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भोलेनाथा के इस मंदिर से आज भी सुनाई देती है संगीत की धुन, आज तक कोई नहीं जान पाया इस संगीत का रहस्य?

हमारे देश में अनेक देवी-देवताओं की पूजा की जाती है और इसी वजह से यहां तमाम तरह के मंदिर देखे जा सकते हैं। यहां कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जो अपनी खूबसूरत कलाकृति और अद्भुत कारणों के लिए बहुत प्रसिद्ध हैं। ऐसा ही एक मंदिर तमिलनाडु राज्य के....

हमारे देश में अनेक देवी-देवताओं की पूजा की जाती है और इसी वजह से यहां तमाम तरह के मंदिर देखे जा सकते हैं। यहां कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जो अपनी खूबसूरत कलाकृति और अद्भुत कारणों के लिए बहुत प्रसिद्ध हैं। ऐसा ही एक मंदिर तमिलनाडु राज्य के तिरुनेलवेली में स्थित नेल्लईअप्पार मंदिर है। इस मंदिर में भगवान शिव विराजमान हैं। इसका निर्माण 700 ई.पू. में हुआ था। आज भी यह मंदिर उसी सुंदरता और मजबूती के साथ खड़ा है। भगवान शिव के दर्शन और इस मंदिर की खूबसूरती को देखने के लिए हजारों श्रद्धालु यहां आते हैं, लेकिन इस मंदिर की एक और खास बात है जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है।

खंभों से आती है संगीत की धुन

नेल्लईअप्पार मंदिर की खूबसूरती के साथ-साथ इसके पत्थरों से निकलने वाला मधुर संगीत भी लोगों को खूब आकर्षित करता है। इस मंदिर को संगीत स्तम्भ भी कहा जाता है क्योंकि आप इस मंदिर में स्थित पत्थर के स्तंभों से मधुर संगीत सुन सकते हैं। तिरुनेलवेली मंदिर का निर्माण 7वीं शताब्दी में पांड्यों द्वारा किया गया था।

यह मंदिर 14 एकड़ में फैला है और इसका मुख्य द्वार 850 फीट लंबा और 756 फीट चौड़ा है। इसके संगीत स्तंभों की रचना निंदरेसर नेदुमारन ने की थी, जो उस समय के सबसे महान शिल्पकार माने जाते थे। इस मंदिर में स्थित स्तंभों से बहुत मधुर ध्वनि निकलती है। यहां मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले भक्त इस संगीत से मंत्रमुग्ध होने के साथ-साथ आश्चर्यचकित भी होते हैं। ये खंभे घंटियों जैसी मधुर ध्वनि निकालते हैं।

यही है संगीत का रहस्य

सबसे दिलचस्प बात यह है कि आप इन खंभों से संगीत के सात रंग निकाल सकते हैं। इस मंदिर की वास्तुकला हर किसी को आश्चर्यचकित करती है। यहां 48 स्तंभ एक ही पत्थर से बनाए गए हैं, जबकि सभी 48 स्तंभ मुख्य स्तंभ के चारों ओर हैं। इस मंदिर में कुल 161 स्तंभ हैं जिनसे मधुर संगीत निकलता है। इतना ही नहीं, यदि आप एक खंभे से ध्वनि निकालने का प्रयास करते हैं तो अन्य खंभे भी कंपन करने लगते हैं। इस संबंध में कई शोध भी किए गए हैं।

खंभों में होने वाले कंपन और संगीत के रहस्य पर एक शोध किया गया और इसके बारे में कुछ बातें सामने आईं। शोध के अनुसार इन पत्थर के खंभों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। पहले को श्रीति स्तम्भ, दूसरे को गण थुंगल और तीसरे को लय थुंगल कहा जाता है। इनमें यदि कोई श्रुति स्तंभ पर थपकी देता है तो लय थुंगल से ध्वनि निकलती है, जो यह संकेत देती है कि उनके बीच कोई संबंध है। इसी प्रकार, लय थुंगल पर टैप करने से श्रुति स्तम्भ से ध्वनि उत्पन्न होती है।

इतना ही नहीं, तमिलनाडु राज्य के कुंभकोणम के पास दारासुरम में एरावतेश्वर मंदिर है। इसका निर्माण दक्षिण भारत में 12वीं शताब्दी में राजराजा चोल द्वितीय द्वारा कराया गया था। इस मंदिर की चौकी के दक्षिणी ओर सुन्दर नक्काशी वाली तीन सीढ़ियाँ हैं। ये वो सीढ़ियाँ हैं जिन पर पैर पड़ने से संगीत की ध्वनि निकलती है। यह अपने आप में एक अद्भुत एवं अत्यंत सुंदर मंदिर है। लाखों भक्त भगवान शिव के दर्शन करने और संगीत सुनने के लिए इस मंदिर में आते हैं।

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