इस गुफा में छिपा है कलयुग के अंत का रहस्य, भगवान गणेश के कटे हुए सिर को भी रखा गया यहां

भारत में प्राचीन समय से जुड़े रहस्यमय स्थल और उनकी कहानियां आज भी लोगों के दिलों में जीवित हैं। ऐसी ही एक रोचक और रहस्यमयी कहानी ओड़िशा राज्य के पाताल भुवनेश्वर गुफा से जुड़ी हुई है। यह गुफा न केवल अपनी ऐतिहासिक और धार्मिक महत्वता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहाँ छिपे एक रहस्य के कारण भी यह स्थल बहुत दिलचस्प है। यह कहानी भगवान गणेश के बारे में है, जिन्हें हिंदू धर्म में सर्वोत्तम और प्रथम पूज्य देवता माना जाता है।
भगवान गणेश को उनके हाथी के सिर और मानव शरीर के रूप में पहचाना जाता है, और उनकी पूजा प्रत्येक शुभ कार्य से पहले की जाती है। उनकी कथा में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आता है जब भगवान शिव ने गणेश का सिर काट दिया था। इस कथा से जुड़ी एक और अनोखी बात है, जिसे बहुत कम लोग जानते हैं — भगवान गणेश का कटा हुआ सिर आज भी एक गुफा में मौजूद है।
पाताल भुवनेश्वर गुफा: गणेश के कटा हुआ सिर का रहस्य
पाताल भुवनेश्वर गुफा, जो उत्तराखंड के पिथौड़ागढ़ जिले के गंगोलीहाट से करीब 14 किलोमीटर दूर स्थित है, को भगवान गणेश के कटे सिर की रक्षा का स्थान माना जाता है। मान्यता के अनुसार, जब भगवान शिव ने क्रोधित होकर भगवान गणेश का सिर काट दिया था, तो उन्होंने इस सिर को पाताल भुवनेश्वर गुफा में छुपा दिया था। इस गुफा को विशेष रूप से अद्भुत माना जाता है क्योंकि यहाँ भगवान गणेश की कटी हुई मूर्ति के ऊपर एक चमत्कारी चट्टान स्थित है, जिसे 108 पंखुड़ियों वाला ब्रह्मकमल कहा जाता है।
इस ब्रह्मकमल से दिव्य बूंदें गिरती हैं, और यह बूंदें गणेश के शिलारूपी मस्तक में गिरती दिखाई देती हैं। यह दिव्य बूंदें विशेष रूप से इस स्थान की पवित्रता और भगवान शिव की शक्तियों को दर्शाती हैं। कहा जाता है कि इस ब्रह्मकमल को भगवान शिव ने स्वयं यहां स्थापित किया था।
गुफा में और क्या विशेषताएँ हैं?
पाताल भुवनेश्वर गुफा में चारों युगों के प्रतीक रूप में चार पत्थर स्थापित हैं। इनमें से एक पत्थर जिसे कलयुग का प्रतीक माना जाता है, वह धीरे-धीरे ऊपर उठ रहा है। यह एक अद्भुत घटना मानी जाती है, और इसे एक भविष्यवाणी के रूप में देखा जाता है। मान्यता के अनुसार, जिस दिन यह पत्थर दीवार से टकराएगा, उस दिन कलयुग का अंत हो जाएगा।
यह गुफा न केवल गणेश के कटे सिर के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां और भी कई पवित्र स्थान हैं। भक्तों को केदारनाथ, बद्रीनाथ, और बाबा अमरनाथ के दर्शन भी इस गुफा में होते हैं। बाबा अमरनाथ की गुफा में पत्थर की बड़ी-बड़ी जटाएं फैली हुई हैं, जो इस स्थान की और भी रहस्यमयता को बढ़ाती हैं।
कालभैरव की जीभ और मोक्ष की प्राप्ति
पाताल भुवनेश्वर गुफा में एक और रहस्य है, जो भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति से जोड़ता है। यहाँ कालभैरव की जीभ के दर्शन होते हैं। मान्यता है कि अगर कोई इंसान कालभैरव की जीभ से गर्भ में प्रवेश कर उसकी पूंछ तक पहुँच जाए, तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह घटना गुफा की अद्भुत शक्ति और उसके रहस्य को और भी गहरा कर देती है।
आदिशंकराचार्य की खोज
पाताल भुवनेश्वर गुफा की खोज का श्रेय आदिशंकराचार्य को जाता है, जिन्होंने इस गुफा को पुनः खोजा और वहां भगवान गणेश की मूर्ति की पूजा की शुरुआत की। आदिशंकराचार्य ने अपने समय में इस गुफा के महत्व को समझा और इसे पूरे भारत के हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक पवित्र स्थल के रूप में स्थापित किया।
निष्कर्ष
पाताल भुवनेश्वर गुफा ओड़िशा की एक अद्भुत धरोहर है, जो न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यहाँ छिपे रहस्यों की वजह से यह लोगों के बीच चर्चा का विषय भी बनी हुई है। भगवान गणेश का कटा हुआ सिर, ब्रह्मकमल से गिरने वाली दिव्य बूंदें, और कलयुग के प्रतीक पत्थर के बारे में जानकर हर भक्त इस गुफा में आने के लिए प्रेरित होता है। यह स्थान न केवल श्रद्धा और भक्ति का केंद्र है, बल्कि यह मानव जीवन के गहरे रहस्यों को उजागर करने वाला एक अद्भुत स्थल भी है।