तलाक की अनोखी अर्जी, पत्नी बोली- नहीं नहाता पति, बदबू हटाने के लिए करता है ये काम

आज के दौर में रिश्तों की डोर जितनी तेजी से बंधती है, उतनी ही जल्दी टूट भी जाती है। अब प्यार, समझदारी और धैर्य की जगह साफ-सफाई, आदतें और सहनशीलता की परीक्षा ज्यादा होने लगी है। ऐसा ही एक चौंकाने वाला और मज़ेदार लेकिन गंभीर तलाक का मामला सामने आया है मध्य प्रदेश के बैरागढ़ से, जहां एक पत्नी ने पति की गंदगी और आदतों से परेशान होकर तलाक की अर्जी दायर की है।
क्या है पूरा मामला?
बैरागढ़ की एक महिला ने तलाक की अर्जी में अपने पति पर बेहद असामान्य लेकिन रोज़मर्रा की ज़िंदगी से जुड़ी शिकायतें दर्ज करवाई हैं। महिला ने बताया कि:
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उसका पति नियमित रूप से नहाता नहीं है।
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कई बार ठंड के मौसम में महीनों तक नहाने से बचता है।
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नहाने या मुंह धोने के बाद गीला तौलिया सीधे बेड पर फेंक देता है।
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शेविंग नहीं करता, जिसकी वजह से वो हर समय बेतरतीब लगता है।
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शरीर से बदबू आती है, जिसे छुपाने के लिए बस परफ्यूम छिड़क लेता है।
इन सभी आदतों से तंग आकर महिला ने कोर्ट में तलाक की अर्जी लगाई है और पति से पूर्ण रूप से अलग होने की मांग की है।
शादी और रिश्ते की पृष्ठभूमि
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दोनों की शादी 2016 में हुई थी।
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पत्नी ब्राह्मण समाज से और पति सिंधी समाज से है।
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शुरुआती एक साल तक सब कुछ ठीक चला, लेकिन धीरे-धीरे पति की आदतों ने परेशानी खड़ी कर दी।
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पत्नी ने जब पति को समझाना शुरू किया, तो झगड़े बढ़ने लगे और मामला तलाक तक आ पहुंचा।
काउंसलिंग में क्या हुआ?
इस मामले की काउंसलिंग कर रहे शैल अवस्थी ने बताया कि दोनों ही पक्ष अपनी जगह अड़े हुए हैं।
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महिला ने साफ कहा कि वह ऐसे जीवनसाथी के साथ नहीं रह सकती, जो बेसिक हाइजीन का भी ख्याल न रखे।
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वहीं, पति ने पलटकर जवाब दिया:
“मैं पत्नी के हाथ का कोई खिलौना नहीं हूं। मुझे जैसे जीना है, मैं वैसे ही जिऊंगा। कोई मुझे नहीं सिखा सकता कि कैसे रहूं।”
रिश्तों में सफाई और आदतें: एक अहम सवाल
यह मामला भले ही सुनने में हल्का-फुल्का लगे, लेकिन यह आधुनिक शहरी दंपतियों के बीच बढ़ते मतभेदों का एक उदाहरण है।
आजकल की रिश्तों में:
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साफ-सफाई को लेकर व्यक्तिगत अपेक्षाएं बढ़ गई हैं।
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एक-दूसरे को बदलने की कोशिशें अक्सर उलझनों को जन्म देती हैं।
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छोटी-छोटी बातें जब अहम बन जाती हैं, तो रिश्ता बोझ बन जाता है।
क्या तलाक ही है समाधान?
फिलहाल यह मामला कोर्ट तक नहीं पहुंचा है, लेकिन काउंसलिंग में दोनों की रवैया टकरावपूर्ण है।
काउंसलर की कोशिश है कि दोनों एक-दूसरे की बात समझें और किसी निष्कर्ष पर पहुंचे, लेकिन दोनों का तलाक को लेकर साफ इरादा है।
निष्कर्ष
इस घटना ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या रिश्ते अब सहनशीलता और समझदारी से दूर हो रहे हैं?
क्या व्यक्तिगत आदतें अब रिश्तों पर हावी हो रही हैं?
यह मामला भले ही हंसाने वाला लगे, लेकिन यह आज के समाज की एक कड़वी सच्चाई को उजागर करता है – कि रिश्तों में अब प्यार से ज्यादा प्राथमिकता “परफेक्शन” और “पसंद” को दी जाने लगी है।