कहीं सांप के साथ रहते लोग, तो कहीं होते है जुड़वा बच्चे, विज्ञान भी नहीं सुलझा पाया भारत की इन अजीबो-गरीब जगहों का रहस्य
हमारे देश में कई ऐसी जगहें हैं जिन्हें न सिर्फ़ चमत्कारी माना जाता है, बल्कि जिनके रहस्यों को आज तक कोई नहीं जान पाया है। आज हम आपको देश की कुछ ऐसी ही जगहों के बारे में बताएंगे जो न सिर्फ़ अपनी अजीबोगरीब परंपराओं की वजह से चर्चा में रहती हैं, बल्कि जहाँ गहरी आस्था और दृढ़ विश्वास के उदाहरण भी देखने को मिलते हैं।
एक ऐसा गाँव जहाँ किसी भी घर में दरवाज़ा नहीं
महाराष्ट्र राज्य में एक ऐसा गाँव है जहाँ किसी भी घर में दरवाज़ा नहीं है। दरअसल, शिंगणापुर में भगवान शनिदेव का एक पौराणिक मंदिर है। यह स्थान शनि भक्तों के लिए बेहद महत्वपूर्ण और पूजनीय है। ख़ास बात यह है कि इस गाँव के किसी भी घर या दुकान में दरवाज़ा नहीं लगाया गया है। यहाँ के लोगों का मानना है कि अगर कोई यहाँ चोरी करता है, तो वह शनिदेव के प्रकोप से बच नहीं सकता। शायद यही वजह है कि यहाँ चोरी की घटनाएँ कभी सामने नहीं आतीं।
जुड़वाँ बच्चों की धरती: एक ऐसा गाँव जहाँ सिर्फ़ जुड़वाँ बच्चे ही पैदा होते हैं
केरल का यह गाँव एक ऐसी अनोखी बात के लिए मशहूर है जिसके बारे में कोई वैज्ञानिक कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है। दरअसल, इस गाँव में सिर्फ़ जुड़वाँ बच्चे ही पैदा होते हैं। आपको शायद यकीन न हो, लेकिन यह सच है कि केरल के मल्लापुरम गाँव के सभी परिवारों में जुड़वाँ बच्चे ही पैदा होते हैं। ऐसा क्यों होता है, इस बारे में कोई वैज्ञानिक तथ्य स्पष्ट नहीं हो पाया है। लेकिन लोग इसे ईश्वर का वरदान मानते हैं। इस गाँव में अब तक लगभग 400 जुड़वाँ बच्चे पैदा हो चुके हैं। हालाँकि, वर्तमान में यहाँ तीन बच्चों के जन्म की घटनाएँ भी बढ़ रही हैं। इस जगह को जुड़वाँ बच्चों की धरती के नाम से जाना जाता है।
एक ऐसा गाँव जहाँ लोग साँपों के साथ रहते हैं
महाराष्ट्र के शेतफल नामक गाँव में साँप और इंसान साथ-साथ रहते हैं। राज्य के इस छोटे से गाँव में, हर घर में साँपों के रहने के लिए ज़मीन में एक बिल बना होता है। खास बात यह है कि इस गाँव में लोग अपने घरों में साँपों के साथ रहते हैं। यह कोई मजबूरी नहीं है, बल्कि ये लोग साँपों को पालते हैं और उन्हें परिवार का सदस्य मानते हैं। सबसे हैरानी की बात यह है कि इस गाँव में बड़ी संख्या में बेहद जहरीले कोबरा प्रजाति के साँप भी रहते हैं। लेकिन खास बात यह है कि साँप कभी लोगों को नहीं काटते और न ही गाँव वाले साँपों को नुकसान पहुँचाते हैं। लोग इस गाँव को पूजा स्थल मानते हैं और साँपों को देवता मानते हैं।
गुजरात में छोटा अफ्रीका
गुजरात में एक गाँव है जिसे छोटा अफ्रीका कहा जाता है। राज्य का जम्बूर गाँव अफ़्रीकी गाँव के नाम से जाना जाता है। दरअसल, इस गाँव के लोग अफ़्रीकी लोगों जैसे दिखते हैं। गिर के जंगलों में बसा यह छोटा सा गाँव काफ़ी लोकप्रिय है। इस गाँव में सिद्दी आदिवासी रहते हैं और उनकी भाषा पूरी तरह से गुजराती है। लेकिन वे अफ़्रीकी प्रजाति बंटू से भी जुड़े हैं और गाँव वाले अफ़्रीकी रीति-रिवाज़ भी मानते हैं, शायद यही वजह है कि इसे छोटा अफ्रीका कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि कुछ अफ़्रीकी लोगों को अफ़्रीकी शेरों के साथ गिर के जंगलों में बसाने के लिए यहाँ भेजा गया था। इन लोगों के वंशज आज भी देखे जा सकते हैं।

