Samachar Nama
×

जैसलमेर की वो हवेली जहां दिन में दिखती है शान और रात को होती है आत्माओं की पहरेदारी, जाने क्यों रात जाने से कतराते है लोग 

जैसलमेर की वो हवेली जहां दिन में दिखती है शान और रात को होती है आत्माओं की पहरेदारी, जाने क्यों रात जाने से कतराते है लोग 

राजस्थान की रेतीली भूमि पर बसे जैसलमेर की पहचान सिर्फ उसके किले और सुनहरी रेत से नहीं है, बल्कि यहां की हवेलियां भी अद्भुत रहस्य और इतिहास से भरी हुई हैं। उन्हीं में से एक है – पटवों की हवेली, जिसे दिन में लाखों पर्यटक इसकी शाही वास्तुकला देखने आते हैं, लेकिन रात होते ही इसके गलियारों में अजीब सा सन्नाटा पसर जाता है। स्थानीय लोगों के अनुसार, यह हवेली सिर्फ इतिहास नहीं बल्कि कई रूहों की खामोश कहानियों को भी समेटे हुए है।


ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
पटवों की हवेली का निर्माण 1805 से शुरू हुआ था और यह लगभग 60 वर्षों में पूरी बनी। इसे जैसलमेर के समृद्ध जैन व्यापारी गुमानचंद पटवा ने बनवाया था, जो तत्कालीन समय में व्यापारिक दृष्टि से बेहद प्रभावशाली माने जाते थे। उन्होंने अपने पांच बेटों के लिए पाँच अलग-अलग हवेलियाँ बनवाईं, जो आज "पटवों की हवेली" के नाम से एक संयुक्त ऐतिहासिक स्मारक के रूप में जानी जाती हैं।ये हवेलियां उस दौर की समृद्धि, कला और वास्तुकला का अद्वितीय उदाहरण हैं। जटिल जालीदार खिड़कियाँ (झरोखे), सुंदर भित्ति चित्र और बारीक नक्काशी वाला पीला बलुआ पत्थर इसे राजस्थान की सबसे दर्शनीय हवेलियों में से एक बनाता है।

लेकिन हर इमारत की एक परछाईं होती है...
इतिहास के पन्नों में दर्ज गौरवशाली बातें दिन की रोशनी में तो सामने आती हैं, लेकिन रात के अंधेरे में अक्सर वे रहस्य उभरते हैं जिनसे लोग अनजान रहना ही पसंद करते हैं।स्थानीय कहानियों और गाइड्स के अनुसार, इस हवेली में कुछ घटनाएं ऐसी भी हुई हैं जो इसे एक भूतिया स्थल में बदल देती हैं। हवेली के कुछ बंद कमरों और गलियारों से रात के समय अजीब सी आवाजें सुनाई देने की बातें कई बार कही गई हैं—जैसे कि कोई चलते हुए फर्श पर कदमों की आहट, किसी की फुसफुसाहट, या खिड़कियों से झांकती परछाइयां।

क्या है आत्माओं की कहानी?
कहा जाता है कि पटवा परिवार की अचानक हुई असमय मृत्यु, परिवार में हुए आपसी विवाद और धन के लिए की गई धोखाधड़ी ने हवेली की खुशहाली को एक कालिख की चादर से ढंक दिया। कुछ मान्यताओं के अनुसार, इनमें से एक बेटे ने आत्महत्या की थी, और उसकी आत्मा आज भी हवेली की दीवारों के बीच भटकती है।एक और कहानी कहती है कि हवेली का एक हिस्सा ऐसा भी है जिसे आज तक किसी ने नहीं खोला। कारण? वहां से रात के समय अक्सर रोने की आवाजें आती हैं। ASI (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) के कर्मचारियों ने इन हिस्सों को संरक्षित और बंद कर रखा है, लेकिन स्थानीय गाइड अक्सर इन रहस्यों को सैलानियों से साझा करते हैं।

दिन में स्वर्ग, रात में सन्नाटा
पटवों की हवेली सुबह से शाम तक सैलानियों से गुलजार रहती है। लोग यहां की नक्काशी, राजस्थानी कलाकृति, ऐतिहासिक वस्तुएं और अद्भुत शिल्प देख कर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। लेकिन जैसे ही सूरज ढलता है, हवेली का रूप एकदम बदल जाता है।रात को यहां आने की अनुमति नहीं है। आसपास रहने वाले लोग भी मानते हैं कि शाम होते ही हवेली के आस-पास एक अनजाना डर फैल जाता है। यहां तक कि कुछ सुरक्षाकर्मियों ने यह दावा भी किया है कि उन्होंने अजीब सी परछाइयां और आकृतियां हवेली के अंदर घूमते हुए देखी हैं।

वैज्ञानिक क्या कहते हैं?
वैज्ञानिक नजरिए से देखें तो इन घटनाओं के पीछे मनोवैज्ञानिक और पर्यावरणीय कारण हो सकते हैं। एकांत, पुरानी संरचना और अंधेरा इंसान की कल्पना को अधिक सक्रिय बना देता है, जिससे उसे भ्रमित करने वाले दृश्य या आवाजें सुनाई दे सकती हैं।लेकिन सवाल ये है कि क्या हर गवाह की आंखें धोखा खा सकती हैं?

सैलानियों के लिए एक अलर्ट
अगर आप भी जैसलमेर घूमने का मन बना रहे हैं और इतिहास के साथ थोड़ा रोमांच भी चाहते हैं तो पटवों की हवेली जरूर शामिल करें। लेकिन ध्यान रखें, शाम 6 बजे के बाद यहां जाना वर्जित है, और स्थानीय प्रशासन भी रात में यहां जाने की सख्त मनाही करता है।

Share this story

Tags