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Sawan 2023: भगवान शिव को भस्म क्यों प्रिय है ? जानिए महत्व और शिवजी पर अर्पित करने के फायदे

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सभी देवी-देवताओं में भगवान शिव को एक अलग ही स्थान प्राप्त है। वे न केवल संहार के देवता माने जाते हैं, बल्कि उन्हें तपस्या, वैराग्य और ज्ञान का प्रतीक भी माना जाता है। जहां बाकी देवी-देवता आभूषण और रत्नों से सजे रहते हैं, वहीं भगवान शिव की वेशभूषा बिलकुल विपरीत होती है—वृक्षों की छाल, रूद्राक्ष की माला, गले में सर्प और शरीर पर चिता की भस्म। महादेव का यह रूप उनकी अलौकिकता और भौतिक सुख-सुविधाओं से विमुखता का प्रतीक है।

भस्म का प्रयोग शिव पूजन में विशेष महत्व रखता है। ऐसा कहा जाता है कि शिव को भस्म अतिप्रिय है, क्योंकि यह जीवन के अंतिम सत्य—मृत्यु और नश्वरता—का प्रतीक है। भस्म यह दर्शाती है कि मनुष्य कितना भी बड़ा या शक्तिशाली क्यों न हो, अंत में सब कुछ इसी राख में मिल जाना है। महादेव इसी भस्म को अपने शरीर पर धारण करके हमें जीवन का गूढ़ ज्ञान देने का प्रयास करते हैं कि यह संसार अस्थायी है और आत्मा ही शाश्वत है।

शिवलिंग पर भस्म से अभिषेक के लाभ

सावन के पवित्र महीने में शिव भक्त विशेष रूप से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। जल, दूध, शहद, दही आदि के साथ-साथ भस्म से भी शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है। मान्यता है कि भस्म से शिवलिंग का अभिषेक करने से भक्तों के समस्त पाप कट जाते हैं और जीवन में सुख-शांति आती है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भस्म से शिवलिंग का अभिषेक करने पर—

  • व्यक्ति को सांसारिक मोह-माया से मुक्ति मिलती है।

  • नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और बुरी नजर का असर खत्म हो जाता है।

  • घर में शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक वातावरण बना रहता है।

  • परिवार के सदस्यों का आत्मिक विकास होता है।

  • मानसिक तनाव, भय और चिंता दूर होती है।

  • आध्यात्मिक साधना में गहराई आती है और ईश्वर से संबंध मजबूत होता है।

भस्म से अभिषेक के नियम

शिवलिंग पर भस्म चढ़ाते समय कुछ नियमों का पालन करना अति आवश्यक है:

  1. अभिषेक से पूर्व स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें और मानसिक रूप से शांत रहें।

  2. भस्माभिषेक के लिए सुबह ब्रह्ममुहूर्त या शाम को सूर्यास्त के बाद (प्रदोष काल) का समय श्रेष्ठ माना गया है।

  3. शिवलिंग पर केवल पवित्र और शुद्ध भस्म का ही प्रयोग करें। यह भस्म लकड़ी, यज्ञ या गोबर की अग्नि से बनी होनी चाहिए।

  4. अभिषेक करते समय 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जप करते रहें।

  5. अभिषेक के बाद उसी भस्म से अपने मस्तक पर तिलक लगाना भी शुभ माना जाता है।

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