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टीचर ने स्टूडेंट को सुसाइड नोट लिखने का दिया होमवर्क

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ब्रिटेन के एक स्कूल में एक इंग्लिश टीचर द्वारा छात्रों को दिया गया असामान्य और भावनात्मक रूप से संवेदनशील होमवर्क विवाद का कारण बन गया है। लंदन के क्रिडबूक इलाके में स्थित थॉमस टैलिस स्कूल के इस मामले ने शिक्षा और मानसिक स्वास्थ्य के बीच संतुलन की गंभीर बहस को जन्म दे दिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इंग्लिश टीचर ने अपने 60 नाबालिग छात्रों को एक विशेष टास्क दिया जिसमें उन्हें अपने परिवार के नाम सुसाइड नोट (आत्महत्या पत्र) लिखकर लाने को कहा गया।

इस टास्क का उद्देश्य छात्रों को शेक्सपीयर के मशहूर नाटक ‘मैकबेथ’ की एक विशेष घटना — लेडी मैकबेथ की मौत — को समझाने के लिए दिया गया था। छात्रों को निर्देश दिया गया कि वे इस सीन को पढ़ें और फिर कल्पना करें कि यदि वे लेडी मैकबेथ की जगह होते, तो अपने परिवार के लिए एक आखिरी पत्र कैसे लिखते।

2. परिजनों में गुस्सा और छात्रों की भावनात्मक स्थिति पर असर

हालांकि इस होमवर्क का उद्देश्य साहित्यिक विश्लेषण था, लेकिन इसके परिणाम ने कई छात्रों और उनके परिवारों को गहरे मानसिक झटके दिए। खासकर उन परिवारों में जिनके बच्चे पहले से मानसिक तनाव या अवसाद से गुजर चुके थे, या जिनके आसपास हाल ही में आत्महत्या की घटनाएं हुई थीं।

एक छात्रा की मां ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि उनकी बेटी के तीन करीबी दोस्त आत्महत्या कर चुके हैं। जब उसे यह होमवर्क दिया गया, तो वह भावनात्मक रूप से टूट गई और एक बार फिर उन दुखद घटनाओं को याद कर अत्यंत व्याकुल हो गई। कई अन्य अभिभावकों ने भी यही चिंता जताई कि इस प्रकार के होमवर्क से बच्चों की मानसिक सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, खासकर तब जब उनकी उम्र भावनात्मक रूप से बेहद संवेदनशील होती है।

3. स्कूल पर उठे सवाल और माफी की मांग

मामला सामने आने के बाद स्कूल प्रबंधन को भी आलोचना का सामना करना पड़ा है। कई अभिभावकों और मनोचिकित्सकों ने इस अभ्यास को "अनुचित", "संवेदनहीन" और "शैक्षणिक उद्देश्यों से परे" बताया। शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि शेक्सपीयर जैसे साहित्यिक महानायक के नाटकों का अध्ययन करते समय छात्रों को संवेदनशील विषयों के प्रति जागरूक करना और उनके मानसिक स्तर को ध्यान में रखना अत्यंत आवश्यक है।

इस घटना के बाद थॉमस टैलिस स्कूल को सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग की जा रही है। हालांकि स्कूल की ओर से अब तक कोई औपचारिक माफी जारी नहीं की गई है, लेकिन यह जानकारी दी गई है कि छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य सहायता मुहैया कराई जा रही है और होमवर्क की समीक्षा की जा रही है।

शिक्षा में संवेदनशीलता की ज़रूरत

यह मामला एक बार फिर इस बात को रेखांकित करता है कि शिक्षा प्रणाली में विषय वस्तु के चयन के साथ-साथ विद्यार्थियों की भावनात्मक सुरक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। जहां एक ओर साहित्यिक गहराई और ऐतिहासिक घटनाओं का अध्ययन आवश्यक है, वहीं दूसरी ओर शिक्षक और पाठ्यक्रम निर्माताओं की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को नजरअंदाज न करें।

विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे टॉपिक्स को पढ़ाते समय, खासकर जब वे मानसिक स्वास्थ्य या आत्महत्या जैसे संवेदनशील मुद्दों से जुड़े हों, तो शिक्षकों को पर्याप्त मार्गदर्शन और प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। स्कूलों को चाहिए कि वे काउंसलिंग सुविधाएं मजबूत करें और छात्रों को भावनात्मक रूप से मजबूत बनाने के लिए सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराएं।

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