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गुफा में मिली बच्ची की हड्डी में थी ऐसी चीज.. सुलझ गया 50 हजार साल पुराना रहस्य

मानव इतिहास के रहस्यों की परतें जब खुलती हैं, तो वैज्ञानिक दुनिया स्तब्ध रह जाती है। हाल ही में रूस की एक गुफा से मिले अवशेषों ने यह साबित कर दिया है कि 50 हजार साल पहले इंसानी सभ्यता में दो अलग-अलग प्रजातियों के बीच संबंध बनते थे और उनसे संतानों का जन्म भी होता था। यह खोज प्राचीन जीवन की जटिलता और हमारी खुद की उत्पत्ति की कहानी को नए नजरिए से समझने में मदद करती है।

गुफा में छुपे इतिहास के निशान

रूस के साइबेरिया क्षेत्र की डेनिसोवा गुफा से मिले हड्डियों के अवशेषों का डीएनए विश्लेषण करने पर वैज्ञानिकों ने पाया कि ये अवशेष दो अलग प्रजातियों के मेल से जन्मी एक किशोरी के थे। इस किशोरी की मां निएंडरथल प्रजाति की थी, जबकि पिता डेनिसोवन प्रजाति से ताल्लुक रखते थे।

यह खोज इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि ये दोनों ही प्रजातियां अब विलुप्त हो चुकी हैं, लेकिन उनके अस्तित्व के प्रमाण आज भी हमारे जेनेटिक कोड में छिपे हुए हैं।

निएंडरथल और डेनिसोवन: हमारे पूर्वज

निएंडरथल आधुनिक मानव के सबसे करीबी पूर्वज माने जाते हैं। करीब 40 से 50 हजार साल पहले वे पूरे यूरोप और एशिया में फैले हुए थे। वहीं डेनिसोवन प्रजाति मुख्य रूप से एशिया के पूर्वी हिस्सों में पाई जाती थी। माना जाता है कि जब निएंडरथल पूरब की ओर बढ़े तो उनका सामना डेनिसोवन और अन्य प्राचीन मानव प्रजातियों से हुआ होगा।

इन प्रजातियों के बीच केवल आमना-सामना ही नहीं हुआ, बल्कि जैविक मेल भी हुआ और इस मिलन से जन्मी संतानें भी हुईं।

जेनेटिक प्रमाण: विज्ञान की जीत

इस अद्भुत खोज के पीछे मुख्य भूमिका निभाई जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर इवॉल्यूशनरी एंथ्रोपोलॉजी के वैज्ञानिकों ने। शोधकर्ता विवियन स्लोन ने बताया कि पहले भी यह अनुमान था कि निएंडरथल और डेनिसोवन के बीच संबंध हुए होंगे, लेकिन यह उम्मीद किसी ने नहीं की थी कि हमें सीधे डीएनए साक्ष्य मिलेंगे।

वास्तव में, डेनिसोवा गुफा से मिली एक हड्डी के टुकड़े से यह साफ हुआ कि वह एक किशोरी की हड्डी थी जिसकी उम्र करीब 13 साल रही होगी। वैज्ञानिकों ने उसके डीएनए की तुलना कर पाया कि उसकी मां निएंडरथल थीं और पिता डेनिसोवन।

आज भी है असर

शोधों से यह भी सामने आया है कि आज के कई गैर-अफ्रीकी लोगों के डीएनए में निएंडरथल और डेनिसोवन प्रजातियों के अंश पाए जाते हैं। यानी हममें से बहुत से लोगों के वंश में इन विलुप्त प्रजातियों का योगदान मौजूद है।

यह बात साफ करती है कि आदि मानव केवल अलग-अलग समुदायों में नहीं रहते थे, बल्कि एक-दूसरे के संपर्क में आते थे, और सभ्यता के निर्माण में मिश्रित वंश की भूमिका अहम थी।

पुरातत्व से मिलती सीख

इस तरह की खोजें हमें सिखाती हैं कि इंसानी सभ्यता का विकास सरल रेखा में नहीं हुआ, बल्कि यह एक जटिल प्रक्रिया रही, जिसमें भिन्न-भिन्न नस्लों का मेल, संघर्ष और साझा विकास शामिल था।

टोरंटो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता बेंस विओला ने कहा, “यह टुकड़ा केवल एक हड्डी नहीं है, बल्कि यह इंसानी इतिहास की कहानी का एक महत्वपूर्ण अध्याय है।”

निष्कर्ष

रूस की एक गुफा से शुरू हुई यह वैज्ञानिक यात्रा यह साबित करती है कि हमारी सभ्यता की जड़ें बहुत गहरी और विविध रही हैं। आज जब हम जाति, धर्म, नस्ल के आधार पर भेदभाव करते हैं, तब यह समझना जरूरी हो जाता है कि हमारे पूर्वज कभी इन सीमाओं में नहीं बंधे थे।

उनका मेल-जोल, साझा जीवन और संतानों का जन्म — यह सब दर्शाता है कि मानवता हमेशा एक दूसरे से जुड़ने, समझने और आगे बढ़ने की राह पर रही है।

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