भारत की वो इकलौती रहस्यमयी नदी जो उलटी दिशा में बहती है, शिव वरदानी इस नदी का रहस्य जान चौंक जाएंगे आप
भारत के बारे में तो आप सभी जानते ही हैं कि यहाँ नदियों को माँ के रूप में पूजा जाता है। हालाँकि, इन नदियों के बीच कई ऐसी नदियाँ भी हैं जिनका अपना एक अजीबोगरीब इतिहास है। आपको बता दें कि देश में एक ऐसी नदी भी है जो अपने उद्गम स्थल से निकलने के बाद लुप्त हो जाती है और आज तक उसका अस्तित्व खोजा जा रहा है। एक ऐसी नदी भी है जो हमेशा सूखी रहती है, जिसकी रेत हटाकर और उससे जल निकालकर यहाँ आने वाले श्रद्धालु अपने पितरों का तर्पण करते हैं।
जहाँ इन सभी नदियों को माँ का दर्जा दिया गया है, वहीं भारत की एक पुरुष नदी के बारे में आप बहुत कम जानते होंगे। दरअसल इस नदी का नाम ब्रह्मपुत्र नदी है जिसे ब्रह्मा का पुत्र कहा जाता है और इसलिए यह नदी एक पुरुष नदी है। इसी तरह, जिस देश में सभी नदियाँ पश्चिम से पूर्व की ओर बहती हैं, वहाँ एक नदी ऐसी भी है जो विपरीत दिशा में बहती है और सनातन धर्म की मानें तो इसके पीछे का कारण भगवान शिव से मिला वरदान है।
आपको बता दें कि इस नदी का नाम नर्मदा है जिसे भगवान शिव की पुत्री कहा जाता है। इस नदी का प्रवाह पूर्व से पश्चिम की ओर है। इस नदी को रेवा के नाम से भी जाना जाता है। जहाँ अन्य सभी नदियाँ पश्चिम से पूर्व की ओर बहती हैं और बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं, वहीं यह नर्मदा नदी पूर्व से पश्चिम की ओर बहती हुई सीधे अरब सागर में मिल जाती है। मध्य प्रदेश और गुजरात की यह प्रमुख नदी अमरकंटक की चोटी से निकलती है और भ्रंश घाटी में होने के कारण उल्टी दिशा में बहती हुई अरब सागर में गिरती है।
ऐसे में इस नदी के उलटे बहने के पीछे कई पौराणिक मान्यताएँ हैं, जिनका वर्णन वेदों और शास्त्रों में मिलता है। कहा जाता है कि नर्मदा और सोनभद्र का विवाह तय हो गया था, लेकिन नर्मदा की सखी जोहिला के कारण दोनों के बीच मतभेद बढ़ गए और नर्मदा ने आजीवन कुंवारी रहने का संकल्प ले लिया। उन्होंने विपरीत दिशा में बहने का निर्णय लिया था। आपको बता दें कि नर्मदा भी एक निश्चित स्थान पर सोनभद्र से अलग हो जाती है। साथ ही भगवान शिव ने नर्मदा को यह वरदान भी दिया था कि वह उनकी पुत्री के रूप में जानी जाएँगी और उनका एक-एक कंकर शंकर के रूप में पूजा जाएगा। ऐसे में नर्मदा की तेज धाराओं में अलग-अलग शिवलिंग के आकार के अलग-अलग रंग के पत्थर मिलते हैं, जिन्हें लोग अपने घरों में रखकर पूजा करते हैं और इसे नर्मदेश्वर शिवलिंग भी कहते हैं।

