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इस गांव में एक बार सोए तो कई महीने उठ नहीं पाते हैं लोग, आज तक वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाएं ये रहस्य

आपने रामलीला में कुंभकर्ण के किरदार के बारे में जरूर सुना होगा और टीवी पर देखा भी होगा. जिसमें कुम्भकर्ण छह महीने तक सोता था और छह महीने तक जाग.............
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आपने रामलीला में कुंभकर्ण के किरदार के बारे में जरूर सुना होगा और टीवी पर देखा भी होगा. जिसमें कुम्भकर्ण छह महीने तक सोता था और छह महीने तक जागता था। वह इतनी गहरी नींद सोते थे कि उन्हें जगाने के लिए ढोल बजाना पड़ता था। लेकिन ऐसा रामायण काल ​​में हुआ था.

आज हम आपको हकीकत में कुंभकर्ण नहीं बल्कि कुंभकर्ण गांव के बारे में बताने जा रहे हैं। जहां हर कोई एक बार सो जाता है तो कई दिनों तक नहीं जागता। इस गांव के लोगों की सोने की इस आदत के बारे में सभी डॉक्टर रिसर्च कर रहे हैं कि आखिर माजरा क्या है। यह गांव उत्तरी कजाकिस्तान में स्थित है और इसका नाम कलाची है।

कलाची गांव के लोगों में नींद के प्रति बहुत सम्मान है या कहें तो यह एक ऐसी बीमारी है जिसके कारण यहां का हर व्यक्ति एक बार सोने के बाद कई दिनों तक सोया रहता है। कहा जाता है कि कलाची गांव के करीब 125 लोगों को यह आदत है. इस वजह से कई लोग यहां के लोगों को कुंभकर्ण का रिश्तेदार भी कहते हैं। आपको बता दें कि नींद की बीमारी से पीड़ित इन लोगों को कई तरह की शिकायतें भी होती हैं जिनमें याददाश्त कमजोर होना, हाई ब्लड
हां इस तरह का पहला मामला 2010 में सामने आया था जब कुछ बच्चे स्कूल में अचानक गिर पड़े और फिर सो गए। इसके बाद ऐसे लोगों की संख्या लगातार बढ़ने लगी. लोगों की इस रहस्यमयी बीमारी पर डॉक्टर से लेकर वैज्ञानिक तक शोध कर रहे हैं। इस वजह से लोग इस कचाली गांव को स्लीपी हॉलो कहने लगे हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस बीमारी ने एक जानवर को भी प्रभावित किया है. इसके 55 से अधिक परिवार गांव से बाहर चले गए हैं और इस बीमारी की तह तक जाने के लिए डॉक्टरों और वैज्ञानिकों ने कई परीक्षण भी किए हैं। सोते हुए व्यक्ति को यह याद नहीं रहता कि उसने पहले क्या काम किया था। यह भी कहा जाता है कि इस गांव से कुछ मील की दूरी पर एक यूरेनियम की खदान है जिससे जहरीला धुआं निकलता है।स जहरीले धुएं में सांस लेने से लोगों को इस तरह की बीमारी हो रही है. आपको बता दें कि इस गांव में करीब 660 लोग रहते हैं। जिनमें से करीब 15 प्रतिशत लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं। सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि ये लोग बाजार हो या सड़क, कहीं भी सो जाते हैं। इसके बाद वे कई दिनों तक इधर-उधर सोते हैं।

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