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''ना हनुमान ना ​ही राम'' दुनिया के इस इकलौते मंदिर में होती हैं रावण की पूजा, खुलता है साल में सिर्फ एक बार

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विजयादशमी के दिन दुनिया भर में बुराई के प्रतीक के रूप में रावण का पुतला जलाया जाता है। कुछ जगहें ऐसी भी हैं जहां रावण की पूजा की जाती है और उसकी मनोकामनाएं मांगी जाती हैं। हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जहां दशहरे के दिन रावण की पूजा की जाती है और लोग लंकेश्वर की पूजा करते हैं और अपनी मन्नतें मांगते हैं। दरअसल, कानपुर में एक ऐसा मंदिर है जहां रावण की पूजा की जाती है परंपरा के अनुसार यह विजयादशमी के दिन ही खुलता है।

Five temples of Ravana in India where demon king is worshipped – India TV

कानपुर के शिवाला नगर के इस अनोखे मंदिर में बुधवार सुबह से रावण की पूजा की जा रही है. मंदिर कई साल पुराना है. विजयादशमी के दिन यहां हजारों श्रद्धालु रावण की पूजा करते हैं। यह मंदिर माता दुर्गा का है, जहां रावण का एक अलग मंदिर बनाया गया है। दशानन मंदिर के पुजारी राम बाजपेयी ने बताया कि दशानन मंदिर सिर्फ दशहरे के दिन खुलता है और रावण की पूजा की जाती है. शाम को पुतला जलाने के बाद हम इस मंदिर को बंद कर देते हैं.

वह मंदिर जहां दशहरे पर होती है रावण की पूजा

उन्होंने बताया कि विद्वता के कारण ही रावण की पूजा की जाती है। हम उनके ज्ञान की पूजा करते हैं. मान्यता है कि दशहरे के दिन दशानन मंदिर में लंकाधिराज रावण की आरती के समय भक्तों को नीलकंठ के दर्शन होते हैं। महिलाएं पुत्र और परिवार के लिए सुख, समृद्धि, ज्ञान और शक्ति की कामना के लिए दशानन की प्रतिमा के पास सरसों के तेल का दीपक और तरोई के फूल चढ़ाती हैं।

Unique Ravana Temples in India - Nativeplanet

रावण के भक्त सुबह-सुबह ही यहां पहुंच जाते हैं और पूजा-अर्चना शुरू कर देते हैं। दशानन मंदिर में शक्ति के प्रतीक के रूप में रावण की पूजा की जाती है। विजयादशमी के दिन सुबह आठ बजे मंदिर के दरवाजे खोले गए और रावण की मूर्ति का श्रृंगार किया गया, इसके बाद आरती की गई। इस मंदिर की स्थापना 1890 में गुरु प्रसाद शुक्ल ने की थी।


 

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