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देश का ऐसा अनोखा भगवान शिव का मंदिर, जहां भोलेनाथ को खुश करने के लिए चढ़ाई जाती है भांग की सिगरेट!

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भारत रहस्यमयी और विविध संस्कृति का देश है। यहां हर कोने में आस्था के रंग बिखरे हुए हैं। कई मंदिर अपनी परंपराओं और चमत्कारी मान्यताओं के लिए मशहूर हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे अनोखे शिव मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जहां भगवान भोलेनाथ को जल, बेलपत्र या दूध नहीं बल्कि भांग की सिगरेट चढ़ाई जाती है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और भक्त पूरी श्रद्धा के साथ इसे निभाते हैं।

कहां है यह अनोखा मंदिर?

यह अनोखा शिव मंदिर मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में स्थित है। यहां भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भांग, गांजा और यहां तक कि चिलम भी चढ़ाई जाती है। भक्तों का मानना है कि भोलेनाथ को भांग अत्यंत प्रिय है और वह इसी माध्यम से अपने भक्तों की हर मुराद पूरी करते हैं। यहां का नाम है काल भैरव मंदिर, जो उज्जैन में स्थित है। हालांकि यह भैरव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है, लेकिन यहां शिव को अलग-अलग रूपों में पूजा जाता है और भांग व शराब जैसी चीजों का चढ़ावा दिया जाता है। खास बात यह है कि यहां भांग की सिगरेट चढ़ाना भक्तों की आस्था का हिस्सा बन चुका है।

परंपरा का महत्व

शिवपुराण और कई ग्रंथों में उल्लेख है कि भगवान शिव को भांग अत्यंत प्रिय है। पुराणों के अनुसार, समुद्र मंथन के समय जब शिवजी ने विष पिया था, तब भांग ने उनके शरीर में विष के प्रभाव को कम किया। इसी कारण से भक्त उन्हें भांग का भोग लगाते हैं। उज्जैन के इस मंदिर में, श्रद्धालु भांग की सिगरेट बनाकर शिवलिंग पर चढ़ाते हैं और कुछ भक्त खुद भी चिलम में भांग भरकर पीते हैं, ताकि भगवान भोलेनाथ की कृपा उन पर बनी रहे।

भोलेनाथ का अनोखा दरबार

इस मंदिर में हर दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। यहां ना केवल भारत से, बल्कि विदेशों से भी लोग शिव भक्ति में लीन होने आते हैं। महाशिवरात्रि के मौके पर यहां विशेष आयोजन होता है। भक्त भोलेनाथ को भांग की सिगरेट चढ़ाकर अपनी मनोकामना मांगते हैं। लोगों का मानना है कि अगर सच्चे दिल से भांग या गांजे की सिगरेट शिव को चढ़ाई जाए, तो सभी समस्याओं का अंत हो जाता है।

भक्तों की आस्था का केंद्र

उज्जैन का काल भैरव मंदिर और इसके आस-पास के शिव मंदिर, जहां भांग की सिगरेट चढ़ाई जाती है, आस्था का प्रतीक बन चुके हैं। यहां भक्त अपने दुखों और कष्टों को दूर करने के लिए आते हैं। इस परंपरा से भगवान शिव को 'आदियोगी' और 'औघड़दानी' के रूप में पूजा जाता है। वह भक्तों की भक्ति से जल्द प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद देते हैं।

निष्कर्ष

यह अनोखा मंदिर एक उदाहरण है कि भारत में किस तरह परंपराएं और आस्था मिलकर अद्भुत अनुभवों को जन्म देती हैं। यहां शिवभक्त नशा नहीं, बल्कि भक्ति को प्राथमिकता देते हैं। भोलेनाथ का यह रूप उनके भक्तों के बीच 'भोलापन' और 'औघड़' रूप को दर्शाता है, जिसमें वह अपने भक्तों की हर पुकार सुनते हैं।

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