदिर परिसर में घुसकर सबसे पहले वहां मौजूद सुरक्षा गार्ड को बांध दिया। हथियारों से लैस इन अपराधियों ने पूरी योजना के साथ मंदिर के दानपात्र और कोष को तोड़ा और उसमें रखे गए करीब 12 लाख रुपये की नकदी व आभूषण लूट लिए।

पुलिस के लिए भी रहस्यमयी बनी वारदात

इस डकैती को जिस तरह अंजाम दिया गया, उससे पुलिस भी हैरान है। घटनास्थल की जांच के दौरान पुलिस को कोई गोली चलने या संघर्ष के निशान नहीं मिले, जिससे लगता है कि पूरी वारदात बहुत ही चुपचाप और योजनाबद्ध तरीके से की गई। मंदिर परिसर में लगे कुछ CCTV कैमरे भी क्षतिग्रस्त पाए गए, जिससे जांच में और बाधा आ रही है।

मंदिर का गौरवशाली इतिहास

वजरेश्वरी मंदिर कोई आम मंदिर नहीं, बल्कि यह मराठा साम्राज्य की धार्मिक और ऐतिहासिक विरासत का प्रतीक है। यह मंदिर मुंबई से करीब 75 किलोमीटर दूर विरार के पास, एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। श्रद्धालुओं को मंदिर तक पहुँचने के लिए 52 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं

इस मंदिर का निर्माण पेशवा बाजीराव प्रथम के छोटे भाई जनरल चिमाजी अप्पा ने वर्ष 1739 में करवाया था। चिमाजी अप्पा ने पुर्तगालियों के कब्जे से वसई के बेसिन किले को मुक्त कराया था। इस विजय के उपलक्ष्य में उन्होंने देवी वजरेश्वरी को धन्यवाद स्वरूप यह भव्य मंदिर बनवाया।

गर्म पानी के झरनों से भी है प्रसिद्ध

वजरेश्वरी मंदिर के पास स्थित 12 प्राकृतिक गर्म पानी के झरने भी इसे एक आकर्षक तीर्थस्थल बनाते हैं। मान्यता है कि इन झरनों में स्नान करने से चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है। यही कारण है कि दूर-दराज से लोग यहां दर्शन और स्नान के लिए आते हैं।

डकैती के बाद श्रद्धालुओं में आक्रोश

इस दुर्लभ और पूजनीय स्थल पर हुई डकैती से श्रद्धालु नाराज और दुखी हैं। मंदिर प्रबंधन समिति के एक सदस्य ने बताया कि, “यह सिर्फ पैसों की चोरी नहीं है, बल्कि हमारे विश्वास और आस्था पर हमला है।”

स्थानीय लोगों का कहना है कि मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था में पहले से ही कई खामियां थीं, जिनकी शिकायत पहले भी की गई थी, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।

पुलिस जांच में जुटी, ड्रोन और डॉग स्क्वॉड की मदद

पालघर पुलिस ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया है। साथ ही डकैतों की तलाश के लिए डॉग स्क्वॉड, ड्रोन सर्विलांस और फॉरेंसिक विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है। पुलिस का मानना है कि इस वारदात को स्थानीय लोगों की मिलीभगत से अंजाम दिया गया हो सकता है।

इससे पहले भी हो चुकी है मंदिरों में चोरी

यह पहली बार नहीं है जब महाराष्ट्र या भारत के किसी प्रसिद्ध मंदिर को लुटेरों ने निशाना बनाया हो। बीते वर्षों में भी शिरडी, तिरुपति और उज्जैन के मंदिरों में चोरी या डकैती की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। ये घटनाएं दर्शाती हैं कि धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को लेकर व्यवस्थित कदम उठाने की जरूरत है।

निष्कर्ष:

वजरेश्वरी मंदिर न केवल एक धार्मिक केंद्र है, बल्कि यह भारत के गौरवशाली इतिहास और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी है। यहां हुई डकैती ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि अपराधी अब आस्था के स्थलों को भी नहीं बख्श रहे।

अब देखना यह है कि पुलिस इस गुत्थी को कब तक सुलझाती है और क्या डकैतों को जल्द गिरफ़्तार कर मंदिर की प्रतिष्ठा को बहाल किया जा सकेगा?

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