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देश का ऐसा अनोखा माता का मंदिर जहां मामा भांजे का एक साथ जाना हैं मना, कारण जानकर हो जाएंगे हैरान

रतलाम में रत्तापुरी को प्राचीन शक्तिपीठों की भूमि भी कहा जाता है। जिले में मां भगवती के देव स्थानों का जलवा शहर सहित जिले व प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में भी सुनाई दे रहा है.........
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रतलाम में रत्तापुरी को प्राचीन शक्तिपीठों की भूमि भी कहा जाता है। जिले में मां भगवती के देव स्थानों का जलवा शहर सहित जिले व प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में भी सुनाई दे रहा है. शहर में गढ़ कालिका, महिषासुर मर्दिनी से लेकर पेलेस की पद्मावती तक है। क्षेत्र में राजापुरा माताजी, कंवलका वाली ईटावा माताजी और नामाली क्षेत्र में सैलाना मां कालिका वाली मैवासा माताजी दूर-दूर तक प्रसिद्ध हैं। नवरात्रि की सप्तमी, अष्टमी और नवमी पर माता मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। इन मंदिरों की खासियत यह है कि अगर किसी मंदिर में मामा को आने की इजाजत नहीं है तो किसी मंदिर में मां को शराब चढ़ाई जाती है। जिले के इन मंदिरों के बारे में यहां और पढ़ें।

मां कंवलका का मंदिर अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। माता की प्रतिमा जागृत होने से भक्तों में विशेष आस्था है। मराठा काल में निर्मित इस मंदिर में विराजित माता के दर्शन के लिए पूरे वर्ष भक्तों का आना-जाना लगा रहता है। माता मंदिर के निकट लालबाई मंदिर, महिषासुर मर्दिनी मंदिर, कालिकामाता मंदिर भी दर्शनीय स्थल हैं। माता कंवलका का मंदिर शहर से 28 किमी दूर महू रोड पर बिरमावल के पास सातरुंडा फांटे से तीन किमी पश्चिम में लगभग 600 मीटर ऊंची पहाड़ी पर स्थित आस्था का स्थान है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां भक्त नवरात्रि के दौरान प्रसाद के रूप में माता को शराब चढ़ाते हैं।

शहर से सात किलोमीटर दूर ईटावा गांव में बिजासन माता का भव्य मंदिर है, जो प्राचीन ईटावा माताजी के नाम से प्रसिद्ध है। मंदिर में माताजी की दो मूर्तियाँ हैं। माता मंदिर के सामने भेरूजी की प्रतिमा भी अति प्राचीन है। दोनों नवरात्रों में गांव की लड़कियां रोजाना गरबा नृत्य करने आती हैं। मंदिर में कई वर्षों से अखंड ज्योति जल रही है। ऐसा कहा जाता है कि बिजसन माता के मंदिर में संतान की इच्छा रखने वाले जोड़े अक्सर आते हैं। चैत्र नवरात्र में मंदिर में पांच दिवसीय आयोजन एवं भंडारा होता है। जिले सहित अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु यहां दर्शन वंदन के लिए आते रहते हैं।

रतलाम से लगभग 35 किमी दूर बाजना मार्ग पर गढ़खंखाई माताजी का मंदिर एक प्रसिद्ध स्थान है। इस स्थान पर लगभग पांच सौ वर्ष पुराने मंदिर के गर्भगृह में परमारकालीन महाकाली का मंदिर है। नवरात्रि के दौरान सप्तमी, अष्टमी और नवमी पर यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। करण और माही नदियों का संगम होने के कारण यह प्राकृतिक सुंदरता के साथ एक रमणीय स्थान है। मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण राजाभोज ने करवाया था। इसका जीर्णोद्धार भी रतलाम नरेश ने करवाया था। इस मंदिर में मामा के साथ आना मना है।

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