Samachar Nama
×

इस जीव की एक थाप से ही कांप जाती है धरती, पार्टनर को पटाने के लिए लाता है ‘भूकंप’!

kkk

प्रकृति अपने आप में रहस्य और चमत्कारों से भरी हुई है। हर दिन हम ऐसे-ऐसे जीवों और घटनाओं के बारे में जान पाते हैं, जो हमारी सोच से भी परे होते हैं। ऐसा ही एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है दक्षिणी यूरोप से, जहां पाया जाने वाला एक खास तरह का नर केकड़ा अपनी मादा साथी को आकर्षित करने के लिए ‘भूकंप जैसी तरंगों’ का उपयोग करता है।

जी हां, आपने सही पढ़ा! ये केकड़ा इंसानों की तरह सीटी बजाकर या गाना गाकर नहीं, बल्कि धरती में कंपन पैदा करके अपने प्यार का इज़हार करता है। यह रहस्य वैज्ञानिकों के लिए भी किसी आश्चर्य से कम नहीं है। इस अनोखी खोज ने यह सिद्ध कर दिया है कि प्रकृति में प्रेम की भाषा सिर्फ आवाज़ों या रंगों की नहीं, बल्कि कंपन की भी हो सकती है।

कंपन के जरिए केकड़ा कैसे करता है प्रेम प्रस्ताव?

यह कहानी है यूरोपीय फिडलर केकड़ों (प्रजाति: Afruca tangeri) की, जो मुख्य रूप से दक्षिणी यूरोप और उत्तर-पश्चिम अफ्रीका के समुद्री तटों पर पाए जाते हैं। इन नर केकड़ों की एक खासियत होती है — इनका एक पंजा बेहद बड़ा होता है, जिसे वे अपने इशारों, संकेतों और अब ज्ञात हुए तरीकों से मादा को आकर्षित करने में उपयोग करते हैं।

वैज्ञानिकों के अनुसार, जब ये केकड़े अपने साथी को आकर्षित करना चाहते हैं, तो वे अपने बड़े पंजे या खोल को ज़मीन पर जोर से पटकते हैं, जिससे धरती में हल्की-हल्की तरंगें पैदा होती हैं। ये तरंगें भले ही इंसानों को महसूस न हों, लेकिन केकड़ों के लिए ये एक स्पष्ट और मजबूत संकेत होती हैं — ठीक उसी तरह जैसे भूकंप के समय धरती में तरंगें दौड़ती हैं।

मादा कैसे करती है पसंद का चुनाव?

इस प्रक्रिया के दौरान मादा केकड़ा कंपन की तीव्रता और आवृत्ति से यह समझने की कोशिश करती है कि कौन-सा नर सबसे ताकतवर है। यानी, जो नर केकड़ा सबसे अधिक कंपन पैदा कर पाता है, मादा को वही सबसे उपयुक्त साथी लगता है।

इसका मतलब ये हुआ कि नर केकड़ों के बीच प्रेम की लड़ाई “धरती हिला देने” तक जाती है, और जो इस भूकंपीय प्रेम युद्ध में विजयी होता है, वही मादा के दिल में जगह बना पाता है।

वैज्ञानिकों की रिसर्च ने खोले नए राज

इस अद्भुत व्यवहार को समझने के लिए वैज्ञानिकों ने 8,000 से ज्यादा केकड़ों पर बारीकी से अध्ययन किया। उन्होंने केकड़ों द्वारा पैदा की गई तरंगों को रिकॉर्ड किया और फिर उन कंपन को मशीन लर्निंग मॉडल्स के ज़रिए विश्लेषित किया।

रिसर्च में पता चला कि मशीनें अब केकड़ों द्वारा उत्पन्न कंपन को 70% तक की सटीकता के साथ पहचान सकती हैं। इसका मतलब है कि वैज्ञानिक अब इस व्यवहार को और गहराई से समझ सकते हैं और यह जान सकते हैं कि कौन-से कंपन मादा को ज्यादा पसंद आते हैं।

प्रकृति की अनसुनी भाषा

यह खोज एक बार फिर हमें यह बताती है कि प्रेम और आकर्षण की भाषा केवल इंसानों तक सीमित नहीं है। जानवर भी अपने-अपने तरीके से संवाद करते हैं — कोई रंग से, कोई गंध से, और अब, जैसा कि देखा गया, कोई कंपन से भी।

यह तकनीक भविष्य में पृथ्वी के अन्य जीवों के संचार के तरीकों को समझने में भी मदद कर सकती है। साथ ही यह मशीन लर्निंग और बायोलॉजी के मेल का एक बेहतरीन उदाहरण भी है।

निष्कर्ष

यूरोपीय फिडलर केकड़ों की यह प्रेम कहानी हमें प्रकृति की गहराई और जटिलता की एक झलक देती है। जिस तरह से ये छोटे से जीव भूकंप जैसी तरंगों के ज़रिए संवाद करते हैं, वह ना केवल विज्ञान के लिए एक नई दिशा खोलता है, बल्कि इंसानों को भी यह सिखाता है कि भावनाओं और रिश्तों के इज़हार के तरीके कितने अनोखे और विविध हो सकते हैं।

इस रिसर्च से एक बात तो साफ है — प्रकृति के पास हर भावना को व्यक्त करने के लिए अपनी खुद की रहस्यमयी भाषा होती है, जिसे समझने के लिए हमें केवल आंखों से नहीं, बल्कि दिल और दिमाग दोनों खोलने की जरूरत है।

Share this story

Tags