अजब-गजब: महिला के पेट में हो रहा था भयानक दर्द, जांच में हुआ 35 साल के 'बेबी स्टोन' का खुलासा

दुनियाभर में नए-नए मेडिकल केस सामने आते रहते हैं। इन दिनों सोशल मीडिया पर एक मामला वायरल हो रहा है। कुछ फोटो के साथ दावा किया जा रहा है कि 73 साल की महिला के पेट में 30 साल का स्टोन बेबी मिला है। महिला के सीटी स्कैन में इस बात का खुलासा हुआ। डॉक्टरों के मुताबिक, जब भ्रूण कैल्सिफाइड हो जाता है तो उसे लिथोपेडियन या स्टोन बेबी कहते हैं। यह एक दुर्लभ मेडिकल कंडीशन है और पहले भी ऐसे कुछ मामले सामने आ चुके हैं। ऐसे मामले डॉक्टरों के लिए भी हैरान करने वाले होते हैं।
This CT scan belongs to a 73 year old Woman in whom doctors discovered a 30 year old calcified fetus pic.twitter.com/R5Iu8SlTqL
— non aesthetic things (@PicturesFoIder) June 24, 2025
दरअसल, 25 जून को 'नॉन एस्थेटिक थिंग्स' नाम के एक्स अकाउंट से कुछ फोटो शेयर करते हुए लिखा था, ''यह सीटी स्कैन 73 साल की महिला का है, जिसमें 30 साल का कैल्सिफाइड भ्रूण मिला।'' धीरे-धीरे यह पोस्ट वायरल हो गई और लोग इसके बारे में जानने के लिए उत्सुक हैं। कई लोग इस पोस्ट को फर्जी बता रहे हैं, साथ ही इसके बारे में और जानकारी हासिल करने की मांग कर रहे हैं। अब सवाल यह है कि किसी महिला के पेट में स्टोन बेबी कैसे हो सकता है? आइए इसके बारे में जानने की कोशिश करते हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, लिथोपेडियन एक दुर्लभ चिकित्सा स्थिति है, जिसमें भ्रूण गर्भाशय के बजाय पेट में विकसित होता है और जब वह मर जाता है, तो शरीर उसे कैल्शियम की परत चढ़ाकर पत्थर में बदल देता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि भ्रूण उदर गुहा में विकसित होता है, जहाँ रक्त का प्रवाह पर्याप्त नहीं होता। इसके कारण भ्रूण शरीर से बाहर नहीं निकल पाता और शरीर उसे कोई विदेशी चीज़ समझ लेता है। फिर शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली उस पर कैल्शियम जमा कर देती है, जिससे वह स्टोन बेबी बन जाता है।
2013 में, एबीसी न्यूज़ ने एक 82 वर्षीय कोलंबियाई महिला के मामले को भी उजागर किया था, जिसमें डॉक्टरों ने 40 साल से उसके पेट में पड़े एक स्टोन बेबी की खोज की थी। यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल्स केस मेडिकल सेंटर, क्लीवलैंड के डॉ। किम गार्सी के अनुसार "यह स्थिति इतनी दुर्लभ है कि चिकित्सा विज्ञान में इसे केवल 300 बार ही दर्ज किया गया है। जब शरीर किसी अप्रत्याशित और विदेशी तत्व को पहचानता है, तो उसका रक्षा तंत्र सक्रिय हो जाता है। लिथोपेडियन के मामले में भी यही होता है। शरीर भ्रूण को एक अज्ञात तत्व मानकर उसे अलग कर लेता है और कैल्शियम जमा कर लेता है।
अब सवाल यह है कि स्टोन बेबी का पता कैसे चलता है? विशेषज्ञों के अनुसार, ज्यादातर मामलों में लिथोपेडियन का पता तब चलता है जब उस व्यक्ति के पेट या निचले हिस्से में दर्द, जलन या किसी अन्य कारण से एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड या सीटी स्कैन कराया जाता है। कभी-कभी यह स्थिति अचानक सामने आती है जब कोई बुजुर्ग व्यक्ति पेट में दर्द या बेचैनी की शिकायत करता है। उस स्थिति में डॉक्टर इमेजिंग टेस्ट करके इस 'स्टोन बेबी' की मौजूदगी का पता लगाते हैं।