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देश का ऐसा चमत्कारी मंदिर जहां औरंगज़ेब ने घुटने टेककर मांगी थी माफ़ी, किया था दिल्ली से तेल भेजने का वादा

राजस्थान के सीकर जिले के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक प्राचीन जीण माता जी मंदिर पूरे देश में प्रसिद्ध है। यह मंदिर जीण और हर्ष नामक भाई-बहन के अटूट रिश्ते के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर गांव की अरावली पर्वत श्रृंखला की तीन पहाड़ियों के बीच बना है। हर साल देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु जीण माता धाम पहुंचते हैं और मां जीण के दरबार में शीश झुकाते....
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राजस्थान के सीकर जिले के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक प्राचीन जीण माता जी मंदिर पूरे देश में प्रसिद्ध है। यह मंदिर जीण और हर्ष नामक भाई-बहन के अटूट रिश्ते के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर गांव की अरावली पर्वत श्रृंखला की तीन पहाड़ियों के बीच बना है। हर साल देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु जीण माता धाम पहुंचते हैं और मां जीण के दरबार में शीश झुकाते हैं। मंदिर की एक बड़ी मान्यता यह भी है कि मां जिन भवानी के दर्शन मात्र से कुष्ठ रोग भी ठीक हो जाता है। इसके साथ ही जब भक्तों की मनोकामना पूरी हो जाती है तो वे जलते हुए कोयले की धूपबत्ती सिर पर रखकर या मां जीण भवानी का ध्वज लेकर पैदल चलकर जीण धाम पहुंचते हैं। शारदीय नवरात्रि में माता का लक्खी मेला भी शुरू होता है, जहां लाखों श्रद्धालु आते हैं।कई वर्षों पहले माता को पशुओं की बलि देने की प्रथा थी, लेकिन वर्तमान में सरकार व प्रशासन ने इस पर पूरी तरह से रोक लगा दी है।


मान्यताओं के अनुसार जीणमाता का जन्म राजस्थान के चुरू जिले के एक छोटे से गांव घांघू के चौहान वंश के राजपरिवार में हुआ था। पारिवारिक कलह के कारण जीण नाराज होकर सीकर के पास अरावली पर्वत की पहाड़ियों पर आकर बैठ गई। जीण को मनाने के लिए उसका भाई हर्ष भी उसके पीछे-पीछे चला आया। लेकिन जीण ने वापस जाने से मना कर दिया और पहाड़ी पर ही तपस्या करने लगी। जब उसकी बहन वापस नहीं लौटी तो बड़ा भाई हर्ष भी पास की पहाड़ी पर बैठकर तपस्या में लीन हो गया। माता जीण को शक्ति का अवतार माना जाता है, जबकि उनके बड़े भाई हर्ष को भगवान शिव का अवतार कहा जाता है। मां जीण का प्राचीन मंदिर जीणमाता गांव में स्थित है, जबकि उनके बड़े भाई हर्ष का मंदिर जीणमाता जी मंदिर से थोड़ी दूरी पर अरावली की पहाड़ियों में हर्षनाथ मंदिर के नाम से बना हुआ है।

इस कहानी के अलावा एक और कहानी है जो इतिहास में अधिक प्रसिद्ध है। जिसमें मां की महिमा के कारण मुगल बादशाह औरंगजेब उनके सामने झुक गया था। जीण माता जी मंदिर के महंत विनय पुजारी ने बताया कि जब मुगल बादशाह औरंगजेब की सेना ने शेखावाटी के मंदिरों को नष्ट करना शुरू किया तो जीण माता के भक्तों ने उनसे गुहार लगाई। जिस पर माता ने अपने चमत्कार से औरंगजेब की सेना पर मधुमक्खियां (भौंरे) छोड़ दीं। मां जीण के चमत्कार से मधुमक्खियों के झुंड ने सेना पर हमला कर दिया और सैनिकों को लहूलुहान कर दिया, जिससे बचे हुए सैनिक युद्ध भूमि से भाग गए। यह दृश्य देखकर मुगल शासक औरंगजेब को भी मां जीण भवानी के सामने झुकना पड़ा था। उस समय उन्होंने माता जीण से क्षमा मांगी तथा मंदिर में जल रही अखण्ड ज्योति के लिए दिल्ली के दरबार से तेल भेजने का वचन दिया। भँवरों के आक्रमण के कारण माता जीणमाता को भँवरों की देवी भी कहा गया।

मुगल बादशाह ने माता जीण की शक्ति के कारण ही उनके दरबार में चांदी का छत्र चढ़ाया था तथा उनकी सेवा के लिए एक मुस्लिम परिवार भी छोड़ दिया था। आज भी उनके वंशज जीणमाता जी मंदिर की सीढियों को धोते और साफ करते हैं। पुजारी परिवार ने बताया कि पहले जीणमाता जी मंदिर में तेल दिल्ली दरबार से भेजा जाता था और उसके बाद जयपुर राजघराने से तेल की व्यवस्था की जाती थी। वर्तमान राज्य सरकार के देवस्थान विभाग द्वारा तेल पर सब्सिडी देने की परम्परा जारी है।

प्राचीन जीणमाता जी मंदिर में प्रतिवर्ष बसंत ऋतु में चैत्र शुक्ल पक्ष तथा शरद ऋतु में आश्वनी शुक्ल पक्ष की नवरात्रि के दौरान लक्खी मेला आयोजित किया जाता है। फिलहाल नवरात्रों के दौरान हर वर्ष की भांति इस बार भी जीण माता जी धाम में शारदीय नवरात्र के अवसर पर लक्खी मेले का आयोजन किया गया है। नौ दिवसीय लक्खी मेले के दौरान लाखों श्रद्धालु देवी जीण माता के दरबार में पहुंचेंगे। इस बार यह मेला 12 अक्टूबर तक चलेगा। इस दौरान जीण माता जी मंदिर में कोलकाता के कुसुम व गुलाब के फूलों से विशेष सजावट की जा रही है। मेले में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना को देखते हुए जिला प्रशासन व प्रशासन ने मेले में श्रद्धालुओं के पहुंचने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। पुलिस प्रशासन ने व्यवस्थाएं चाक चौबंद कर दी हैं। मेले को लेकर बड़े स्तर पर तैयारियां की गई हैं। दातारामगढ़ पुलिस उपाधीक्षक जाकिर अख्तर ने जानकारी देते हुए बताया कि मेले में अलग-अलग प्वाइंटों पर आरएसी, होमगार्ड व पुलिस के 500 से अधिक जवान तैनात किए गए हैं एहतियाती और सुरक्षा व्यवस्था के लिए... अपराधियों पर नजर रखने के लिए विभिन्न स्थानों पर लगभग 100 सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं।

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