यहां मौजूद हैं दुनिया का ऐसा इकलौता मंदिर जिसके पत्थरों को हाथ लगाने से आती हैं डमरू बजने की आवाज, कोई नहीं सुलझा पाया ये रहस्य

हमारे देश में रहस्यों की कोई कमी नहीं है। ये सारे रहस्य मंदिरों में मौजूद हैं। देश के हर कोने में आपको कोई न कोई ऐसा मंदिर मिल जाएगा जो अपने आप में कोई न कोई रहस्य छुपाए हुए है। आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में आपने आज तक नहीं सुना होगा। इस मंदिर की खास बात यह है कि जब इस मंदिर के पत्थरों को थपथपाया जाता है तो डमरू जैसी आवाज आती है।
भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में स्थित है। इस मंदिर के बारे में दावा किया जाता है कि यह एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है। आपको बता दें कि हिमाचल प्रदेश को देवभूमि कहा जाता है. यहां सैकड़ों मंदिर हैं और सभी मंदिर रहस्यों से भरे हुए हैं। सोलन जिले में मौजूद इस मंदिर का नाम जटोली शिव मंदिर है। आपको बता दें कि दक्षिण-द्रविड़ शैली में बने इस मंदिर की ऊंचाई करीब 111 फीट है।
मंदिर की इमारत स्थापत्य कला का अनोखा उदाहरण है, जो देखने लायक है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि पौराणिक काल में भगवान शिव यहां आए थे र कुछ समय तक यहां रुके थे। बाद में 1950 के दशक में स्वामी कृष्णानंद परमहंस नाम के एक बाबा यहां आए, जिनके मार्गदर्शन और मार्गदर्शन में जटोली शिव मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ।फिर साल 1974 में उन्होंने ही इस मंदिर की नींव रखी. हालाँकि, जब उन्होंने वर्ष 1983 में समाधि ली, तो मंदिर का निर्माण कार्य नहीं रुका, बल्कि मंदिर प्रबंधन समिति ने काम की देखरेख शुरू कर दी
जटोली शिव मंदिर को पूरा होने में लगभग 39 साल लगे। करोड़ों रुपये की लागत से बने इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इसे देश-विदेश के भक्तों द्वारा दिए गए दान से बनाया गया है।यही वजह है कि इसे बनने में तीन दशक से ज्यादा का समय लग गया। मंदिर में जगह-जगह विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं, जबकि मंदिर के अंदर स्फटिक मणि का शिवलिंग है। इसके अलावा यहां भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियां भी स्थापित हैं। वहीं, मंदिर के ऊपरी छोर पर 11 फीट ऊंचा एक विशाल सोने का कलश भी स्थापित किया गया है, जो इसे बेहद खास बनाता है। हर साल देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु यहां आते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।