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भीलवाड़ा का एकमात्र ऐसा मंदिर जहां पर पुलिसकर्मियों द्वारा की जाती है पूजा-अर्चना 

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राजस्थान के भीलवाड़ा जिले को मेवाड़ का प्रवेश द्वार कहा जाता है, लेकिन यह ज़िला केवल भौगोलिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि धार्मिक और सामाजिक आस्था की दृष्टि से भी अत्यंत समृद्ध है। भीलवाड़ा की इसी परंपरा को जीवित रखता है पुलिस लाइन परिसर में स्थित संतोषी माता का ऐतिहासिक मंदिर, जो प्रदेश का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहाँ पुलिसकर्मी स्वयं देवी की पूजा-अर्चना करते हैं। जिस तरह जैसलमेर में तनोट माता मंदिर भारतीय सेना की आस्था का प्रतीक है, उसी प्रकार भीलवाड़ा में यह मंदिर राजस्थान पुलिस के विश्वास और श्रद्धा का केंद्र है।

मेवाड़ भील कॉर्प बटालियन ने करवाया था मंदिर निर्माण

इस मंदिर का निर्माण सन् 1960 से 1970 के बीच मेवाड़ भील कॉर्प (MBC) बटालियन द्वारा करवाया गया था। जब बटालियन का मुख्यालय भीलवाड़ा से उदयपुर स्थानांतरित हो गया, तो मंदिर की जिम्मेदारी स्थानीय पुलिस विभाग को सौंप दी गई। तभी से यह मंदिर पुलिसकर्मियों की धार्मिक आस्था और परंपरा का अभिन्न हिस्सा बन गया।

पुलिसकर्मी निभा रहे हैं पुजारी का दायित्व

मंदिर में हेडकांस्टेबल जमना लाल खारोल जैसे पुलिसकर्मी वर्षों से संतोषी माता की विधिवत पूजा-अर्चना कर रहे हैं। वे कहते हैं, “यह कोई साधारण मंदिर नहीं, बल्कि यह हमारी आत्मिक शक्ति का स्रोत है। जब भी कोई तनाव या संकट आता है, हम यहां माता के चरणों में माथा टेकते हैं और वह हमारी मुरादें अवश्य पूरी करती हैं।” यहां न सिर्फ आरती होती है, बल्कि नवरात्रि, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी और अन्नकूट महोत्सव भी भव्य तरीके से मनाए जाते हैं। खास बात यह है कि मंदिर का सारा विकास कार्य पुलिस विभाग द्वारा मिले दान और सहयोग से किया जाता है, ठीक उसी तरह जैसे तनोट माता मंदिर का संचालन सेना करती है।

पुलिस अधीक्षक भी करते हैं माता से मार्गदर्शन की प्रार्थना

भीलवाड़ा के पुलिस अधीक्षक आदर्श सिधू भी इस मंदिर को लेकर गहरी आस्था रखते हैं। वे कहते हैं, “जब भी पुलिस विभाग किसी संकट या निर्णय के मोड़ पर होता है, हम सभी संतोषी माता के मंदिर जाकर मार्गदर्शन मांगते हैं। माता हमें रास्ता दिखाती हैं और मन को दृढ़ता प्रदान करती हैं।” मंदिर में दिन में दो बार आरती होती है और इसके लिए विशेष रूप से दो पुलिसकर्मियों को नियुक्त भी किया गया है, जो पूरी निष्ठा से अपनी ड्यूटी के साथ पूजा का दायित्व भी निभाते हैं।

श्रद्धालु बनते हैं सुरक्षा बलों के अनुयायी

इस मंदिर की विशेषता केवल यही नहीं कि यह पुलिस द्वारा संचालित है, बल्कि यह भी है कि यह मंदिर आम जनमानस के लिए भी खुला है। यहां आस-पास के जिलों से आने वाले श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। यहां आने वाले कई रिटायर्ड पुलिसकर्मी भी माता के दर्शन के लिए नियमित रूप से आते हैं। रिटायर्ड पुलिसकर्मी राम सिंह पंवार बताते हैं, “मैं इस मंदिर में पुलिस सेवा के दौरान भी आता था और अब भी श्रद्धा से आता हूं। माता की कृपा से जीवन में कई संकटों से पार पाया हूं।”

आस्था और अनुशासन का अद्भुत संगम

भीलवाड़ा का यह संतोषी माता मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था और अनुशासन का अद्भुत संगम है। जहां वर्दीधारी जवान अपने कठिन कर्तव्यों के बीच श्रद्धा का स्थान पाते हैं। यह मंदिर दर्शाता है कि वर्दी में सख्ती के साथ दिल में भक्ति भी होती है।

नवीन युग में धार्मिक धरोहर का संरक्षण

आज जब आधुनिकता की दौड़ में पारंपरिक संस्थाएं और आस्थाएं पीछे छूट रही हैं, ऐसे समय में भीलवाड़ा का संतोषी माता मंदिर एक प्रेरणास्पद उदाहरण है। यह न केवल धार्मिक आस्था को जीवित रखे हुए है, बल्कि पुलिस विभाग की मानवीय और आध्यात्मिक छवि को भी सामने लाता है।

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