Samachar Nama
×

800 साल पुरानी ममी के गाल में मिला टैटू, साइंटिस्ट अब स्याही का पता करने में जुटे

;;;;;;;;;;;;;

दक्षिण अमेरिका में हाल ही में एक 800 साल पुरानी ममी के गाल में टैटू मिलने से वैज्ञानिकों की दुनिया में हलचल मच गई है। इस रहस्यमयी टैटू ने न केवल ममी के अध्ययन के तरीके को बदल दिया है, बल्कि इसके स्याही की बनावट और संरक्षा को लेकर वैज्ञानिक कई नए सवालों के जवाब तलाश रहे हैं। इतने लंबे समय तक किसी जीवित त्वचा की तरह गाल में टैटू का इतना साफ-सुथरा और सलामत रहना किसी चमत्कार से कम नहीं माना जा रहा।

800 साल पुरानी ममी में टैटू की खोज

यह ममी दक्षिण अमेरिका की एक महिला की है, जिसका शरीर 800 साल पहले ममीकृत किया गया था। आमतौर पर ममी बनाते समय शरीर को विशेष प्रकार के लेप या संरक्षित सामग्री से ढक दिया जाता है ताकि उसे प्राकृतिक रूप से सड़ने-गलने से बचाया जा सके। इस महिला की ममी लगभग 100 साल पहले इटली के एक संग्रहालय को दान में दी गई थी, जहां यह लंबे समय से सुरक्षित थी।

ममी की मुद्रा बह बैठी हुई है और इसी मुद्रा में वैज्ञानिकों ने उसके गाल पर अजीबोगरीब डिजाइन देखा। शुरुआती तौर पर ये डिजाइन बहुत स्पष्ट नहीं थे, लेकिन जब वैज्ञानिकों ने आधुनिक इमेजिंग तकनीकों की मदद से इसका विश्लेषण किया तो पाया कि ये टैटू थे।

टैटू की रहस्यमयी सलामती

टैटू बनाने की परंपरा करीब 1000 साल से चली आ रही है, लेकिन आमतौर पर त्वचा पर बने टैटू समय के साथ फीके पड़ जाते हैं, खासकर गाल जैसी नाजुक जगह पर। गाल की त्वचा बहुत पतली होती है और वहां टैटू अक्सर कुछ सालों में ही मिट जाते हैं, इसलिए गाल में टैटू बनवाना आज भी बहुत कम होता है।

इस ममी के गाल में बने टैटू की सलामती इसलिए है कि यह सीधे ममीकृत त्वचा में स्याही के रूप में संरक्षित है, जो लगभग 800 साल बाद भी न केवल दिखाई दे रही है बल्कि अपने रंग और डिजाइन में भी इतनी स्पष्ट है कि वैज्ञानिक दंग रह गए हैं। इस टैटू के पीछे इस्तेमाल हुई स्याही के घटकों का पता लगाने के लिए शोधकर्ता अब विशेष जांच कर रहे हैं, ताकि समझा जा सके कि यह स्याही किस प्रकार की थी जो इतनी लंबे समय तक स्थिर बनी रही।

टैटू की पहचान कैसे हुई?

इस खोज के पीछे इटली के ट्यूरिन विश्वविद्यालय के मानवविज्ञानी और पुरातत्वविद जियानलुइगी मंगियापेन की अगुवाई में एक टीम थी। टीम ममी का डीटेल्ड विश्लेषण कर रही थी, जब उन्हें ममी के गाल पर एक कालापन नजर आया, जिसे शुरुआती तौर पर समझना मुश्किल था। बाद में टीम ने कई एडवांस्ड इमेजिंग तकनीकों का उपयोग किया, जिनमें उच्च-रिज़ॉल्यूशन फोटोग्राफी और डिजिटल स्कैनिंग शामिल हैं। इस प्रक्रिया से गाल पर बने टैटू का नक्शा स्पष्ट हो गया।

यह टैटू एक अनोखे डिजाइन का था, जिसमें स्थानीय सांस्कृतिक प्रतीकों के संकेत भी मिलते हैं। यह टैटू संभवतः उस महिला की सामाजिक पहचान, उसकी जाति, या फिर किसी धार्मिक अनुष्ठान का प्रतीक रहा होगा।

Share this story

Tags