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इस मंदिर में रोज रात को आते हैं शिव-पार्वती! रोज सुबह मिलता है सबूत

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भर में भगवान शिव के लाखों मंदिर हैं, लेकिन इनमें से कुछ मंदिर ऐसे हैं जो अपनी रहस्यमयता और चमत्कारों के कारण विशेष पहचान रखते हैं। इनमें से एक प्रसिद्ध और अद्भुत मंदिर है — ओंकारेश्वर मंदिर, जो मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के बीचों-बीच स्थित है। यह मंदिर न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके पीछे कई पौराणिक मान्यताएं और चमत्कारिक कथाएं जुड़ी हुई हैं, जो इसे हिंदुओं के लिए एक बेहद खास तीर्थ स्थल बनाती हैं।

ओंकारेश्वर — 12 ज्योतिर्लिंगों में चौथा

ओंकारेश्वर मंदिर को भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में चौथा स्थान प्राप्त है। ज्योतिर्लिंग वह पवित्र स्थान होता है जहां भगवान शिव का ज्योति (प्रकाश) रूप प्रकट हुआ था। यह मंदिर नर्मदा नदी के मध्य स्थित ओंकार पर्वत पर बना है, जिसे भक्ति और श्रद्धा का अत्यंत महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता है। हिंदू धर्मग्रंथों जैसे स्कंद पुराण, शिवपुराण और वायुपुराण में इस मंदिर का उल्लेख विस्तार से किया गया है। पुराणों के अनुसार, यही स्थान है जहां ब्रह्माजी के मुख से “ॐ” शब्द की उत्पत्ति हुई थी, और इसी कारण यहाँ की शिवलिंग की आकृति भी ॐ के आकार में है।

ॐ का रहस्य और भगवान शिव का स्वरूप

ओंकारेश्वर शिवलिंग का स्वरूप बेहद अद्वितीय और प्रतीकात्मक है। यह ज्योतिर्लिंग ॐ के आकार में है, जो ब्रह्मांड की सबसे पवित्र ध्वनि मानी जाती है। इस जगह का आध्यात्मिक महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि माना जाता है कि “ॐ” शब्द की उत्पत्ति यहीं हुई है, और इसी वजह से सारे धार्मिक मंत्र और वेदों का पाठ हमेशा “ॐ” से प्रारंभ होता है। इस मंदिर के ज्योतिर्लिंग को देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।

भगवान शिव और माता पार्वती का विश्राम स्थान

ओंकारेश्वर मंदिर की एक अनोखी मान्यता है जो इसे बाकी ज्योतिर्लिंगों से अलग बनाती है। कहा जाता है कि भगवान शिव और माता पार्वती हर दिन तीनों लोकों का भ्रमण करने के बाद इस मंदिर में विश्राम करते हैं। यहां तक कि ऐसा भी माना जाता है कि वे रात में चौसर भी खेलते हैं। इस कारण यहाँ “शयन आरती” का विशेष आयोजन होता है, जो मंदिर की एक अनूठी परंपरा है।

शयन आरती के बाद मंदिर में चौसर और पासे (पांसे) की बिसात सजाई जाती है। यह एक ऐसा चमत्कार है जिसे हर रोज मंदिर के पुजारी और श्रद्धालु देख पाते हैं। कहा जाता है कि अगले दिन सुबह जब मंदिर के द्वार खोले जाते हैं, तो चौसर-पांसे की बिसात पर पासे उल्टे मिलते हैं। इस रहस्यमय घटना को भगवान शिव और माता पार्वती के खेल से जोड़कर देखा जाता है।

गुप्त आरती और पुजारियों की सेवा

ओंकारेश्वर मंदिर में गर्भगृह के भीतर गुप्त आरती की जाती है। इस आरती में केवल पुजारी ही भाग लेते हैं और गर्भगृह में प्रवेश कर भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं। इस गुप्त आरती का उद्देश्य भगवान शिव की दिव्य उपस्थिति और रहस्यमय शक्ति को बनाए रखना है। पुजारी इस आरती में भगवान शिव का अभिषेक और विशेष पूजन करते हैं, जो श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

तीर्थों का अंतिम स्थल — ओंकारेश्वर

हिंदू मान्यताओं के अनुसार भारत के अन्य पवित्र तीर्थों के दर्शन के बाद ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन और पूजा-अर्चना का विशेष महत्व होता है। श्रद्धालु सभी तीर्थों के पवित्र जल को लेकर ओंकारेश्वर आते हैं और यहां उसे नर्मदा नदी में अर्पित करते हैं। ऐसा करने से उनकी यात्रा पूर्ण मानी जाती है और आध्यात्मिक शांति मिलती है।

ओंकारेश्वर और अमलेश्वर — दो ज्योतिर्लिंग

ओंकारेश्वर मंदिर के साथ-साथ अमलेश्वर भी एक प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग है। मान्यता है कि विंध्य पर्वत के राजा ने यहां घोर तपस्या की थी और भगवान शिव से प्रार्थना की थी कि वे विंध्य क्षेत्र में स्थायी निवास करें। भगवान शिव ने उनकी इच्छा स्वीकार कर ली और यहां एक ज्योतिर्लिंग की स्थापना की। ओंकारेश्वर और अमलेश्वर दोनों ही शिवलिंग ज्योतिर्लिंग माने जाते हैं, जो अपने-अपने स्थान पर भक्तों को आशीर्वाद देते हैं।

निष्कर्ष

ओंकारेश्वर मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि एक ऐसा चमत्कारी स्थान है जहां भगवान शिव की रहस्यमयी उपस्थिति और दिव्य शक्तियों के बारे में कई कथाएं जुड़ी हुई हैं। यहां भगवान शिव और माता पार्वती के साथ जुड़ा वह अद्भुत चौसर का खेल, गुप्त आरती और ज्योतिर्लिंग की अनोखी आकृति इसे सभी शिवभक्तों के लिए एक आस्था का प्रतीक बनाती है। जो भी यहां आता है, अपने मन को आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर महसूस करता है।

ओंकारेश्वर मंदिर की पावन भूमि पर जाकर आप न केवल भगवान शिव के चमत्कार देख सकते हैं, बल्कि आत्मिक शांति का अनुभव भी कर सकते हैं। यदि आप भी आध्यात्मिक अनुभव की तलाश में हैं तो ओंकारेश्वर मंदिर की यात्रा जरूर करें और वहां के दिव्य रहस्यों को अपने जीवन में शामिल करें। यह मंदिर आपके जीवन में नए उत्साह और आध्यात्मिक चेतना का संचार क

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