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देश का ऐसा अनोखा मंदिर जहां बजरंगबली देते हैं भक्तों के सवालों के जवाब, पूर्ण करते हैं सभी की मनोकामना

भारत में ऐसे कई मंदिर और धार्मिक स्थल हैं, जहां की शक्तियों को देखकर लोग आश्चर्यचकित हो जाते हैं। इनके सामने विज्ञान भी विफल हो जाता है। जैसे ही इन स्थानों का पता चलता है, लोग वहां पहुंच भी जाते हैं। भगवान सबकी इच्छाएं पूरी करते हैं। ऐसा ही एक मंदिर राजस्थान के कोटा से....
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भारत में ऐसे कई मंदिर और धार्मिक स्थल हैं, जहां की शक्तियों को देखकर लोग आश्चर्यचकित हो जाते हैं। इनके सामने विज्ञान भी विफल हो जाता है। जैसे ही इन स्थानों का पता चलता है, लोग वहां पहुंच भी जाते हैं। भगवान सबकी इच्छाएं पूरी करते हैं। ऐसा ही एक मंदिर राजस्थान के कोटा से लगभग 15 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां प्रतिदिन सैकड़ों भक्त बजरंगबली के दर्शन के लिए आते हैं। कहा जाता है कि यहां भक्त भगवान के सामने अपनी मनोकामनाएं रखते हैं। इसका उत्तर भगवान स्वयं एक कोरे कागज पर लिखकर देते हैं। मंदिर में भक्तों की भीड़ विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को उमड़ती है, जो हनुमान जी के प्रिय दिन हैं।

बजरंगबली का मंदिर राजस्थान के कोटा से 15 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां पहुंचने वाले भक्त अपने मन में भगवान के सामने अपनी मनोकामनाएं रखते हैं। कहा जाता है कि इसके बाद पुजारी हनुमान जी को एक कोरा कागज चढ़ाते हैं। इस पर हनुमान जी सिंदूर से लिखकर भक्त के प्रश्न का उत्तर देते हैं।

मंदिर में मंगलवार और शनिवार को भारी भीड़ होती है।

स्थानीय लोगों का दावा है कि मंगलवार और शनिवार को मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। आसपास के क्षेत्र के अलावा दूर-दूर से भी लोग हनुमान जी के दर्शन के लिए आते हैं। यहां भक्तों की लंबी लाइन लगी रहती है। एक-एक करके भक्त हनुमान जी के सामने पहुंचते हैं और अपनी मनोकामनाओं के साथ मन में आने वाले प्रश्न भी पूछते हैं। इसके तुरंत बाद उन्हें अपने प्रश्नों के उत्तर कागज पर लिखवा दिए जाते हैं। मंदिर की ऐसी शक्तियों के बाद अब लोग धीरे-धीरे आकर्षित हो रहे हैं। कहा जाता है कि यहां मंदिर की लगातार बढ़ती लोकप्रियता के कारण भक्तों की संख्या में काफी वृद्धि होने लगी है।

नदी से निकली थी हनुमान जी की मूर्ति मंदिर के आसपास के लोगों का दावा है कि इस मंदिर में रखी हनुमान जी की मूर्ति सालों पहले चंबल नदी में मिली थी। इसके बाद हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार पूजा-अर्चना कर इसे मंदिर में स्थापित किया गया। धीरे-धीरे लोगों को मंदिर में ईश्वर की शक्तियों का एहसास होने लगा। मंदिर की चर्चा फैल गई और यहां लोगों की भीड़ जुटने लगी।

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