भारतीय इतिहास का सबसे डरावना किला जिससे खौफ खाती है भारत सरकार और ASI, वीडियो में जाने क्यों 6 बजे के बाद नहीं मिलती एंट्री

अगर आप दिल्ली में हैं और अपने आने वाले वीकेंड को खास बनाना चाहते हैं, तो आप भानगढ़ किले की रोड ट्रिप प्लान कर सकते हैं। यह किला राजस्थान आने वाले पर्यटकों को खूब आकर्षित करता है। हम सभी ने भानगढ़ किले की कहानियों के बारे में कई बार सुना और पढ़ा है। यह जगह काफी भूतिया है। यह किला 400 साल पुराना है। कहा जाता है कि यहां की आत्माएं पर्यटकों से संवाद करने की कोशिश करती हैं। अगर आप अपने जीवन में ऐसा कुछ अनुभव करना चाहते हैं, तो आपको अपने जीवन में एक बार इस जगह पर जरूर जाना चाहिए।
भानगढ़ किले का इतिहास -
इस किले का निर्माण 17वीं शताब्दी में माधो सिंह ने अपने छोटे बेटे मानसिंह के लिए करवाया था। इस जगह की खास बात यह है कि यहां के घरों में छत नहीं है। ऐसा कहा जाता है कि इस जगह को एक ऋषि ने श्राप दिया था। लोगों का यह भी कहना है कि अगर आप यहां के घरों की दीवारों के पास कान लगाएंगे, तो आपको भूत-प्रेतों की आवाजें सुनाई देंगी। शाम के बाद पर्यटकों को इस किले में रुकने की अनुमति नहीं है।
भानगढ़ किले की कहानी -
कहा जाता है कि भानगढ़ किला जिस जमीन पर बना है, वह गुरु बालूनाथ नामक एक शक्तिशाली तपस्वी की थी। किले का निर्माण शुरू करने से पहले माधो सिंह ने तपस्वी से अनुमति मांगी थी। उन्हें एक शर्त के साथ अनुमति दी गई थी। शर्त यह थी कि किले की छाया कभी भी तपस्वी के घर पर नहीं पड़नी चाहिए वरना कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती थी। हालांकि, उनके उत्तराधिकारी अजब सिंह ने इस शर्त को अनदेखा कर दिया और किले को मजबूत दीवारों से बनवाया। इन दीवारों की छाया तपस्वी के घर पर पड़ी, जिससे भानगढ़ क्षेत्र पूरी तरह से नष्ट हो गया।
भानगढ़ किले तक कैसे पहुँचें -
आमतौर पर भानगढ़ पहुँचने के लिए आपको अलवर जाना पड़ता है। आप राजस्थान के बाहरी शहरों से बस या टैक्सी द्वारा अलवर पहुँच सकते हैं। अगर आप NH 48 से यात्रा करते हैं, तो दिल्ली से भानगढ़ किले की दूरी 283.5 किमी है। इसका मतलब है कि गंतव्य तक पहुँचने में कम से कम 6 घंटे लगेंगे। लेकिन अगर आप जयपुर से यात्रा कर रहे हैं, तो आप 2 घंटे में भानगढ़ पहुँच जाएँगे। भानगढ़ किलो का प्रवेश शुल्क भारतीय पर्यटकों के लिए 40 रुपये और विदेशी पर्यटकों के लिए 200 रुपये है।
भानगढ़ में कहां ठहरें -
भानगढ़ के पास अलवर, सरिस्का या दौसा में किसी होटल में ठहरना सबसे अच्छा विकल्प है।
क्या भानगढ़ किला वाकई भूतिया है -
दरअसल भानगढ़ किला भूतिया नहीं है। यह एक बेहद खूबसूरत किला है, जिसे देखने के लिए कई पर्यटक आते हैं। इस जगह से जुड़ी भूतिया कहानी इस जगह को और भी भूतिया बना देती है। लोगों का कहना है कि ये कहानियां यहां आने वाले पर्यटकों को उत्सुक बनाने के लिए बनाई जाती हैं। हालांकि, यहां कई बरगद के पेड़ हैं, जिसकी वजह से यह जगह बेहद डरावनी है। लेकिन फिर भी शाम 5 बजे के बाद नियम तोड़ने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
भानगढ़ के आसपास घूमने की जगहें -
भानगढ़ किला घूमने के बाद आप इसके आसपास की जगहों पर जा सकते हैं।
बाला किला - इसे अलवर किला भी कहा जाता है। इसे 15वीं शताब्दी में हसन खान मेवाती ने बनवाया था। 300 मीटर ऊंची चट्टान पर स्थित इस किले से आप पूरे शहर को देख सकते हैं। इस किले के छह द्वार हैं- जय पोल, चांद पोल, कृष्ण पोल, सूरज पोल, लक्ष्मण पोल और अंधेरी गेट। यह किला पर्यटकों के लिए सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है।
मोती डूंगरी - मोती डूंगरी अपनी खासियत के कारण काफी लोकप्रिय है। इस जगह पर हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग प्रार्थना के लिए आते हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि यहां बने वीर हनुमान मंदिर और सैयद दरबार के बीच एक भी दीवार नहीं है। यहां आप सुबह भजन और शाम को लाउडस्पीकर पर कव्वाली सुन सकते हैं।
सिटी पैलेस - सिटी पैलेस को विनय विलास पैलेस के नाम से भी जाना जाता है। यहां 15 भव्य और छोटी मीनारें बनी हुई हैं। यहां का संग्रहालय भी बेहद खूबसूरत है, जिसे हर पर्यटक को देखना चाहिए। यह महल सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक खुला रहता है।
भानगढ़ की इन भूतहा कहानियों पर आप यकीन करें या न करें, लेकिन यह जगह आपका मन मोह जरूर लेगी। बस ध्यान रखें कि यहां दिन के समय आएं और एएसआई द्वारा लगाए गए चेतावनी संकेतों का पालन करें।