भानगढ़ किले की वो छतरी जहां तांत्रिक सिंधु सेवड़ा करता था तंत्र साधना, वीडियो में वहाँ का खौफनाक नजारा देख काँप जाएगी रूह

राजस्थान का भानगढ़ किला हमेशा से ही रहस्यों और डरावनी कहानियों का केंद्र रहा है। अलवर जिले के अरावली की तलहटी में स्थित यह किला दिन में जितना सुंदर और ऐतिहासिक लगता है, रात होते ही उतना ही खौफनाक और रहस्यमयी हो उठता है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने इस किले को भारत की सबसे डरावनी जगहों में से एक घोषित किया है। यहां सूर्यास्त के बाद किसी के रुकने की अनुमति नहीं है। इस किले से जुड़ी कई कहानियां लोकचर्चा में हैं, लेकिन इनमें सबसे ज्यादा चर्चा होती है एक तांत्रिक—सिंधु सेवड़ा और उसकी छतरी की।
कौन था तांत्रिक सिंधु सेवड़ा?
कहते हैं कि भानगढ़ किले के पास एक तांत्रिक रहता था, जिसका नाम सिंधु सेवड़ा था। वह तंत्र-मंत्र, काले जादू और सिद्धियों का ज्ञाता था। उसका एकमात्र सपना था कि वह भानगढ़ की राजकुमारी रत्नावती को अपने वश में कर ले। रत्नावती अपने रूप और बुद्धिमत्ता के लिए दूर-दूर तक प्रसिद्ध थी। सिंधु सेवड़ा का प्रेम एकतरफा और विकृत था, और उसने तंत्र के जरिए उसे पाने की कोशिश की।
तांत्रिक की काली मंशा और रत्नावती की चतुरता
कहानी के अनुसार, एक दिन राजकुमारी की दासी इत्र लेने बाजार गई। तांत्रिक ने वही इत्र लिया और उसमें मंत्र फूंक कर उसे रत्नावती को वश में करने के लिए तैयार किया। लेकिन रत्नावती उसकी चाल को समझ गई और इत्र को एक चट्टान पर फेंक दिया। कहा जाता है कि इत्र से मंत्रित हुई चट्टान हवा में उड़ती हुई तांत्रिक सिंधु सेवड़ा पर जा गिरी, जिससे उसकी मौत हो गई। मरने से पहले उसने श्राप दिया कि भानगढ़ नगरी पूरी तरह से नष्ट हो जाएगी और वहां कोई भी जीवित नहीं बचेगा।
छतरी—सिंधु सेवड़ा का अंतिम प्रतीक
भानगढ़ किले की मुख्य इमारत से कुछ दूर एक पहाड़ी पर एक छतरी (गुंबदनुमा संरचना) बनी हुई है। स्थानीय लोग मानते हैं कि यह वही जगह है जहां तांत्रिक सिंधु सेवड़ा तंत्र-साधना किया करता था। इस छतरी को आज भी “तांत्रिक की छतरी” कहा जाता है। कई लोग बताते हैं कि यहां रात के समय असामान्य घटनाएं घटती हैं—जैसे अजीब आवाजें, हँसी की गूंज, हवा में कुछ अदृश्य साए, और यहां तक कि आत्माओं की फुसफुसाहट तक।
तांत्रिक की छतरी से जुड़े अजीब अनुभव
कई पर्यटकों और स्थानीय निवासियों ने यह दावा किया है कि उन्होंने छतरी के पास अजीबो-गरीब घटनाएं महसूस की हैं। कुछ ने कहा कि वहां से लौटने के बाद उन्हें सिरदर्द, घबराहट या बुरे सपने आते हैं। कुछ ने यहां तक बताया कि उन्होंने वहां किसी अदृश्य शक्ति को महसूस किया—जैसे कोई उनका पीछा कर रहा हो।एक किस्सा प्रसिद्ध है कि एक बार कुछ युवाओं ने छतरी के पास रात गुजारने की कोशिश की थी। सुबह उनमें से एक मानसिक रूप से असंतुलित पाया गया, जबकि बाकी को गहरी बेचैनी और डर का अनुभव हुआ।
क्या भानगढ़ का पतन सिंधु सेवड़ा के श्राप से हुआ?
इतिहासकार और स्थानीय लोककथाएं बताती हैं कि भानगढ़ कभी एक समृद्ध और विकसित नगर था। लेकिन तांत्रिक सिंधु सेवड़ा की मृत्यु और श्राप के बाद यह नगर धीरे-धीरे उजड़ता चला गया। माना जाता है कि युद्ध, प्राकृतिक आपदाएं और अकाल जैसी घटनाएं किले और नगर के विनाश का कारण बनीं, लेकिन लोगों की मान्यता है कि यह सब उस श्राप का ही असर था।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण क्या कहता है?
भले ही भानगढ़ किला और तांत्रिक की छतरी से जुड़ी कहानियां रोमांचक और डरावनी हों, लेकिन वैज्ञानिक और तर्कवादी दृष्टिकोण से इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। पुरातत्व विभाग के अनुसार, यह किला भूगर्भीय और संरचनात्मक कारणों से वीरान हुआ। लेकिन अजीब बात यह है कि किले के अंदर कोई घर या महल पूरी अवस्था में नहीं बचा—लगभग हर संरचना बिना छत के है, जैसे मानो किसी अलौकिक शक्ति ने उसे तबाह कर दिया हो।
आज भी बना हुआ है रहस्य
भानगढ़ का रहस्य आज भी पूरी तरह से नहीं सुलझा है। हर साल हजारों पर्यटक इस किले को देखने आते हैं और इसकी रहस्यमय छतरी को देखकर चकित रह जाते हैं। कुछ इसे एक ऐतिहासिक खंडहर मानते हैं, तो कुछ इसे श्रापित भूमि। लेकिन एक बात तय है—तांत्रिक सिंधु सेवड़ा की छतरी इस किले के रहस्य और डरावने माहौल का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।
भानगढ़ किला न केवल इतिहास और वास्तुकला की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय लोककथाओं, तंत्र साधना और डरावनी घटनाओं का जीवंत उदाहरण भी है। तांत्रिक सिंधु सेवड़ा की छतरी इस पूरी कहानी का केंद्र बिंदु है, जो आज भी लोगों को सोचने पर मजबूर करती है—क्या वाकई तंत्र की शक्ति इतनी प्रबल थी, जो एक पूरे नगर को खाक कर गई? या फिर ये सब सिर्फ किस्से हैं? जवाब जो भी हो, भानगढ़ आज भी भारत की सबसे रहस्यमयी जगहों में एक बना हुआ है।