
हाल के वर्षों में तुर्किए ने कई कारणों से सुर्खियां बटोरी हैं। जहां एक ओर पाकिस्तान को खुलकर समर्थन देने की वजह से भारत में तुर्की के खिलाफ 'बायकॉट तुर्की' अभियान तेज हो गया है, वहीं दूसरी ओर तुर्किए के ऐतिहासिक और रहस्यमयी स्थलों की चर्चा भी बहुत होती है। इनमें से सबसे अधिक विवादित और रहस्यमयी स्थल है तुर्किए के हेरापोलिस (Hierapolis) में स्थित एक प्राचीन मंदिर जिसे 'प्लूटोनियम' (The Plutonium) कहा जाता है, और स्थानीय लोग इसे ‘नरक का द्वार’ (Get To Hell) भी कहते हैं।
'नरक का द्वार' क्यों कहा जाता है यह मंदिर?
हेरापोलिस का यह प्राचीन मंदिर ऐसा माना जाता था कि जो भी इसमें प्रवेश करता, वह वापस लौटकर नहीं आता। पुरानी कहानियों और लोक विश्वासों के अनुसार, यहां न केवल मनुष्यों, बल्कि पशु-पक्षी भी इस स्थान के संपर्क में आते ही मारे जाते थे। इस कारण इसे ‘मौत का देवता’ प्लूटो का मंदिर भी कहा जाने लगा।
ग्रीक और रोमन काल में लोग इस स्थान को अत्यंत रहस्यमयी और खतरनाक मानते थे। उस समय के लोग मानते थे कि यहां मौजूद जहरीली सांसें या ‘शक्तिशाली गैसें’ किसी भी जीव को तुरंत मौत के घाट उतार सकती हैं। इसलिए यह जगह लोगों के लिए एक तरह का ‘नरक का द्वार’ साबित हुई।
विज्ञान ने खोला मौत का रहस्य
हालांकि, आधुनिक विज्ञान ने इस मंदिर के पीछे छिपे उस रहस्य से पर्दा उठा दिया है, जिसने सदियों तक लोगों को भयभीत किया। वैज्ञानिकों की रिसर्च के अनुसार, मंदिर के नीचे से लगातार जहरीली कार्बन डाईऑक्साइड गैस (CO₂) रिस रही होती है, जो हवा में इतनी अधिक मात्रा में होती है कि सांस लेने वाले जीवधारियों के लिए यह घातक सिद्ध होती है।
विशेषज्ञों के अनुसार, मंदिर के अंदर जहरीली गैस की मात्रा लगभग 91 फीसदी तक हो सकती है, जबकि सामान्यतः केवल 10 प्रतिशत कार्बन डाईऑक्साइड भी किसी इंसान की जान लेने के लिए पर्याप्त होती है। इसी वजह से जब कोई व्यक्ति या जानवर इस स्थान के बेहद करीब पहुंचता है, तो उसकी मौत हो जाती है।
प्लूटोनियम मंदिर का इतिहास और महत्व
यह मंदिर प्राचीन हेरापोलिस शहर का हिस्सा था, जो रोमन साम्राज्य के समय एक प्रमुख धार्मिक और औषधीय केंद्र था। इसे समृद्ध और शक्तिशाली माना जाता था, और यहां कई धार्मिक अनुष्ठान किए जाते थे। लोगों का मानना था कि यह जगह प्लूटो, मृत्यु के देवता, से जुड़ी हुई है और यहां की जहरीली गैसें मृतकों की आत्माओं को रोकती हैं।
मंदिर के आसपास की खाई और गुफाएं भी इसी जहरीली गैस से भरी हुई हैं, जिनकी वजह से आज भी वैज्ञानिक इस क्षेत्र को अत्यंत संवेदनशील मानते हैं। पर्यटक इस जगह की रहस्यमयता और प्राचीनता को देखने बड़ी संख्या में आते हैं, हालांकि किसी को भी सीधे इस जहरीली गैस के संपर्क में आने की अनुमति नहीं होती।
तुर्किए के अन्य विवाद और भारत में ‘बायकॉट तुर्की’ अभियान
हाल ही में, पाकिस्तान को खुलेआम समर्थन देने के कारण तुर्किए की साख भारत में खराब हुई है। इस वजह से भारत में सोशल मीडिया पर ‘बायकॉट तुर्की’ अभियान तेजी से फैल रहा है। कई लोग तुर्की के उत्पादों का बहिष्कार कर रहे हैं और देशभर में इसके खिलाफ आवाज उठ रही है।
तुर्किए को लेकर ये विवाद इसलिए भी ज्यादा तेज हुए क्योंकि दोनों देशों के बीच राजनीतिक और सामाजिक तनाव के बीच तुर्की की पाकिस्तान के प्रति दोस्ताना रवैये को लेकर भारत में नाराजगी है। वहीं, तुर्किए का यह प्राचीन मंदिर भी इस देश की रहस्यमय छवि को और गहरा करता है।
पर्यटकों के लिए खतरा या आकर्षण?
जहां एक तरफ यह ‘प्लूटोनियम’ मंदिर अपने जहरीले गैसों के कारण मौत का खतरा पैदा करता है, वहीं दूसरी ओर यह स्थान इतिहास, रहस्य और पुरातात्विक महत्व के कारण पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। वैज्ञानिकों और गाइडों की देखरेख में पर्यटक इस जगह का भ्रमण कर इसके इतिहास और महत्व को समझने का मौका पाते हैं।
हालांकि, सुरक्षा कारणों से इस मंदिर के अंदर जाने की अनुमति कड़ाई से नियंत्रित की जाती है, ताकि किसी को नुकसान न पहुंचे।
निष्कर्ष
तुर्किए का ‘नरक का द्वार’ कहलाने वाला यह प्राचीन प्लूटोनियम मंदिर एक ऐसा स्थल है जो इतिहास और रहस्य से भरा हुआ है। यह स्थान न केवल प्राचीन धार्मिक विश्वासों और मिथकों का गवाह है, बल्कि विज्ञान ने भी इसे अपनी जहरीली गैसों की वजह से मौत का कारण बताया है।
इस मंदिर का रहस्यमय अतीत और उसकी घातक प्रकृति तुर्किए की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों में एक अलग ही पहचान रखती है। साथ ही, तुर्किए का पाकिस्तान के प्रति समर्थन और भारत में इसके विरोध ने इस देश को राजनीतिक विवादों के केंद्र में भी ला दिया है।
यदि आप इतिहास और रहस्यमय जगहों में रुचि रखते हैं तो हेरापोलिस का यह प्राचीन मंदिर आपके लिए एक अनोखा अनुभव होगा, लेकिन याद रखें कि प्रकृति की इन शक्तियों से सतर्क रहना बेहद जरूरी है।