जयपुर की पहाड़ियों में छुपा वो किला जहां खून से लिखी गई है इतिहास की सबसे डरावनी दास्तां, वीडियो में देख डर से कांप जाएंगे आप
राजस्थान की राजधानी जयपुर अपने भव्य महलों, रंग-बिरंगे बाजारों और शाही इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन गुलाबी शहर की खूबसूरत परतों के नीचे छिपी है एक ऐसी विरासत, जो खूबसूरत कम और खौफनाक ज्यादा लगती है—नाहरगढ़ किला, एक किला जो कभी शाही सुरक्षा का प्रतीक था, लेकिन समय के साथ यह खून, रहस्य और आत्माओं की कहानियों से जुड़ गया।
किले की बनावट और शाही रणनीति
नाहरगढ़ किला अरावली पर्वत श्रृंखला की ऊँचाई पर स्थित है और जयपुर शहर को एक ऊँचाई से देखता है। 1734 में महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने इस किले का निर्माण करवाया था, जिसका मूल उद्देश्य था राजधानी की सुरक्षा सुनिश्चित करना और एक सुरक्षित रिट्रीट तैयार करना।नाहरगढ़, जयगढ़ और आमेर—इन तीन किलों की त्रयी जयपुर की सुरक्षा दीवार मानी जाती थी। लेकिन जहां आमेर अपनी खूबसूरती और जयगढ़ अपनी तोपों के लिए जाना जाता है, वहीं नाहरगढ़ का इतिहास डर और रहस्यों से जुड़ा है।
"नाहर" नाम क्यों पड़ा?
इस किले को पहले "सुदर्शनगढ़" कहा जाता था, लेकिन एक अजीब घटना के बाद इसका नाम बदल दिया गया। ऐसा कहा जाता है कि जब इस किले का निर्माण शुरू हुआ, तो हर बार इसकी नींव अपने आप ढह जाती थी। बाद में ज्योतिषियों और संतों ने बताया कि इस भूमि पर एक राजपूत योद्धा नाहर सिंह भोंमिया की आत्मा भटक रही है, जो इस निर्माण को स्वीकार नहीं कर रही।राजा ने तब एक मंदिर बनवाया और किले का नाम नाहरगढ़ रख दिया, जिससे आत्मा को सम्मान दिया जा सके। इसके बाद ही किले का निर्माण सफलतापूर्वक पूरा हो पाया। आज भी किले के प्रवेश द्वार के पास नाहर सिंह का छोटा सा मंदिर देखा जा सकता है।
खून से सना इतिहास
इतिहासकारों का कहना है कि नाहरगढ़ किला कभी युद्ध में नहीं गया, लेकिन यहां खून की कहानियां फिर भी रुकती नहीं। सबसे चर्चित कहानी है 1857 की क्रांति की, जब अंग्रेजों से अपनी मित्रता दिखाने के लिए महाराजा राम सिंह ने क्रांतिकारियों के कुछ नेताओं को नाहरगढ़ किले में कैद करवाया और कथित रूप से उनकी हत्या करवा दी। ये हत्या एक गुप्त कमरे में की गई, जिसका दरवाज़ा आज भी हमेशा बंद रहता है।कुछ लोककथाओं में यह भी कहा जाता है कि किले में काम कर चुके कुछ कारीगरों को उनके रहस्यों को छुपाने के लिए मार दिया गया था। आज भी स्थानीय गाइड्स बताते हैं कि किले के कुछ हिस्सों में अजीब सी आवाजें आती हैं, खासकर रात के समय।
अंग्रेजों के खिलाफ गुप्त रणनीति
एक अन्य उल्लेखनीय घटना यह है कि 1857 की क्रांति के समय, जब अंग्रेजों के खिलाफ देशभर में बगावत हो रही थी, तब जयपुर रियासत ने उन्हें समर्थन दिया। लेकिन यह समर्थन एकतरफा नहीं था। नाहरगढ़ किला उस दौरान एक गुप्त बंकर जैसा उपयोग किया गया, जहां बगावत को दबाने की रणनीतियां बनती थीं। यह भी कहा जाता है कि कुछ राजघराने के गुप्तचर यहीं से संचालन करते थे।
आत्माओं की कहानियां और डर
आज नाहरगढ़ किला एक पर्यटन स्थल बन चुका है, लेकिन शाम ढलते ही यहां सन्नाटा छा जाता है। कई लोगों ने यह दावा किया है कि उन्होंने किले की दीवारों के पास किसी को चलते हुए देखा, लेकिन जब पास गए तो वहां कोई नहीं था। कुछ स्थानीय कर्मचारी यहां तक कहते हैं कि रात को किला पूरी तरह बंद कर दिया जाता है क्योंकि अंदर किसी "अनदेखी शक्ति" की मौजूदगी महसूस होती है।
बॉलीवुड का आकर्षण, लेकिन डर कायम
नाहरगढ़ किला अपने रहस्य और खूबसूरती के कारण बॉलीवुड की पसंदीदा जगह बन चुका है। ‘Rang De Basanti’ और कई अन्य फिल्मों की शूटिंग यहां हुई है। लेकिन फिल्म क्रू भी इस बात को स्वीकार करता है कि शूटिंग के दौरान कई तकनीकी गड़बड़ियां और अजीब घटनाएं सामने आईं, जिनका कोई तार्किक कारण नहीं मिल पाया।
निष्कर्ष: रहस्य, इतिहास और श्रद्धा का संगम
नाहरगढ़ किला एक ऐसा स्थान है जहां इतिहास, आत्मा और रहस्य एक साथ सांस लेते हैं। यह न सिर्फ एक सैन्य किला था बल्कि एक ऐसी जगह है जिसने समय के साथ खामोश लेकिन खून से लिखी हुई कहानियों को अपने पत्थरों में कैद किया है।जो लोग सिर्फ जयपुर की चमक-धमक को देखते हैं, उन्हें एक बार इस किले की शांत दीवारों के पीछे छुपे इतिहास की गूंज को जरूर सुनना चाहिए।

