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जयगढ़ किले से आमेर तक जाती रहस्यमयी सुरंग जिसका राज़ वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए, आज भी यहां से आती है खौफनाक आवाजे और चलने की आहट

जयगढ़ किले से आमेर तक जाती रहस्यमयी सुरंग जिसका राज़ वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए, आज भी यहां से आती है खौफनाक आवाजे और चलने की आहट

राजस्थान की भूमि इतिहास, वीरता और वास्तुकला के अद्भुत उदाहरणों से सजी है। जयपुर का जयगढ़ किला और आमेर फोर्ट इस विरासत के दो शानदार स्तंभ हैं। इन दोनों के बीच एक रहस्यमयी सुरंग है, जिसके बारे में लोककथाओं, यात्रियों और स्थानीय निवासियों के बीच कई डरावनी बातें प्रचलित हैं। इस सुरंग को न सिर्फ सैन्य रणनीतियों के लिए बनाया गया था, बल्कि आज यह अपने भयानक किस्सों के लिए भी मशहूर हो चुकी है।इस सुरंग का नाम आते ही लोगों के ज़हन में एक खौफनाक तस्वीर उभरती है — वीरान अंधेरा, सीलन भरी दीवारें, और अचानक सुनाई देने वाली कदमों की आहट। सवाल यह उठता है कि क्या यह सब केवल मन का वहम है या वाकई कुछ ऐसा है जो अब तक रहस्य बना हुआ है?

इतिहास की परतों में छिपा रहस्य
जयगढ़ किला 18वीं सदी में सवाई जयसिंह द्वारा बनवाया गया था, जो राजस्थान की सैन्य ताकत का प्रतीक रहा है। वहीं, आमेर फोर्ट इससे भी पुराना है और यह कछवाहा राजपूतों की राजधानी रहा है। इन दोनों किलों को जोड़ने वाली यह भूमिगत सुरंग कोई आम सुरंग नहीं, बल्कि आपातकालीन सैन्य मार्ग थी, जिसका इस्तेमाल संकट की घड़ी में शाही परिवार और सैनिकों द्वारा भागने के लिए किया जाता था।कहा जाता है कि यह सुरंग करीब 1.2 किलोमीटर लंबी है और घने अंधेरे से भरी हुई है। यह ज़्यादातर भूमिगत है और कई मोड़ों से होकर गुजरती है। हालांकि इसका एक हिस्सा अब सार्वजनिक रूप से खोल दिया गया है, लेकिन इसकी गहराई में ऐसे हिस्से भी हैं जहाँ जाना मना है — और यहीं से शुरू होती है डर की असली कहानी।

सुरंग में सुनाई देती हैं रहस्यमयी आवाज़ें
स्थानीय लोगों और कुछ पर्यटकों के मुताबिक, जब आप इस सुरंग में प्रवेश करते हैं, तो कुछ ही दूरी के बाद एक अजीब-सी खामोशी छा जाती है। यह खामोशी ऐसी होती है जिसमें हर छोटी से छोटी आवाज भी गूंज उठती है — और इसी खामोशी में कभी-कभी सुनाई देती है किसी के चलने की आहट, बिना किसी इंसान के मौजूद होने के।रात के समय या फिर जब वहां कोई नहीं होता, कई बार लोगों ने यह दावा किया है कि उन्होंने किसी के भारी बूटों की आवाज़ें सुनी हैं, मानो कोई सैनिक आज भी गश्त पर हो। कुछ लोगों ने यह भी कहा कि उन्हें अचानक अपने पीछे किसी की सांसों की गरमाहट महसूस हुई — लेकिन पीछे कोई नहीं था।

क्या यह सैनिकों की आत्माएं हैं?
लोककथाओं के अनुसार, इस सुरंग में कई ऐसे राजपूत सैनिकों की मृत आत्माएं बसी हुई हैं, जो युद्ध के समय इस सुरंग के अंदर ही मारे गए थे। कुछ कहानियों में यह भी बताया जाता है कि जब दुश्मन ने आमेर किले पर हमला किया था, तो कई सैनिक और महिलाएं इस सुरंग के ज़रिए भागने की कोशिश में मारे गए। उनकी आत्माएं आज भी यहां भटकती हैं — यही वजह है कि रात में यहां प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाती।

इतिहास से जुड़ी और भी रहस्यमयी बातें
कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इस सुरंग का इस्तेमाल न केवल बचाव के लिए, बल्कि राजकोष और खजाने को छिपाने के लिए भी किया जाता था। कहते हैं, जयगढ़ किले के अंदर मुगलों का छिपा हुआ खजाना था, जिसे सुरंग के ज़रिए दूसरी जगह भेजा गया। इसी प्रक्रिया में कई मजदूर और सैनिक सुरंग में ही मर गए — और शायद आज भी उनकी रूहें वहीं भटक रही हैं।

क्या कहते हैं आधुनिक पर्यटक और गाइड?
आज भी जब आप जयगढ़ किले जाएं, तो गाइड बड़ी दिलचस्पी से इस सुरंग की कहानी सुनाते हैं। हालांकि वे ज्यादा डरावनी बातें नहीं बताते — लेकिन कुछ गाइड दबे स्वर में बताते हैं कि "हमने खुद सुरंग से आते अजीब-सी आवाजें सुनी हैं, खासकर जब वहां कोई नहीं होता।"कुछ साहसी पर्यटक जो पूरे रास्ते को तय करने की कोशिश कर चुके हैं, उनका कहना है कि कुछ हिस्सों में हवा की गति अचानक बदल जाती है, और वहां घुटन-सी महसूस होती है — मानो कोई अदृश्य शक्ति पास से गुजर रही हो।

विज्ञान क्या कहता है?
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो सुरंगों में आवाज़ें गूंजती हैं, हवा की गति और दाब बदलता है, जिससे कभी-कभी भ्रम पैदा हो सकता है। सीलन, अंधेरा और ऑक्सीजन की कमी भी मानसिक भ्रम उत्पन्न कर सकती है। लेकिन जब एक ही जगह पर बार-बार एक जैसी घटनाएं हों, तो केवल भ्रम कहना काफी नहीं लगता।

जयगढ़ किला और आमेर फोर्ट की यह सुरंग न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि एक ऐसा रहस्य भी अपने भीतर समेटे हुए है, जो आज भी लोगों को आकर्षित करता है। क्या यह सिर्फ कहानियां हैं? या फिर वाकई इस सुरंग में कुछ ऐसा है जो आज भी भटक रहा है?शायद जवाब अभी भी अंधेरे में है — ठीक उसी तरह जैसे इस सुरंग के कई हिस्से आज भी रोशनी से कोसों दूर हैं।

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