1444 खंभों पर खड़ा यह 600 साल पुराना मंदिर है आस्था, कला और चमत्कार का प्रतीक

भारत की धरती पर एक से बढ़कर एक ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल मौजूद हैं, लेकिन कुछ मंदिर ऐसे भी हैं, जो अपनी वास्तुकला और रहस्यमयी विशेषताओं के कारण पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं। राजस्थान के रणकपुर गांव में स्थित जैन मंदिर भी ऐसा ही एक स्थल है, जो न सिर्फ जैन धर्म के प्रमुख तीर्थों में शामिल है, बल्कि अपने 1444 संगमरमर के खंभों की वजह से एक वास्तुकला का चमत्कार भी माना जाता है।
रणकपुर जैन मंदिर: एक नज़र में अद्भुत
उदयपुर से करीब 100 किलोमीटर दूर स्थित यह मंदिर, 15वीं शताब्दी में राणा कुंभा के शासनकाल में बनवाया गया था। इसकी नींव एक समर्पित जैन अनुयायी धरनाशाह ने रखी थी। इस मंदिर को बनाने में कई वर्षों का समय लगा और यह पूरी तरह से सफेद संगमरमर से निर्मित है।
खंभों की दुनिया – 1444 स्तंभ, हर एक अनोखा
इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता इसके 1444 खंभे हैं। हर खंभे पर की गई बारीक नक्काशी अलग है – कोई भी दो खंभे एक जैसे नहीं हैं। इतना ही नहीं, मंदिर के किसी भी कोने से देखें, तो मुख्य मूर्ति के दर्शन संभव हैं – यह एक ऐसा चमत्कार है जिसे आज भी समझना मुश्किल है।
चार दिशाओं से दर्शन – अद्वितीय निर्माण कला
मंदिर के चारों दिशाओं में चार भव्य प्रवेशद्वार हैं। गर्भगृह में भगवान आदिनाथ की चार विशाल मूर्तियां हैं जो चारों दिशाओं में स्थित हैं। यह इस बात का प्रतीक है कि सत्य और धर्म हर दिशा में व्याप्त है।
छोटे-छोटे मंदिरों का समूह
रणकपुर मंदिर सिर्फ एक मुख्य मंदिर नहीं है, बल्कि इसके परिसर में 76 छोटे-छोटे गुम्बदाकार गर्भगृह, चार विशाल पूजा कक्ष, और अनगिनत स्तंभ हैं, जो संपूर्ण परिसर को किसी पत्थर में तराशी गई कविता जैसा बना देते हैं।
एक तीर्थ, जो देता है मोक्ष की प्रेरणा
यह मंदिर न केवल एक दर्शनीय स्थल है, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र भी है। ऐसा माना जाता है कि यह तीर्थ मनुष्य को 84 लाख योनियों से मुक्ति दिलाकर मोक्ष की ओर प्रेरित करता है। यही कारण है कि हर वर्ष हज़ारों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं।