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दुनिया में सबसे महंगे बिकते हैं इस जानवर के आंसू, 26 तरह के जहरीले सांपों के जहर की काट है एक बूंद

सावन का पावन महीना आते ही शिवभक्तों का जनसैलाब गंगा तटों की ओर उमड़ता है। भगवान शिव की कृपा पाने के लिए लाखों श्रद्धालु हरिद्वार, गौमुख और गंगोत्री से गंगाजल लाकर अपने स्थानीय शिवालयों में जलाभिषेक करते हैं। इस धार्मिक उत्सव का उद्देश्य न केवल आस्था बल्कि आत्मिक तपस्या भी होता है। इसी क्रम में एक विशेष कांवरिए की कहानी इन दिनों देशभर में सुर्खियों में है — दिल्ली के नरेला निवासी राहुल कुमार, जो अपनी प्रेमिका के IPS बनने की मन्नत को लेकर 121 लीटर गंगाजल के साथ 220 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर रहे हैं।  ✨ सिर्फ 12वीं पास राहुल, प्रेमिका के सपनों में भागीदार राहुल कुमार ने केवल 12वीं तक की पढ़ाई की है, लेकिन उनका सपना है कि उनकी प्रेमिका एक दिन IPS अधिकारी बने। अपनी सीमाओं के बावजूद, उन्होंने अपने प्यार को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का संकल्प लिया है। राहुल की प्रेमिका UPSC जैसी कठिन परीक्षा की तैयारी कर रही हैं, और राहुल इस सफर में उनका मनोबल बढ़ाने के लिए भगवान शिव का आशीर्वाद मांग रहे हैं।  राहुल कहते हैं,  "जब तक वो IPS नहीं बनतीं, मैं हर साल कांवड़ लाता रहूंगा। ये मेरी तपस्या है, मेरी श्रद्धा है।"  🚶 220 KM की पैदल यात्रा, 121 लीटर गंगाजल कंधे पर राहुल की इस बार की यात्रा हरिद्वार से शुरू हुई है और वे 121 लीटर गंगाजल कंधे पर उठाकर 220 किलोमीटर की दूरी तय कर रहे हैं। यह उनकी चौथी कांवड़ यात्रा है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष उन्होंने 101 लीटर जल चढ़ाया था और इस बार वह इसे बढ़ाकर 121 लीटर लेकर चल रहे हैं, जिससे भगवान शिव को प्रसन्न कर सकें।  राहुल की यह यात्रा सिर्फ एक धार्मिक अभ्यास नहीं, बल्कि प्रेम की गहराई और समर्पण का प्रतीक बन चुकी है।  📱 सोशल मीडिया पर वायरल हुई कहानी राहुल की इस कथा ने सोशल मीडिया पर तूफान ला दिया है। हजारों लोग उनके जज्बे, भक्ति और प्रेम की मिसाल दे रहे हैं। उनकी यह यात्रा एक आधुनिक युग की प्रेम गाथा बन गई है, जहां प्यार केवल भावनाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि समर्पण, तप और आस्था का रूप ले चुका है।  🌧️ चुनौतियों से नहीं डिगे कदम कांवड़ यात्रा कोई आसान राह नहीं होती। भारी ट्रैफिक, उमस, गर्मी और कभी-कभी धार्मिक तनाव जैसी चुनौतियों के बावजूद राहुल की आस्था अडिग है। उन्होंने बताया कि यात्रा के दौरान उन्होंने 150 किलोमीटर की दूरी बिना रुके तय कर ली है। स्थानीय संगठनों और श्रद्धालुओं द्वारा प्रदान किया गया सहयोग उनकी इस कठिन यात्रा को थोड़ी राहत जरूर देता है।  🙏 कांवड़ यात्रा: भक्ति और सेवा का महापर्व राहुल की कहानी सावन की कांवड़ यात्रा को एक नया आयाम देती है। यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन मूल्यों, प्रेम, परिश्रम और विश्वास का संगम है। कांवड़िए नंगे पांव चलते हैं, खाना-पीना सीमित होता है, लेकिन भगवान शिव का नाम और श्रद्धा उनके कंधों को कभी झुकने नहीं देती।  राहुल जैसे श्रद्धालु इस यात्रा को केवल शिव की भक्ति तक सीमित नहीं रखते, बल्कि इसे मानवीय संबंधों की गहराई और पवित्रता से भी जोड़ते हैं।  ❤️ "जब तक वो IPS नहीं बनती, तब तक मेरी ये तपस्या जारी रहेगी" राहुल का यह कथन न केवल उनके प्रेम को दर्शाता है, बल्कि इस बात की मिसाल भी बन गया है कि सच्चा प्रेम केवल भावनाओं में नहीं, कर्म में भी झलकता है।

हर साल भारत समेत दुनिया के कई देशों में सांपों के काटने से हजारों मौतें होती हैं। खासकर किंग कोबरा, रसेल वाइपर और करैत जैसे सांपों के काटने से कुछ ही पलों में जान चली जाती है। इनका जहर इतना तेज़ होता है कि समय पर सही इलाज नहीं मिले तो बचना मुश्किल हो जाता है। लेकिन अब उम्मीद की एक नई किरण सामने आई है – ऊंट के आंसू।

NRCC की रिसर्च में यह साबित हुआ कि ऊंट के आंसुओं में विशेष प्रकार की एंटीबॉडी मौजूद होती हैं, जो सांप के जहर के असर को प्रभावी रूप से निष्क्रिय कर सकती हैं।

 कैसे हुई रिसर्च?

NRCC के वैज्ञानिकों ने ऊंटों को सॉ-स्केल्ड वाइपर जैसे खतरनाक सांप का जहर दिया और फिर उनके आंसुओं और ब्लड सैंपल्स की जांच की। जांच में यह सामने आया कि ऊंट के शरीर ने उस जहर के खिलाफ एंटीबॉडीज बना लीं, और उस जहर के असर को रोक दिया।

यह प्रयोग कई बार दोहराया गया और हर बार परिणाम सकारात्मक रहे। अब यह साबित हो चुका है कि ऊंट के आंसू सिर्फ नमकीन जल नहीं, बल्कि प्राकृतिक जीवनरक्षक सीरम हैं।

 अन्य देशों के रिसर्च ने भी की पुष्टि

  • लिवरपूल स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन की एक रिसर्च में भी यह बात मानी गई कि ऊंट के आंसुओं से सांप के जहर की दवा बनाई जा सकती है।

  • दुबई की सेंट्रल वेटरनरी रिसर्च लेबोरेटरी ने भी पाया कि ऊंट की इम्युनिटी बेहद मजबूत होती है और उससे निकली एंटीबॉडीज ज़हर से लड़ने में सक्षम हैं।

क्यों खास है ऊंट से बना एंटीवेनम?

  1. कम एलर्जिक रिएक्शन: घोड़े से तैयार किए गए एंटीवेनम में जहां एलर्जी की शिकायतें ज़्यादा होती हैं, वहीं ऊंट से बने एंटीवेनम से यह खतरा बेहद कम हो जाता है।

  2. ज्यादा असरदार: ऊंट के आंसुओं से बना एंटीवेनम 26 तरह के जहरीले सांपों के जहर को निष्क्रिय करने में सक्षम है।

  3. सस्ती प्रक्रिया: ऊंट से एंटीबॉडी निकालना आसान और किफायती है। इससे दवाओं की लागत भी कम आएगी।

 किसानों के लिए वरदान बनी रिसर्च

NRCC अब ऊंट पालकों से संपर्क कर रहा है और उन्हें आंसू व ब्लड सैंपल देने के लिए आमंत्रित कर रहा है। इसके बदले किसानों को प्रति ऊंट 5 से 10 हजार रुपये महीना मिल रहा है। यह एक नया राजस्व स्रोत बन सकता है, खासकर राजस्थान, गुजरात और अन्य ऊंटपालक क्षेत्रों में।

 ऊंट के आंसुओं की कीमत क्यों है सबसे ज्यादा?

  • किसी भी जानवर के आंसुओं में इतनी जटिल और प्रभावशाली एंटीबॉडी नहीं होतीं।

  • ऊंट का आंसू केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ही नहीं बल्कि व्यावसायिक रूप से भी बेहद कीमती हो चुका है।

  • आने वाले समय में ऊंट के आंसू दुनिया के सबसे महंगे जैविक पदार्थों में गिने जा सकते हैं।

 क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

NRCC के वरिष्ठ वैज्ञानिक कहते हैं कि अगर यह तकनीक बड़े स्तर पर विकसित हो जाए तो भारत जैसे देश में, जहां हर साल 50 हजार से ज़्यादा लोग स्नेकबाइट से मरते हैं, उनके लिए ये जीवनदान हो सकता है।

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